इसका प्रमाण आपको देश -विदेश में होने वाले कवि सम्मेलनों में
साक्षात् देखने को मिलेगा।
तमग़ा अपने ऊपर चस्पा कर प्रत्येक मंच पर साहित्य को
कलंकित करते रेंग रहें हैं।
आख़िरकार इसके दोषी हम भी हैं।
सृजनात्मक क्षमता दर्शाने में लगे हैं।
मंचों पर होने वाले कवि सम्मेलनों में भाग लेना नहीं चाहते, हो सकता है कुछ भाई -बहनों के पास समय का अभाव हो और
किसी को भय हो लोग क्या सोचेंगे !
परन्तु मैं इस मंच से इतना कहना चाहूँगा
वास्तविक मंच पर आइए नहीं तो ये साहित्य समाज में रह रहे जोंक बचे -खुचे साहित्य की गरिमा भी पी जायेंगे।
राष्ट्रपिता "महात्मा गाँधी"
को "पाँच लिंकों का आनंद"
परिवार हृदय से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
दुर्गे निशुम्भशुम्भहननी......
आदरणीय "पुरुषोत्तम सिन्हा"
कुमारी घोररूपा चण्डघण्टा चण्डमुण्ड विनाशिनि ,
क्रुरा चामुण्डा चिता चिति चित्तरूपा चित्रा चिन्ता,
बहुलप्रेमा प्रत्यक्षा जया जलोदरी ज्ञाना तपस्विनी।
छंद स्रग्विणी.......आदरणीया "रेखा जोशी"
ज़िन्दगी से मिले है बहुत गम हमें
आंख आंसू लिए गुनगुनाते रहे
,
काश मिलती हमें ज़िन्दगी में खुशी
ज़िन्दगी साथ तेरा निभाते रहे
लफ़्ज़ों की सफ़्फ़ाक सिनानें लहजों की शमशीर निकाल
अधूरी..... आदरणीया "शालिनी रस्तोगी"
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंगांधी..
एक महान योद्धा
और शास्त्री.
एक महान देश प्रेमी
दोनों की जन्म तिथि है आज
यदि दोनों आज होते
तो इस देश की कल्पना कीजिए...
विचार है मन में.. लिखूँगी जरूर
पर इस मंच पर नहीं
सादर..
भाई ध्रुव जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
आभार
सादर
कमाल की प्रस्तुति। क्रातिकारी लेखन शैली। साधुवाद एकलव्य जी।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया. ब्लॉगर साहित्यकार सम्मलेन का आयोजन कर लें "इन जोंकों से" निपटने के लिए!
जवाब देंहटाएंध्रुव जी, प्रभावपूर्ण भूमिका से लिंकों की सुरुवात
जवाब देंहटाएंवास्तविक मंच पर आइये...विचारणीय है
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
आभार
सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंकों का संकलन प्रस्तुत किया है भाई ध्रुव जी ने ,सामयिक भूमिका लिखी है ,बधाई।
आज भारत के दो महान सपूतों की जयंती है। एक महात्मा गाँधी जी दूसरे लाल बहादुर शास्त्री जी। इन अज़ीम शख़्सियतों ने भारतीय जीवन दर्शन को नयी ऊँचाइयाँ दी हैं। इन्हें हमारा नमन।
आज गांधी दर्शन पर लोग बंटे हुए नज़र आते हैं भारत में लेकिन दुनिया गांधीवाद को आज भी सराहती हुई अपने लिए शान्ति के मार्ग तलाश रही है। भारत में सरकारों द्वारा गांधीवादी आन्दोलनों को तरजीह न देना और उन्हें बर्बर हिंसक तरीकों से कुचलना उनकी तानाशाही प्रवृत्ति उजागर करना है।
देश को स्व. लाल बहादुर शास्त्री जैसा प्रधानमंत्री अब शायद ही मिले जो घोर अभावों में भी मूल्यों को सीने से लगाए हुए था , जिनके निधन के बाद पता चला कि बच्चों की ज़िद के चलते ली गयी कार की क़िस्तों का क़र्ज़ उनके सर पर था।
हमारे नियमित पाठक आदरणीय विश्व मोहन जी ने गांधी जी को याद करते हुए सारगर्भित लेख प्रकाशित किया है अपने ब्लॉग पर - "गांधी और चम्पारण" जिसका लिंक है-
http://vishwamohanuwaach.blogspot.in/2016/10/blog-post.html
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
आभार सादर।
साझा करने के लिए हार्दिक आभार।
हटाएंवर्ना शोर बहुत है इन युगपुरुषों के नाम का । आत्ममंथन कम है ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सटीक विश्लेषण के साथ। सुन्दर सूत्र चयन।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंधुव जी, बेहतरीन भूमिका. आपकी सोच से शत प्रतिशत सहमत हूं. आजकल साहित्य के नाम पर कुछ स्वनामधन्य लोग कब्जा किये हुए हैं, अपनी वाह-वाह सुनने में इतना व्यस्त कि कुछ नया लिख तक नही पा रहे. Bloging में व्यस्त लोग इससे बाहर नही आना चाहते.
जवाब देंहटाएंआज की सभी रचनायें बेहद सार्गर्भित हैं. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई.
बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरण । आदरणीय ध्रुवजी द्वारा बुद्धिजीवी वर्ग को किया गया आह्वान झकझोर देता है मन को ।
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई ।
बहुत सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंआदर सहित
शुभ संध्या....
जवाब देंहटाएंसुंदर....
आभार....
अच्छा लगा । सभी रचनाकारों को बधाई !
जवाब देंहटाएंक्या आपको वास्तव में लगता है कि कविताओं के आधार पर कविता मंच पर आमंत्रित किया जाता है ? क्यों ना एक परंपरा शुरू की जाये। कविताओं का चयन हो। कवि का नाम गोपनीय रहे। चयन होने तक। वर्ना पत्रिकाओं में भी छपेगा नहीं नाम हुए बिना। तो ब्लॉग ही बचता है पाठकों तक पहुँचने का माध्यम। सोशल मीडिया पर भीड़ इतनी है कि परिचित भी नहीं पढ़ते। तो कैसे कवि पहुंचे पाठक तक ?
उम्दा लिंक संकलन ...सुन्दर प्रस्तुतिकरण....
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