बारहवाँ महीना और पहला
मंगलवारीय अंक में आप सभी का
स्नेहिल अभिवादन
गुनगुनी किरणों का
बिछाकर जाल
उतार कुहरीले रजत
धुँध के पाश
चम्पई पुष्पों की ओढ़ चुनर
दिसम्बर मुस्कुराया
शीत बयार
सिहराये पोर-पोर
धरती को छू-छूकर
जगाये कलियों में खुमार
बेचैन भँवरों की फरियाद सुन
दिसम्बर मुस्कुराया
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आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
कोई एक
कोई एक इस धार से छिटक
तट पर आ खड़ा होता है
विचार की शैवाल से पृथक कर खुद
मान्यताओं और पूर्वाग्रहों के
भँवर से निकल
मोतियों का मोह त्यागे
अनर्थ को ललकारने से बचना चाहिए
है धैर्य बेहद मूल्यों का
पर,
इतना नहीं कि;
समक्षी
अपनी नैतिकता गटक जाए
और ताकते मुंह रह जाएं
चिर -चिरंतर तक।
औरतेँ
जो अपनी इच्छा से कुएं में कूदकर
और चिता में जलकर मरी हैं
फिर से जिंदा करूंगा और उनके बयानात
दोबारा कलमबंद करूंगा
कि कहीं कुछ छूट तो नहीं गया?
कहीं कुछ बाकी तो नहीं रह गया?
कि कहीं कोई भूल तो नहीं हुई?
तुम्हारी बात सही है भाभी ... पर यही सोच रही हूँ कि अकेली बिटिया है ये ,
इसका भी बिना कन्यादान किये मर गये ,तब न जाने
कौन सा नरक मिले ! बड़े - बूढ़े कहते भी तो थे कि
बेटियों की शादी जल्दी न करने से पाप लगता है ।
इसी पाप से बचने के लिये ही तो
इसकी शादी करना चाह रही हूँ ।
कौन देखे दर्द किसका
स्वप्न पंछी मर रहें हैं
भावनाएँ शून्य होती
घाव से मन भर रहें हैं
नेत्र कर चीत्कार रोए
नाव जीवन तिलमिलाए।
और चलते-चलते पढ़िए
वो बीत चुका, अच्छा है, जो वो रीत चुका,
अब तक, लील चुका है, सब वो,
जीत चुका है, सब वो,
लाशों के ढ़ेरों में, अब चुनता है क्या रह-रह!
अबकी, बारह में, हार चले हम ग्यारह!
....
इति शुभम
कल का अंक लेकर आ रही हैं प्रिय
पम्मी दी।
-श्वेता
श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद छुटकी
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स चयन
अप्रतिम अंक..
जवाब देंहटाएंमनाइंगे खुशियां
2020 के गुज़रने का..
सादर..
वाह!श्वेता ,सुंदर रचनाओं से सजा शानदार अंक ।
जवाब देंहटाएंईश्वर करे नया साल सबसे लिए खुशियाँ लेकर आए ,
खत्म हो ये घरबंदी ....।
शानदार लिंक्स श्रेष्ठ रचनाएं बेहतरीन प्रस्तुति सखी,मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मनमोहक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!श्वेता ,सुंदर रचनाओं से सजा शानदार अंक ।
जवाब देंहटाएंईश्वर करे नया साल सबसे लिए खुशियाँ लेकर आए ,
खत्म हो ये घरबंदी ....।
SANT KABIR JI KE 108 DOHE