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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

210....जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना

जय मां हाटेशवरी....

आप सभी का स्वागत है...
पुनः उपस्थित हूं...
आनंद पर...
आनंद का एक और अंक लेकर....
"मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान हैं बहुत लोग..
पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे.."
पांच लिंकों का आनंद...
आज अपने बढ़ते प्रशंसकों के साथ...
अपनी नयी पहचान लिये....
अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है...
प्रयास रहेगा...कि ये सफर कभी न रुके...
"वो और होंगे जो डर से मैदान छोड़ देते है
हम तो वो है जो आंधियो का रूख भी मोड़ देते है।।।"

s320/2222
करीबी बताते हैं कि उनकी महफिलों का मतलब है किस्से, चर्चे, साहित्य की बातें, कुछ गॉसिप, चुहुलबाजी, सामयिक विषयों पर चर्चाएं, राजनीति की भी बातें और घर में
ही मशीन पर बनते सोडा के साथ कांच के सुंदर गिलासों में भरती शराब, उनकी खुद की तैयार की हुई कोई नानवेज डिश और रोटी बनाने की मशक्कत से बचने के लिए पास की
ब्रेकरी से मंगाए हुए पाव। उनके घर में निंदा रस की भी गुंजाइश रहती थी। इसकी चपेट में कवि, समीक्षक, साहित्यकार फिल्म जगत और अखबारी लोग ही आते थे। या फिर
कथित सांप्रदायिक आचरण वाले लोगों पर उनका गुस्सा बरसता था। गीत संगीत साथ-साथ चलता और जब उनकी इच्छा हो तो राजनीति पर भी बातें हो जाती थीं।
निदा जी का जीवन, दुनिया को देखने, समझने की तहजीब देता है। लोगों तक पहुंचने के लिए वे आवरण नहीं बनाते, लेकिन थोड़ी-सी परख हो तो निदा समझ में आने लगते हैं।
सुना है शायरी-गजल लिखने के लिए शायद ही कभी वह अपना खास मिजा़ज बनाते हों। कब लिखते हैं, पता नहीं चलता । जब भी कुछ नया लेकर आते, उस दिन कुछ देर की संगत के
बाद उसे धीरे-धीरे तर्ज में यार दोस्तों को सुनाने लगते। लोग वाह ! वाह ! ही करते। दूसरों को भी खूब सुनते हैं। युवाओं की कविता-कहानी, गीत,गजल को वह बहुत दिलचस्पी
से सुनते थे। निदा जी के चले जाने की खबर वाकई पीडादायक है, लेकिन एक कलमकार यही कह सकता है कि निदाजी .. हम तुम्हें मरने ना देंगे, जब तलक जिंदा कलम है।


अनारक्षित आदमी
आज लोकतंत्र में गुम है
उसे तंत्र की तरफ से
इतनी भी
सुविधा नहीं
कि वह अपना दुख प्रकट करे
अपने आंसू छलकाए
अपनी पीड़ा व्यक्त करे
वह देखता है
सारा तंत्र
सारी व्यवस्था
सारा लोकतांत्रिक बुद्धि-विवेक
केवल आरक्षित श्रेणी
में चढ़ने को है आतुर



sweat यानि पसीना और इस से जुडी बदबू की समस्या किसी को भी हो सकती है और यह कोई बड़ा health issue तो नहीं है लेकिन अगर बदबू थोड़ी ज्यादा हो तो जिस व्यक्तिको यह समस्या है उसके पास खड़ा रहना भी असहनीय हो जाता है | वैसे तो हम सबकी शारीरिक दशा अलग अलग होती है किसी को कम पसीना आता है किसी को अधिक लेकिन जब हम किसी
public place पर होते है तो जरुरत से अधिक पसीना और पसीने की बदबू आपको थोडा शर्मशार कर सकती है |


इसी एक रंग से रंगती हैं सरकार
रँगा-रँगाया , रंगबाज़ , रंगरसिया, रंगदार
जिनके हाथों के बीच के हम मच्छड़
जाने कब ताली पीट दे या दे रगड़
इनसे बचने का तो एक भी उपाय नहीं
हाँ! जी हाँ! हम मच्छड़ ही हैं कोई दुधारू गाय नहीं .


बागों के भौरों की गुंजन
फ़ैल रही खुश्बू बन बन
मधुबन में तो गुंज रहा है
पुष्पित स्वासों का स्पंदन
बसंतराजा सजकर आए
प्रकृति रोम रोम हरषाए
तुम कब गठरी खोलोगे
परिचय से पहले बोलोगे


ग्राम पंचायत रानी डोंगरी नाम लोकदेवी देवी रानी माई के नाम से है, रानी माई आस पास के सात आठ गाँव की देवी हैं। जो टिकरापारा से लगभग 3 किमी की दूरी पर जंगल
में डोंगरी की गुफ़ा में विराजती हैं, ग्राम परम्परा के अनुसार वहाँ पूजा करने के लिए बैगा किरपा राम सोरी नियुक्त है। जब भी देवी की पूजा करनी होती है या उन्हें
ग्राम में आमंत्रित करना होता है तो बैगा के माध्यम से ही इस कार्य को सम्पन्न किया जाता है। मड़ई के दिन सारे गाँव वासी रानी माई होम धूप देकर गाँव आने का निमंत्रण
देते हैं, तथा उसके आदेश के बाद मड़ई की डांग लेकर गाँव आया जाता है, देवी मड़ई के कार्य को सफ़ल बनाने के लिए गाँव में पधारती हैं, साथ ही अनुषांगी देवता भी ग्राम
में पहुंचते हैं।


s200/Untitled
हाँ, ज्ञात है अंतर साहस और दुस्साहस का
रीत-रिवाज के नाम पर होते शोषण के विरुद्द
मेरे भीतर बसती स्त्रीत्व की चेतना
परम्पराओं से  जद्दोज़हद
करने के खेल में
छद्म आधुनिकता के जाल से बचने का
विवेक रखती है ।

इस प्रस्तुति को बनाने में
यशोदा दीदी का भरपूर सहयोग मिला
आभारी हूँ......

जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना.
कम्बख्त ये जिंदगी.. भरोसे के काबिल नहीं है.!
धन्यवाद...

निदा जी की आवाज़ जीवित है
सुरक्षित कर लीजिए
जगजीत पैदा हुए और निदा जी चल दिए
एक ही दिन....




5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    वाह...
    मैं सिर्फ वीडियो पोस्ट की हूँ
    और सहयोगी होने का श्रेय ले गई
    बड़प्पन है आपका कुलदीप भाई
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
    जगजीत सिंह जी की गायकी और निदा फ़ाज़ली जी का गजल लेखन बेजोड़ संयोग है ...

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर सूत्रों का आनंद लिया । हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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