शीर्षक पंक्ति: आदरणीय जयकृष्ण राय तुषार जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।
आइए पढ़ते हैं पाँच पसंदीदा रचनाएँ-
भरी दोपहरी में
जीवन की
यदि शिकायत ही करते रह गये
तो ख़ाली हाथ जाना होगा
फिर उस दीर्घ मार्ग पर
कोई न ठिकाना होगा!
*****
मुझको भी
तैरना है परिंदो के साथ में
संगम के बीच माँझी तू मुझको उतार दे
झूले पे मैं
झुलाऊँगा राधा जू स्याम को
चन्दन की काष्ठ, भक्ति से गढ़के सुतार दे
*****
रिश्ते खूब मिले
पर प्रशंसा का अभाव मिला
नाम तो खूब मिला
पर अर्थ का अभाव मिला
चलते रहे निरंतर
पर मुकाम का अभाव मिला
*****
अत :व्यक्ति के लिए
अपने तन के स्वास्थ्य के साथ मन और आत्मा के स्वास्थ्य की चिंता करना भी उतना ही आवश्यक है। जिस तरह स्थूल शरीर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा व्यायाम और भोजन आवश्यक है उसी प्रकार मन और आत्मा के अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति का अच्छे लोगों की संगत में बैठना
और अच्छा साहित्य पढ़ना भी अति आवश्यक है।जिस प्रकार अच्छा भोजन स्थूल शरीर की ख़ुराक है उसी प्रकार अच्छे लोगों की संगत एवं अच्छे साहित्य का पठन-पाठन व्यक्ति के मन और आत्मा की ख़ुराक है।
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात !! बड़े काम की बातें समेटे सुंदर अंक, आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक!
जवाब देंहटाएंमोहन उवाच ..
जवाब देंहटाएंसब भाषाओं के व्यंजन में
बिन हिंदी सब सूना है
जब हिंदी का लगता है तड़का
स्वाद बढ़े तब दूना है।।
सुंदर अंक
कल विश्व हिंदी दिवस है
शुभकामनाएं