सादर अभिवादन।
हमारे माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अँग्रेज़ी भाषा में ही अर्ज़ी,दलील और ज़ल्द सुनवाई का आग्रह दाख़िल करने का नियम है। लेकिन पिछले गुरूवार को आगरा निवासी एक याचिकाकर्ता ने मामले को हिंदी में ही उठाया और ज़ल्द सुनवाई का आग्रह किया जिस पर सरकारी वकील द्वारा विरोध करते हुए कहा गया आप अँग्रेज़ी में बात रखें यहाँ की भाषा अँग्रेज़ी ही है। लेकिन माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हिंदी में ज़ल्द सुनवाई के आग्रह को स्वीकार कर लिया। ऐसे समाचार हिंदी प्रेमियों को परेशान करने वाले हैं।
बहरहाल अब चलते हैं आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर -
इस समय चुनावी माहौल धीरे-धीरे गरमा रहा है। अब लगातार चुनावों की सरगर्मी हमें चैन से नहीं बैठने देगी। अभी गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का दौर चरम पर है। भाई कुलदीप जी मतदाताओं को चेतने का आग्रह कर रहे हैं अपनी इस रचना में -
बहरहाल अब चलते हैं आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर -
इस समय चुनावी माहौल धीरे-धीरे गरमा रहा है। अब लगातार चुनावों की सरगर्मी हमें चैन से नहीं बैठने देगी। अभी गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का दौर चरम पर है। भाई कुलदीप जी मतदाताओं को चेतने का आग्रह कर रहे हैं अपनी इस रचना में -
हम भारत के मत दाता है....
हैं तो हम बहुत भाग्यशाली
क्योंकि ये मत का अधिकार
आज भी हमारे पास हैं
शताबदियां बदल गयी
युग बदल गये
पर हम आज भी
नहीं बदले,
क्योंकि हम अपना मत देकर
आज भी नहीं पूछते
हमारे मत का क्या हुआ?
ब्लॉगिंग की दुनिया का जाना माना नाम है आदरणीया कविता रावत जी का नाम। उनके काव्य संग्रह "लोक उक्ति में कविता" के प्रकाशन पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं। इस काव्य संग्रह पर अपनी समीक्षा प्रस्तुत कर रहे हैं "परिकल्पना समय" मासिक पत्रिका के प्रधान संपादक आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी -

कविता रावत अपनी कविताओं में कहीं आग बोती नज़र आती है तो कहीं आग काटती। ऐसी आग जो आँखों के जाले काटकर पुतलियों को नई दिशा देती है, अंधेरा काटकर सूरज दिखाती है, हिमालय गलाकर वह गंगा प्रवाहित करती है जिससे सबका कल्याण हो। कविता रावत की कविता रुलाती नहीं हँसाती है, सुलाती नहीं जगाती है, मारती नहीं जिलाती है। सचमुच कविता की कविता शाश्वत एवं चिरंतन है।
आपकी सेवा में पेश हैं तीन बेहतरीन ग़ज़लें आदरणीय प्रमोद कुमार कुश 'तनहा' की सुंदर क़लमकारी से-

साहिलों को तोड़ने की आरज़ू मत छोडिये
सोच भी लेकिन समंदर सी रहे तो ठीक है
सामने बैठे रहो तो रूह को पहुंचे सुकूं
इश्क़ की दीवानगी बढ़ती रहे तो ठीक है
जीवन में संसार की असारता का बोध जितना ज़ल्द हो जाय वही उत्तम है। आदरणीय दिलीप सोनी जी का नज़रिया पढ़िए क्या कहता है -

जिन्दगी भर,
मेरा- मेरा- मेरा किया....
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया...
कोई न देगा साथ...
जायेगा खाली हाथ....
छोटे अंतराल के बाद आदरणीय दिगंबर नास्वा जी पुनः हाज़िर हुए हैं एक हृदयस्पर्शी ग़ज़ल के साथ। पढ़िए माँ को समर्पित एक नज़ाकत भरी ग़ज़ल-
छोटे अंतराल के बाद आदरणीय दिगंबर नास्वा जी पुनः हाज़िर हुए हैं एक हृदयस्पर्शी ग़ज़ल के साथ। पढ़िए माँ को समर्पित एक नज़ाकत भरी ग़ज़ल-

इस दौर के लोगों का कैसा है चलन देखो
अपने ही सभी शामिल रिश्तों की तिजारत में
हर वक़्त मेरे सर पर रहमत सी बरसती है
गुज़रे थे मेरे दिन भी कुछ माँ की इबादत में
"पाँच लिंकों का आनन्द" ब्लॉग पर अपनी सशक्त उपस्थिति देने वाले आदरणीय पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी व उनकी जीवनसाथी के साथ हमें विचलित करने वाला कार दुर्घटना का समाचार मिला। हाल ही में हमसे जुड़े बहुमुखी प्रतिभा के धनी, अनेक विधाओं में दख़ल रखने वाले आदरणीय अमित जैन "मौलिक" जी के बारे में भी ठीक वैसा ही बेचैन करने वाला समाचार मिला। पाँच लिंकों का आनन्द परिवार आप चारों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता है। पढ़िए आदरणीय अमित जी की एक शानदार प्रस्तुति -
मैं माँ के कदमों को छू कर निकलता हूँ
फिर दोस्त मेरा ये सारा शहर होता है।
माँ आज भी मुझे सज़दे में ही मिलती है
मुझे घर आने में वक़्त अगर होता है।
हमारे शुक्रवारीय अंक की चर्चाकार आदरणीय श्वेता सिन्हा जी की क़लम तेज़ रफ़्तार पकड़ चुकी है। उनके सृजन में नितांत मौलिकता और नवीनता हमें बरबस आकृष्ट करती है। जीवन और प्रकृति पर इनकी रचनाओं में माधुर्य और लालिल्य का अनूठा समावेश मिलता है। पढ़िए उनकी एक सद्यरचित रचना -

सुनो,
रोज आया करो न
आँगन में मेरे
जाया करो बरसाकर
बातों की चाँदनी
क्या फर्क है कि
तुम दूर हो या पास
एहसास तुम्हारा
भर देता है रोशनी
कल छत्तीसगढ़ राज्य के गठन को सत्रह वर्ष पूरे हो गए। लम्बे संघर्ष के बाद यह राज्य म. प्र. से पृथक होकर अस्तित्व में आया तब भारतरत्न आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी जी की केंद्र में सरकार थी। पृथक राज्य की स्वीकृति केंद्र सरकार का अधिकार क्षेत्र है। सभी छत्तीसगढ़वासियों को बधाई एवं शुभकामनाऐं। आदरणीय गगन शर्मा जी इस प्रदेश की विशेषताओं को सुंदर ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं अपने इस सारगर्भित आलेख में -
मैं छत्तीसगढ हूं, आज मेरी सालगिरह है.....गगन शर्मा, कुछ अलग सा

मेरे साथ ही भारत में अन्य दो राज्यों, उत्तराखंड तथा झारखंड भी अस्तित्व में आए हैं और उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हैं। मेरी तरफ से आप उनको भी अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करें, मुझे अच्छा लगेगा। फिर एक बार आप सबको धन्यवाद देते हुए मेरी एक ही इच्छा है कि मेरे प्रदेश वासियों के साथ ही मेरे देशवासी भी असहिष्णुता छोड़ एक साथ प्रेम, प्यार और भाईचारे के साथ रहें। हमारा देश उन्नति करे, विश्व में हम सिरमौर हों।
जयहिंद।
आज के लिए बस इतना ही।
आपके सारगर्भित सुझावों एवं उत्साहित करती प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में।
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
मैं छत्तीसगढ हूं, आज मेरी सालगिरह है.....गगन शर्मा, कुछ अलग सा

मेरे साथ ही भारत में अन्य दो राज्यों, उत्तराखंड तथा झारखंड भी अस्तित्व में आए हैं और उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हैं। मेरी तरफ से आप उनको भी अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करें, मुझे अच्छा लगेगा। फिर एक बार आप सबको धन्यवाद देते हुए मेरी एक ही इच्छा है कि मेरे प्रदेश वासियों के साथ ही मेरे देशवासी भी असहिष्णुता छोड़ एक साथ प्रेम, प्यार और भाईचारे के साथ रहें। हमारा देश उन्नति करे, विश्व में हम सिरमौर हों।
जयहिंद।
आज के लिए बस इतना ही।
आपके सारगर्भित सुझावों एवं उत्साहित करती प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में।
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव