सावन शिवरात्रि है आज।
शिव जी के भक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिये
गंगा नदी से पात्रों में गंगाजल भरकर, काँवड़ में सजाकर कंधे पर रखकर; पैदल चलकर भक्ति-भाव व समर्पण के साथ अपने-अपने गंतव्य पर पहुँचकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सावन शिवरात्रि
में शिव जी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।
काँवड़ियों की यह यात्रा एक तपस्या की तरह होती है। मैंने इन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में काँवड़ कन्धे पर रखकर चलते हुए देखा है।
कोई तो सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर पूरी करते हैं। पैदल यात्रा की शुरुआत गंगातट से ही हो जाती है। इनके पैरों में जूते-चप्पल के अलावा कपड़े बंधे हुए भी दिखायी देते हैं कभी इन्हें नंगे पाँव चलते हुए भी देखा जा सकता है। अब इनमें महिला काँवड़ियों को भी देखा जा सकता है। इन्हें शारीरिक कष्ट की कोई परवाह नहीं होती है। इनके सूजे हुए पाँव, तलवों में छाले आदि मैंने अक्सर देखे हैं।
दिल्ली में काँवड़ियों की सेवा और सहायता के लिये सड़कों पर विशाल काँवड़ शिविर लगाये जाते हैं।
काँवड़-यात्रा से अब अनेक विवाद भी जुड़ गये हैं जिन्हें हम इस दौरान देखते और पढ़ते रहते हैं। परसों दिल्ली के मोती नगर इलाक़े में किसी काँवड़िये की काँवड़ सड़क पर चलती एक कार से टकरा गयी तो काँवड़ियों ने अपना सारा ग़ुस्सा लाचार पुलिस के सामने कार पर उतारा।
यह विचारणीय विषय है कि धार्मिक आयोजनों के प्रभाव में क़ानून हद तक लचर क्यों हो जाता है ?
आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलते हैं -
रेवा दीदी....रेवा टिबड़ेवाल
ये सिर्फ संबोधन
नहीं प्यार है
दीदी तुम माँ तो नहीं
पर उससे कम भी नहीं
जानती हूँ
मेरे दुःख में
तुम्हारी आँखें भी भर
आती है
और देखें सप्ताह का विषय
यहाँ देखिए...........
अब आज्ञा दीजिये।
कल की प्रस्तुति - आदरणीया श्वेता सिन्हा जी
रवीन्द्र सिंह यादव
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
ओम नमः शिवायः
सादर
शुभ प्रभात सस्नेहाशीष संग
जवाब देंहटाएंकांवरियों का क्रोध के सामने पुलिस नहीं लाचार होती लाचार होती है अंधभक्ति...
कांवर के आड़ में चोर लुटेरे गुंडे हैं इस सोच से काम होना चाहिए
बेहतरीन लिंक्स चयन एवम प्रस्तुतिकरण ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर हलचल प्रस्तुति। काँवड़ियों को लेकर हर साल ही कोई ना कोई ऐसा समाचार पढ़ने को मिलता है। बेहतरीन भूमिका एवं सुंदर रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात .. दिल्ली के मोतीनगर की घटना निंदनीय है,कोई भी धर्म या सम्प्रदाय हिंसा और आक्रामकता को कभी प्रोत्साहित नही करता यह मात्र अंध भक्ति ही और भक्ति कम दिखावा ज्यादा है।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन हलचल की तरफ से शुभकामनाएं
वाह!!सुंदर प्रस्तुति रविन्द्र जी ...।
जवाब देंहटाएंसदा की तरह स्वादिष्ट पंचामृत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाओं का संकलन ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! दिल्ली के मोतीनगर में काँँवड़ियों का उपद्रव किसी भी दृष्टिकोण से सही एवं क्षम्य नहीं है ! धार्मिक गतिविधि से जुड़े होने का यह अर्थ कदापि नहीं कि वे एक सामान्य नागरिक से ऊपर हो गए हैं या सारा अनुशासन एवं कायदा क़ानून उनकी जेब में आ गया है ! पुलिस को भी लाचार होने की कतई ज़रुरत नहीं होती है ! ऐसी स्थिति आये तो पूरी सख्ती के साथ उपद्रवकारियों से निबटना चाहिए और उन्हें दण्डित करना चाहिए ताकि जन धन की हानि को रोका जा सके !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं का संकलन।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंभक्ति किसी दिखावे की मोहताज नहीं होती।
जवाब देंहटाएंआस्था के नाम पर गलत तरीके से शक्ति प्रदर्शन करना कहीं से ही उचित नहीं।
अच्छी समसामयिक भूमिका के साथ बेहद उम्दा रचनाओं के इस सुंदर संकलन में मेरी रचना को मान देने के लिए सादर आभार आपका आदरणीय रवींद्र जी।
शानदार प्रस्तुति, मेरी पंक्तियों को शीर्ष स्थान पर देख अनुग्रहित हुई मेरी रचना को सामिल करने के लिये सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंभुमिका अवसर के अनुरूप, सिर्फ कावड़िये ही नही जहाँ तहाँ समूह मिल कर मन मानी करते दृष्टि गोचर हो रहे हैं।
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
सादर।
धर्म कोई भी हो झूठा दिखावा, आडम्बर, हिंसा करना अच्छी बात नहीं है
जवाब देंहटाएंआज का संकलन बहुत ही उम्दा हैं