जय मां हाटेशवरी...
स्वागत है...
आप सभी का...
हर तरफ प्रसन्नता है...
क्यों न हो...
मौसम ही ऐसा है...
चलते हैं आज के आनंद की ओर...
पर उससे पहले...
ले के ख़ुदा का नूर वो आना वसंत का
गुलशन के हर कोने पे वो छाना वसंत का
दो माह के इस वक्त में रंग जाए है कुदरत
सबसे अधिक मौसम है सुहाना वसंत का।
मेला बसंत-पंचमी का गाँव-गाँव में
और गोरियों का सजना-सजाना वसंत का
वो रंग का हुड़दंग वो जलते हुए अलाव
आता है याद फाग सुनाना वसंत का
होली का जब त्यौहार आये मस्तियों भरा
मिल जाए आशिकों को बहाना वसंत का
कोई हसीन शय ख़लिश रहे न हमेशा
अफ़सोस, आ के फिर चले जाना वसंत का।
विंडोज़ लाइव राइटर का ओपन सोर्स नुमा संस्करण ओपन लाइव राइटर
Ravishankar Shrivastava
इसमें अब अंतर्निर्मित हिंदी स्पेल चेकर – यानी हिंदी वर्तनी जांच की सुविधा उपलब्ध और क्या खूब उपलब्ध!
स्क्रीनशॉट पर निगाह मारें, और सीधे ही open live writer के डाउनलोड लिंक पर जाएँ और अपनी पोस्टों में शुद्धता भरें.
और हाँ, क्या आपको बताने की जरूरत है कि इस औजार को आप हिंदी टैक्स्ट एडीटर (हिंदी शब्द संशोधक) या वर्ड प्रोसेसर के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं और इसमें
टाइप की गई सामग्री को शुद्ध कर अपनी हिंदी फ़ेसबुकिया पोस्टों को भी ठीक कर सकते हैं.
परिवर्तन मौसम का
Asha Saxena
पर अचानक गिरता त्ताप्मान
बर्फवारी की मार
किसान कैसे झेल पाता
पाले के आसार देख
बेचारा सदमें में आजाता
आनेवाले कल के हश्र में
खुद को असुरक्षित पा
जीवित रहना नहीं चाहता
टूटना शुभ होता है कांच का .... सदा
yashoda Agrawal
गिरकर उठना फिर संभल जाना संभव होता है,
नजरों में गिरकर उठ पाना मुश्किल हो जाता है ।
लड़ लेता है इंसान हर लड़ाई गैरों से हर तरह,
अपनों से लड़कर जीतना मुश्किल हो जाता है ।
किसी की चाह सीने में जगा कर देखते हैं
हिमकर श्याम
उन्हें देखे से लगता है पुरानी आशनासाई
यकीं आ जाएगा नज़दीक जाकर देखते है
उमीदें हैं अभी रौशन रगों में है रवानी
गुज़रते वक़्त से लम्हा चुरा कर देखते हैं
यही प्यार है......
Akanksha Yadav
दो अजनबी निगाहों का मिलना
मन ही मन में गुलों का खिलना
हाँ, यही प्यार है............ !!
बसंत
जयन्ती प्रसाद शर्मा
जाड़े की जड़ता दूर हुई,
मनों की निराशा काफूर हुई।
पक्षियों का कलरव बना रहा,
सुखद भविष्य की सम्भावना............. आ गया बसंत........ ।
फूल रही खेतों में सरसों,
साजन आ जायेंगे परसों।
खिली कली आशा की,
लिख गई गोरी के मन में मिलन की प्रस्तावना............. आ गया बसंत....... ।
Impact of western culture in hindi
Jyoti Dehliwal
• पाश्चात्य देशों में एक-दूसरे के प्रति विश्वास का वातावरण है। अनायस कोई किसी पर शक नहीं करता। हम सहसा अजनबी पर विश्वास ही नहीं करते। हमें भी एक-दूसरे
पर विश्वास करना सीखना होगा।
• हमें भी उनकी तरह ट्राफ़ीक नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा ताकि अपघातों की संख्या में कमी आएं।
• उनकी तरह हमें भी अपनी मुद्रा की इज्जत करते हुए, नोटों पर कुछ भी लिखने से अपने-आप को रोकना होगा।
• उनकी तरह स्वच्छता का ख्याल रखते हुए सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाने से अपने-आप को रोकना होगा।
• उनकी ही तरह बिजली और पानी की बचत करना सीखना होगा।
आज तक का इतिहास देखते हुए यहीं लगता है कि हमने west का best न लेकर west का waste ही लिया है! पश्चिमी सभ्यता ने हम पर किसी भी चीज को अपनाने को लेकर दबाव
नहीं डाला है। यह हमारे उपर निर्भर है कि हम उनसे क्या लेते है best या waste!!!
धरती का भगवान
Hitesh Sharma
सबका ये है पेट भरता
फिर भी रोज़ मरता किसान
गिरता , पड़ता , रोता , बिलखता
पर कभी उठ नहीं पाता
भीड़ भरी दुनिया में
सदा अपने को अकेला पाता
सबकुछ जान कर भी, हम बने अनजान
बस और अधिक नहीं...
बस आनंद आना चाहिये...
धन्यवाद।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबढ़िया व सलीकेदार प्रस्तुति
आनन्दित कर गई
सादर
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
कुलदीप जी, उम्दा प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंधन्यबाद कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर और पठनीय लिंक्स। मुझे शामिल किया, आभार।
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