तो कैसे करूँ
दो गज ज़मीन
दो गज कपड़ा
और दो फूलों की श्रद्धा
पर जीवित व्यक्तियों को
जिसकी इनको आवश्यकता
अब नहीं है..
अपनी मर्जी से कहां अपने सफर के हम हैं,
रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
भारत के मशहूर हिंदी – उर्दू कवि मुक्तिदा हसन ‘निदा फाजली’ नहीं रहे. 12 अक्टूबर, 1938 को जन्मे ये कविराज 8 फरवरी, 2016 को खुदा को प्यारे हो गये. वे 77 साल के थे. हमने उनकी अनेक गज़ल जगजीत सिंघ द्वारा सुनी है, आज जगजीत जी की जन्मतिथि अब निदा जी की पुण्यतिथि बन गई है.
आज मन नहीं है
अधिक पढ़ने - लिखने का
बेखयाली मे सूचना देते समय
दिन व दिनांक का खयाल ही न रहा
क्षमा अभिलाषी
आज्ञा दें दिग्विजय को
चलते-चलते एक गीत निदा जी की याद में
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंउत्तम रचनाएँ
लेखन जगत के दोनों मूर्धन्य
साहित्यकारों को
श्रद्धासुमन अर्पित करती हूँ
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंदोनों को विनम्र श्रद्धांजलि
shradhanjali.
जवाब देंहटाएंShradhanjali..
जवाब देंहटाएंदोनो को विनम्र श्रद्धाँजलि ।
जवाब देंहटाएंजाने वालों को भला कब कोई रोक पाया है
जवाब देंहटाएंपीछे छूट जाने वालों पर गहन दुःख का साया है !
विनम्र श्रद्धांजलि !
आज के सूत्रों के चयन में मेरी प्रस्तुति 'परास्त रवि' को सम्मिलित करने के लिये आभार !
हमने दो नगीने खो दिए..
हटाएंदो सूर्य अस्त हो गए दीदी
मेरी ओर से भी...
जवाब देंहटाएंदोनों रचनाकारों को विनम्र श्रद्धांजलि
अविनाश वाचस्पति जी के साथ ही निदा फाजली जी को विनम्र श्रद्धांजलि !
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