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सोमवार, 26 अगस्त 2019

1501....पिच्चासिवाँ अंक हम-क़दम का......शिला

स्नेहिल अभिवादन
--------
हाँ, मैंने महसूस किया है
शिलाओं को कुहकते हुये
मूक मूर्तियों में गढ़ते समय 
औजारों की मार सहकर
दर्द से बिलखते हुये
नींव बनकर चुपचाप 
धरती की कोख में धँसते हुये
लुटाकर अस्तित्व वास्तविक
आत्मोत्सर्ग से दमकते हुये
#श्वेता

दाहरणार्थ ली गई रचना
स्मृतिशेष जयशंकर प्रसाद
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर,
बैठ शिला की शीतल छाँह
एक पुरुष, भीगे नयनों से
देख रहा था प्रलय प्रवाह ।

नीचे जल था ऊपर हिम था,
एक तरल था एक सघन,
एक तत्व की ही प्रधानता
कहो उसे जड़ या चेतन ।

कालजयी रचनाएँ
पंडित राकेशधर द्विवेदी
जीवन के अविराम समर में,
तुम आगे बढ़ते जाओ।  
सूरज-चांद निहारे तुमको,
ऐसा गीत गाकर सुनाओ।

जीवन की कर्तव्य शिला पर,
‍अमिट शीतल चंदन बन जाओ।
विष भुजंग पास न आ पावे,
तुम निर्भय नेवल बन जाओ।

आदरणीया डॉ. अमिता तिवारी
समय की शिला पर 

यह समय की शिला है
सिंहासन की भी बपौदी नहीं कि
उठा ली जाए यहाँ, पटक दी जाए वहां
बेमोल बिक जाए या ताकत से डर जाए 
कुसूर या बेकसूर बस सूली लटक जाए
इस पर कुछ उकेरने का भी प्रयास मत करना
सोचना भी मत, यह सपने तक पहचान जाती है
यह समय की शिला है सब जान जाती है।

पंडित अनिल पांडेय 
ये शिला पर हार का इतिहास रचते हैं ...

तू रोता है 
दिल हँसता है

दिल ! 
तू हँसता है
जीवन रोता है

तुम ! 
मिल कर समय को 
नपुंसक बनाते हो

समय ! 
न छोड़ना इन्हें 
ये शिला पर हार के 

इतिहास लिखते हैं

स्मृतिशेष शंभुनाथ सिंह
समय की शिला पर.... 
समय की शिला पर मधुर चित्र कितने
किसी ने बनाए, किसी ने मिटाए।

किसी ने लिखी आँसुओं से कहानी
किसी ने पढ़ा किन्तु दो बूँद पानी
इसी में गए बीत दिन ज़िन्दगी के
गई घुल जवानी, गई मिट निशानी।


★★★★★★

नियमित रचनाएँ
आदरणीय साधना वैद जी
देखती रहती हूँ
उसकी राह
जिसकी दृष्टि में
पाई नहीं
पहचान कोई !
बन चुकी हूँ इक शिला
मैं झेल कर
संताप इस निर्मम
जगत के,
और बेसुध सी कहीं
सोई पड़ी हूँ

★★★★★★
आदरणीया आशा लता सक्सेना जी
पति कोप से हुई  श्रापित
शिला हुई  गौतम नारी बेचारी
युग बीता अहिल्या बनी साक्षी
उस काल की घटनाओं की
कितनी ऋतुएँ आई गईं
शिला पर परत गर्त की चढ़ती गई
इस रूप में जीते जीते वह हारी
★★★★★★
आदरणीया सुजाता प्रिया जी
शिला तेरा रुप अनूप

तूने पाया है  साहस अनेक।
तू मौन खड़ी सब रही देख।
उत्थान-पतन औ लय-विलय।
वह रौद्र रूप में होता प्रलय।

        तू देवी - देवता यक्ष बनी।
        तू साक्षी सदा प्रत्यक्ष बनी।
        तू ही खड्ग,हथियार बनी।
        तू गुफा-खोह,घर-बार बनी।

★★★★★★

आदरणीया अनुराधा चौहान जी
रिश्तों को बीच खड़ी
द्वेष की शिला
सपनों को कुचलती
तोड़ती नन्ही आशाएं
दिलों के बीच खड़ी
बिखेरती है जज़्बात
चुभती रहती मन में
★★★★★★★
आदरणीय सुबोध सिन्हा जी
दोनों प्रेम-प्रदर्शन में शिला ...

समान है दोनों में शिला
पर एक सफ़ेद क़ीमती
मकराना की शिला
तो दूसरी गहलौर के
पहाड़ की काली शिला
★★★★★

आज का हमक़दम 
कैसा लगा?
आप सभी की बहुमूल्य 
प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम का अगला विषय
जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना। न भूले।

आज के लिए आज्ञा दीजिए

#श्वेता सिन्हा

17 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।सबकी शिला अनमोल है।मेरी शिला को भी स्थान देने के लिए धन्यबाद।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाहहहह..
    बेहतरीन रचनाएँ..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. पचासी=जो अस्सी से पाँच अधिक हो
    अति सुंदर सराहनीय संकलन

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन रचनाओं का लाजवाब संकलन ।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह! शानदार प्रस्तुति.
    शिला अपने आपमें एक नीरस विषय है, कठोरता का प्रतीक है शिला है. शिलाओं में सौंदर्य,संवाद और संवेदना की तलाश रचनाकार का चिंतन और कल्पनालोक एक नवीन दृष्टिकोण के साथ उभरता है.
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  6. श्वेता जी ! ब्लॉग की दुनिया में लाने और मेरी रचना को हमकदम के पिचसीवां अंक में साझा कर मेरी रचना का मान बढ़ाने के लिए पुनः आपको मन से आभार ....
    यशोदा जी और दिग्विजय जी का हार्दिक आभार मेरी रचना को बार -बार इस मंच पर साझा कर उत्साहवर्द्धन करने के लिए ... एक बार तो मेरा एकल अंक बना कर यशोदा जी अचम्भित ही कर गई थीं
    पुनः नमन करता हूँ आप सबों की पारखी नज़र को ....

    जवाब देंहटाएं
  7. शुभ प्रभात ! शिला पर सुंदर रचनाओं का संकलन..बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  8. लाजवाब प्रस्तुति सुन्दर रचनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुप्रभात
    बहुत सुन्दर संकलन शिला विषय पर रचनाओं का |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |एक ही विषय पर बिभिन्न रचनाएं पढ़ना बहुत अच्छा लगता है |

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह!!श्वेता ,बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति ! सभी रचनाएँ उत्कृष्ट !!👍

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर हमक़दम की प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी

    जवाब देंहटाएं
  13. शानदार प्रस्तुतिकरण लाजवाब शिला विशेषांक...
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  14. शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन
    BhojpuriSong.in

    जवाब देंहटाएं

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