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रविवार, 22 जनवरी 2023

3646....गंगा सा पावन मन लेकर भारत का परचम लहराते।

जय मां हाटेशवरी.....
एक बहुत लंबे अंत्राल के बाद.....
पुनः उपस्थित हूं.....
प्रयास रहेगा नियमित रहूं......
बिना देर किये पढ़ते हैं आप सब की बहुत खूबसूरत रचनाएं.....

मशाल जलते रहे - -
औराक़ ए ज़िन्दगी की थी अपनी ही अलग मज़बूरी,
कागज़ी फूल की तरह, इश्क़ का सिलसिला निकला,
बहुत दूर बियाबां पहाड़ियों पे हैं, कुछ बादलों के साए,
हद ए नज़र के उस पार, सदियों का फ़ासला निकला,
जलते आग पे हाथ रख कर ली थी अहद ए इन्क़लाब,
मशाल जलते रहे, लेकिन मीर ए कारवां बुझा निकला,



क्यों हो उसका उपहास -
तभी मैंने तुमसे अनुरोध किया
वह कोई खिलोना नहीं जिससे
खेला और फैक दिया ज़रा समझो |
मन को बड़ी ठेस लगती है
इस प्रकार के व्यबहार से
तुम्ही उसे समझा सकते हो
मुझे यही कहना है तुमसे |


मौनी अमावस्या
 स्नान दान कर हुए प्रफुल्लित
खुशियां जग फैलाएं
खुशी हुए परिवेश में
जाके, धारा विकास की लाएं।
रोग दोष ईर्ष्या विद्वेष से
मुक्त , भजन सब गाते
गंगा सा पावन मन लेकर
भारत का परचम लहराते।

माया के जो पार हुआ है
अहंकार का कोई स्थान ही नहीं है। अहंकार सदा अभाव का अनुभव करता है, जो है, उसे न देखकर जो नहीं है। उसकी कल्पना में मन को लगाता है। किंतु यदि उसे सारे संसार का वैभव भी प्राप्त हो जाए तो भी वह अभाव का अनुभव ही करेगा, क्यंकि वह कुछ है ही नहीं। आत्मा के साथ जुड़ने से मैं पूर्णता का अनुभव करता है। हर अभाव एक माया है और हर पूर्णता एक सत्य !  


छब्बीस दोहे "मुखरित है शृंगार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मिल जाती हैं आँख जब, तब आ जाता चैन।
गैरों को अपना करें, चंचल चितवन नैन।
--
मोती जैसी सुमन से, टपक रही है ओस।
सौरभ और पराग-कण, कलियाँ रहीं परोस.।


यादें उन दिनों की
 अब
इन दिनों
न तो वह शर्मीलापन है
धूप में ,
और न ही तुम्हारे आने की
आहट।
है तो बस
 शेष एकांकी
जीवन और प्रतीक्षा
भर।


फिर मिलेंगे।
धन्यवाद।

8 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार अंक
    ऊपर वाली रचना आदरणीय शान्तनु सान्याल जी की है, शायद लिंक मिस हो गया होगा
    लोग भूल गए थे कुलदीप जी का नाम यूं ही नहीं आभार भाई,
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आपका आभार आदरणीूय।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात! सराहनीय रचनाओं के सूत्र, बहुत दिनों बाद आपका स्वागत है, आभार मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर और पठनीय पोस्ट । आभार सहित शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर लिंक, सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई, मेरी रचना मौनी अमावस्या को चुनने के लिए हार्दिक आभार आप का,
    जय जय श्री राधे।

    जवाब देंहटाएं

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