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#श्वेता
दाहरणार्थ ली गई रचना
स्मृतिशेष जयशंकर प्रसाद
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर,
बैठ शिला की शीतल छाँह
एक पुरुष, भीगे नयनों से
देख रहा था प्रलय प्रवाह ।
नीचे जल था ऊपर हिम था,
एक तरल था एक सघन,
एक तत्व की ही प्रधानता
कहो उसे जड़ या चेतन ।
★
कालजयी रचनाएँ
पंडित राकेशधर द्विवेदी
जीवन के अविराम समर में,
तुम आगे बढ़ते जाओ।
सूरज-चांद निहारे तुमको,
ऐसा गीत गाकर सुनाओ।
जीवन की कर्तव्य शिला पर,
अमिट शीतल चंदन बन जाओ।
विष भुजंग पास न आ पावे,
तुम निर्भय नेवल बन जाओ।
★
आदरणीया डॉ. अमिता तिवारी
समय की शिला पर
यह समय की शिला है
सिंहासन की भी बपौदी नहीं कि
उठा ली जाए यहाँ, पटक दी जाए वहां
बेमोल बिक जाए या ताकत से डर जाए
कुसूर या बेकसूर बस सूली लटक जाए
इस पर कुछ उकेरने का भी प्रयास मत करना
सोचना भी मत, यह सपने तक पहचान जाती है
यह समय की शिला है सब जान जाती है।
★
पंडित अनिल पांडेय
ये शिला पर हार का इतिहास रचते हैं ...
तू रोता है
दिल हँसता है
दिल !
तू हँसता है
जीवन रोता है
तुम !
मिल कर समय को
नपुंसक बनाते हो
समय !
न छोड़ना इन्हें
ये शिला पर हार के
इतिहास लिखते हैं
★
स्मृतिशेष शंभुनाथ सिंह
समय की शिला पर....
समय की शिला पर मधुर चित्र कितने
किसी ने बनाए, किसी ने मिटाए।
किसी ने लिखी आँसुओं से कहानी
किसी ने पढ़ा किन्तु दो बूँद पानी
इसी में गए बीत दिन ज़िन्दगी के
गई घुल जवानी, गई मिट निशानी।
आदरणीया सुजाता प्रिया जी
★★★★★★
आदरणीया अनुराधा चौहान जी
★★★★★★★
आदरणीय सुबोध सिन्हा जी
दोनों प्रेम-प्रदर्शन में शिला ...
समान है दोनों में शिला
पर एक सफ़ेद क़ीमती
मकराना की शिला
तो दूसरी गहलौर के
पहाड़ की काली शिला
★★★★★
कैसा लगा?
आप सभी की बहुमूल्य
प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम का अगला विषय
जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना। न भूले।
आज के लिए आज्ञा दीजिए
#श्वेता सिन्हा
वाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।सबकी शिला अनमोल है।मेरी शिला को भी स्थान देने के लिए धन्यबाद।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंव्वाहहहह..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ..
सादर..
पचासी=जो अस्सी से पाँच अधिक हो
जवाब देंहटाएंअति सुंदर सराहनीय संकलन
बेहतरीन रचनाओं का लाजवाब संकलन ।
जवाब देंहटाएंवाह! शानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंशिला अपने आपमें एक नीरस विषय है, कठोरता का प्रतीक है शिला है. शिलाओं में सौंदर्य,संवाद और संवेदना की तलाश रचनाकार का चिंतन और कल्पनालोक एक नवीन दृष्टिकोण के साथ उभरता है.
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
श्वेता जी ! ब्लॉग की दुनिया में लाने और मेरी रचना को हमकदम के पिचसीवां अंक में साझा कर मेरी रचना का मान बढ़ाने के लिए पुनः आपको मन से आभार ....
जवाब देंहटाएंयशोदा जी और दिग्विजय जी का हार्दिक आभार मेरी रचना को बार -बार इस मंच पर साझा कर उत्साहवर्द्धन करने के लिए ... एक बार तो मेरा एकल अंक बना कर यशोदा जी अचम्भित ही कर गई थीं
पुनः नमन करता हूँ आप सबों की पारखी नज़र को ....
शुभ प्रभात ! शिला पर सुंदर रचनाओं का संकलन..बधाई !
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति सुन्दर रचनाएं।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन शिला विषय पर रचनाओं का |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |एक ही विषय पर बिभिन्न रचनाएं पढ़ना बहुत अच्छा लगता है |
वाह!!श्वेता ,बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति ! सभी रचनाएँ उत्कृष्ट !!👍
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हमक़दम की प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतिकरण लाजवाब शिला विशेषांक...
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन
जवाब देंहटाएंBhojpuriSong.in
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Very Nice Post.
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