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सोमवार, 27 नवंबर 2017

864... यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।!

कहते हैं हौंसले बुलंद हो ,रास्ते खुद -ब -खुद मिल जाते हैं। 
डरिये नहीं ! आज मैं कोई लेख लिखने नहीं आया हूँ और न ही किसी समस्या पर विमर्श करने। 
आज मैं ब्लॉगिंग की दुनिया में सशक्त महिला रचनाकारों से आपका परिचय कराने आया हूँ। 
कुछ नवांकुर तो  कुछ फलदायक वृक्ष 
ब्लॉगिंग दुनिया के स्तम्भ बनकर खड़े हैं। 
इन्हें नमन है मेरा 
रचनाकार परिचय 
आदरणीया 
  • विभा रानी श्रीवास्तव जी 
  • यशोदा अग्रवाल जी
  • मीना शर्मा जी 
  • रेणु बाला जी 
  • साधना वैद जी 
  • पम्मी सिंह जी 
  • अपर्णा वाजपई जी 
  • सुधा देवरानी जी 
  • ऋतु आसूजा जी 
  • कविता रावत जी 
  • नीतू ठाकुर जी 
  • एवं 
  • श्वेता सिन्हा जी   

↖एक सशक्त हस्ताक्षर ,एक सशक्त सन्देश↗

सादर अभिवादन 



 उम्र के  इस पड़ाव पर , दर्पन में दिखता है ,आड़ी-तिरछी लकीरे चेहरे पर  ,
बसंत - पतझड़  , अनेको देख - देख  , आँखें , धुंधलापन पा गई ,
गर्मी - बरसात की अधिकता सह-सह,” शरीर “अस्वस्थ हो गया , लेकिन   ,

 पुनः और पुनः ....



 लिखी जाती है कविता... 
किसी कवि की कलम से... 
उतरती है सियाही कागज पर..



 आओ हम तुम
बन जाएँ हमसफर,
हो जाएगी आसान
ये मुश्किल भरी डगर ।


 मुद्दत      बाद   सजी   गलियां     रे  -
गाँव    में    कोई    फिर   लौटा    है   !
जीवन     बना    है     इक    उत्सव    रे   - 
गाँव    में    कोई  फिर  लौटा    है     !  !


  जीवन की दुर्गमता मैंने जानी है , 
अपनों की दुर्जनता भी पहचानी है , 
अधरों के उच्छ्वास बहुत कह जाते हैं , 
निज मन की दुर्बलता मैंने मानी है । 


 स्वतंत्रता  तो उतनी  ही है  हमारी          
जितनी लम्बी बेड़ियों  की डोर 
हर इक ने इच्छा, अपेक्षा, संस्कारो और सम्मानों 
की 



 पलाश के लाल-लाल फूल 
खिलते हैं जंगल में,
मेरा सूरज उगता है 
तुम्हारी आँखों में,



 उर्वरक धरती कहाँ रही अब?
सुन्दर प्रकृति कहाँ रही अब ?
कहाँ रहे अब हरे -भरे  वन?
ढूँढ रहा है जिन्हें आज मन
      
 सफ़र की शुरुआत
बड़ी हसीन थी
हँसते थे ,मुस्कुराते थे
चिड़ियों संग बातें करते थे


 दिल देने की भूल कर  बैठे
कहते सुनते आए से जिसे
वे भी करने लगे प्यार
बस इसी प्यार की खातिर


आज भी मै ढूँढ़ता हूँ उस गली में वो निशाँ, 
जिनके साये में सनम तेरे दीवाने हो गए, 

 किसी की तलाश है
नन्हा जुगनू 
छूकर पलकों को
देने लगा 


 यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।!





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