
रेनबो में हम
समझते अपनी
बाल दिवस बीत गया .... बालिका दिवस की प्रतीक्षा है
आजमा ही लेते हैं कितनी बची है हम में
संवेदना
जगे को सुलाती है
और सोय़े को जगाती है !
तू बस वही है न ..!
जो जीवन में जीवन का प्रमाण है
सर्द गर्म का कठोर नर्म का
मधुर का तीखे का आभाष कराती है !
तू है तो ग्यानेंद्रियां सक्रीय है
तुम्हारे नही होने का अर्थ
नि:संदेह मृत्यु ही है….||
संवेदना
डालियों में होती है बेचैनी
शायद चीर कर टहनियों के बाजुओं को
कोई निकालना चाहता है बाहर
एक नए सृजन के लिए।
संवेदना
वास्तव में यह आज की शहरीकरण की देन है।
शहर में वायु प्रदूषण, मागों पर पेट्रोल-डीजल से चलने वाले
वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण उसके धुएं भी बढ़ रहे हैं।
इन धुओं में कार्बन डायऑक्साइड के कण शामिल होते हैँ।
जो सांस नली में चले जाते हैं, वहां जाकर सूजन पैदा करते हैं।
संवेदना

><><
31 जुलाई 2017 में रिटायर्ड होने के बाद
जहां अध्ययन किये इंजीनियरिंग का
उस कॉलेज में जुटे हैं
मेरे पति अपने साथ पढ़ने वालों से मिलने
18-19 नवम्बर बहुत मस्ती होने वाली है
याद करेंगे अपने किये शैतानियाँ उधम बाजी
आती हूँ यादें बटोर .....फिर मिलेंगे
आजमा ही लेते हैं कितनी बची है हम में
संवेदना
जगे को सुलाती है
और सोय़े को जगाती है !
तू बस वही है न ..!
जो जीवन में जीवन का प्रमाण है
सर्द गर्म का कठोर नर्म का
मधुर का तीखे का आभाष कराती है !
तू है तो ग्यानेंद्रियां सक्रीय है
तुम्हारे नही होने का अर्थ
नि:संदेह मृत्यु ही है….||
संवेदना
डालियों में होती है बेचैनी
शायद चीर कर टहनियों के बाजुओं को
कोई निकालना चाहता है बाहर
एक नए सृजन के लिए।
संवेदना
वास्तव में यह आज की शहरीकरण की देन है।
शहर में वायु प्रदूषण, मागों पर पेट्रोल-डीजल से चलने वाले
वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण उसके धुएं भी बढ़ रहे हैं।
इन धुओं में कार्बन डायऑक्साइड के कण शामिल होते हैँ।
जो सांस नली में चले जाते हैं, वहां जाकर सूजन पैदा करते हैं।
संवेदना

><><
31 जुलाई 2017 में रिटायर्ड होने के बाद
जहां अध्ययन किये इंजीनियरिंग का
उस कॉलेज में जुटे हैं
मेरे पति अपने साथ पढ़ने वालों से मिलने
18-19 नवम्बर बहुत मस्ती होने वाली है
याद करेंगे अपने किये शैतानियाँ उधम बाजी
आती हूँ यादें बटोर .....फिर मिलेंगे
