निवेदन।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

1979..इस दिल का सबर हो..

 ।। भोर वंदन ।।

"ये सर्द मौसम, ये शोख लम्हे

फ़िजा में आती हुई सरसता,

खनक-भरी ये हँसी कि जैसे

क्षितिज में चमके हों मेघ सहसा।

कहीं पे सूरज बिलम गया है

कोई तो है, जो है राह रोके,

किसी के चेहरे का ये भरम है

हो जैसे पत्तों में सूर्य अटका..!!"

ओम निश्चल

चलिये बदलते मौसम और मिज़ाज के साथ खुद को महफ़ूज़ रख ..

नज़र डालिये चुनिंदा लिंकों पर..✍️

🌎



इस दिल का सबर हो,

 हो नाम चाहे अब गुमनामी में बसर हो

गुज़र जाए हयात जैसे भी गुज़र हो।


क्या चाहिए जो यूँ भटकता फिरता है

किसी सूरत तो इस दिल का सबर हो,


स्याही की नमी में शब्द नहीं जीवन




उभरता है, स्मृतियाँ बिखरती हैं
एक दौर था जबकि सुलेख पर बहुत ध्यान दिया जाता था. 

अब एक दौर ऐसा आया है जबकि लिखने पर ही बहुत ध्यान नहीं दिया जाता है. 

जो पीढ़ी अपने अनुभवों को लेकर आई है वह भी कंप्यूटर की चपेट में आ चुकी है, 

अक्सर, इस ऊँचे दरख़्त के नीचे



बैठ कर मैं, उसे क़रीब से
महसूस करना
चाहता
हूँ
उसकी फुसफुसाहट से ज़िन्दगी
का तत्व ज्ञान समझना
चाहता हूँ, उसकी
ऊर्ध्वमुखी
शाखा

मैं कोरोना

कुछ कहूंं..

सुनो न!!

ठुमक ठुमक 

और लचक मचक

मैं आऊं...

गजब जुल्म ढाया जा रही है जिंदगी

और खाए जा रहे हैं हम

 कितने खा लिए कितने खाने बाकी है

फिर भी नहीं होते ये कम...

।। इति शम ।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️


10 टिप्‍पणियां:

  1. व्वाहहहहहह..
    बेहतरीन अंक..
    शुभकामनाएँ..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर भूमिका और सराहनीय सूत्रों से सजी
    सुंदर प्रस्तुति दी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. हमारी कविता गजब जुल्म को चयनित करने के लिए शुक्रिया।
    उम्मीद है पसन्द आएगी

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर भूमिका के साथ सुंदर संकलन। बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  5. आकर्षक प्रस्तावना, सुन्दर संकलन व प्रस्तुति में गुथा हुआ अंक मुग्ध करता है, मुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...