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शनिवार, 6 जनवरी 2018

904... हसरतें



सारी तस्वीरें गूगल से ली गई हैं... अब चोरी समझें या प्रचार ... आपकी सोच




सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
गलतफहमी कि संतुष्टि थी
जबकि
कुछ पूरी करनी अभी बाकी है


ठंडी बहती हवाओ में
दूर तक फैले झील में
दुधिया चांदनी रात में
नाव कि सैर अभी बाकी है


हसरतें ही तो हैं जो, जीने को करती हैं मजबूर,,
जिन्दगी की ठोकरें ,वरना कर देती चकनाचूर ।।



बड़े अरमान से सजाया था
वो जो टुटा सपना
अब किसके पास जाऊँगा
लेकर अरमां अपना-


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हसरतें


रेशमी कपड़ो में
सज धज कर निकलती है
लोगों की आँखे चुधियाँ जाती है
भगवान तू भी तो
फरियाद उनकी ही सुनता है





हसरतें

निगाहें चौंक उठती है अक्सर
अपना ही अक्स देखकर
कुछ अंजान सा दिखता अब
ख़ुद का ही वजूद ख़ुदको
जिससे पहचान थी कभी
वो कहीं खो सा गया


हसरतें


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मन की बात

बहुत जतन से
संभाल रही हूँ हालात को...
मुट्ठी भर रेत-सी
रह गई है साँसे हाथ में
और आँखों से गिरते अविरल आंसू
भीगो रहे है सासों की मिट्टी को।
कि....नहीं कर पाऊँगी कभी
खुद से अलग उसे

मिलते रहेंगे...




10 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीया विभा दी,
    सुप्रभातम्।
    आज का संकलन में बहुत सुंदर तैयार हुआ है।सारी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी। दी तस्वीर में भी सुंदर पंक्तियाँ लिखीं है। बहुत आभार आपका दी:) इथनी अच्छी रचनाएँ पढ़वाने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय दीदी
    सादर नमन
    हसरत तो थी की
    पर वो हसरत ही रह गई
    बढ़िया प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर
    सभी रचनायें और रचनाकार को शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  4. आज की संकलन की खासियत (एक शब्द विशेष) ही अलग है जो बहुत बढिया
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण.उम्दा लिंक्स....

    जवाब देंहटाएं
  7. हसरतों पर आधारित रचनाओं से सुसज्जित ख़ूबसूरत प्रस्तुति।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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