सादर अभिवादन...
आज हिमांचल प्रदेश में
आज हिमांचल प्रदेश में
बारिश के साथ-साथ आँधी भी चल रही है
ऐसा भाई कुलदीप जी फोन पर बता रहे थे..
पहाड़ी इलाके में रहते हैं...
ऐसा भाई कुलदीप जी फोन पर बता रहे थे..
पहाड़ी इलाके में रहते हैं...
ये भी कह रहे थे इस बार त्रिशंकु की उम्मीद है
चलिए बगैर ताम-झांम के सीधे रचनाओं की ओर...
जनता
तलाशती है
तराशती है
फिर सजाती है
अपनी बाजी और
जिताती है उसे
हम बुज़ुर्गों के चरणों में झुकते रहे
पद प्रतिष्ठा के संजोग बनते रहे
वो समुंदर में डूबेंगे हर हाल में
नाव कागज़ की ले के जो चलते रहे

सुना -अनसुना
कर
हर पल गुजरता
क्या किस्सा
कहे उनकी
बेरुखी का !
उमर का
सफीना
साहिल पे डूबा
जमाना भी था
तब दिल्लगी का !

यही खुशफ़हमियाँ मुझ को यहाँ तक खींच लाईं
तुम्हारे शहर में अब तक वही मन्ज़र मिलेँगे
न मंज़िल की खबर जिनको न राहों का पता है
जिधर भी जाओगे तुमको वही रहबर मिलेंगे
चले आना किसी दिन उसको अपना घर समझ कर
तुम्हारे सब पुराने ख्वाब मेरे घर मिलेंगे

पत्थर के शहर में शीशे का मकान ढूँढ़ते हैं।
मोल ले जो तन्हाईयाँ ऐसी एक दुकान ढूँढते हैं।।
हर बार खींच लाते हो ज़मीन पर ख़्वाबों से,
उड़ सके कुछपल सुकूं के वो आसमां ढूँढते है

कई सारे
लोगों के
मिलकर
किये जा
रहे कुछ
अजीब से
काम
जब नजीर
हो रहे होते हैं ।
आज के लिए बस..
दें आदेश
दिग्विजय..
Great Italian Motorbike Display
एक मिनट सत्रह सेकेण्ड
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