और गुसियाया हुआ प्राणी
तो लाल-पीला होता ही है
ये तो फिर चाँद है...कल
ढांकने की कोशिश कर दिए तो
पूरा लहू उसके चेहरे पर आ ही गया
चलिए चलें सावनी पूजा शुरु करें..........
सावन की गठरी.........कुसुम कोठारी
सावन की गठरी में
कितने अनमोल रत्न भरे ।
भूले किस्से यादों के मेले
इंद्रधनुषी आसमान
बरसती बूंदों की
गुनगुनाती बधाईयां
थिरकता झुमता तन मन
अपनों से चहकता आंगन
सौरभ से महकती बगिया
मिट्टी की सोंधी सुगंध ।
"शिव स्तुति"....मीना भारद्वाज
श्रावण मास….
भगवान शिव की आराधना का पावन महिना
करुणानिधि हो , जगपालक हो ।
विनती सुन लो , शिव शंभु प्रभो ।।
निज जान कृपा , रखना प्रभु जी ।
कर जोरि खड़े , करते विनती ।।
तुम ही जग की , रचना करते ।
भव सागर पार , लगा सकते ।।
दिल भी दफ़्तरी हो गया....रश्मि शर्मा
ऐसे ही तुम्हारे जाने के बाद
बड़ी कड़ाई से लेती हूँ
अपने दिल का हिसाब
किन बातों पर यह पिघलता है
और किन बातों से प्यार मरता है बार-बार
कब मजबूर होकर देती हूँ
तुमको आवाज़
कब चाहती हूँ लौटा लाना अपने पास
और बीते दिनों के खोए एहसासों का
मुआवजा भरना चाहती हूँ
बारिश में....ओंकार केडिया
देखते हैं
कि बंद पलकों पर
जब बूँदें गिरती हैं,
तो कैसी लगती हैं,
जब बरसते पानी से
बाल तर हो जाते हैं,
तो कैसा लगता है.
आया सावन.....मालती मिश्रा 'मयंती'
रिझरिम रिमझिम बरसे सावन
लगे नाचने मोर
टर टर करते दादुर निकले
धूम मची चहुँओर ।।
आदमी.........बर्ग वार्ता
आदमी यह आम है बस इसलिये नाकाम है
कामना मिटती नहीं, कहने को निष्काम है।
ज़िंदगी है जब तलक उम्मीद भी कैसे मिटे
चार कंधों के लिये तो भारी तामझाम है।
काली घटा छाई हुई उस पे अंधेरा पाख है
रात ही बाकी है इसकी सुबह है न शाम है।
अथः शीर्षक कथा..
उलूक टाईम्स.....डॉ. सुशील जी जोशी
इतिहास का
पहला वाकया है
चाँद भी
पीले से
लाल होकर
अपना क्रोध
कलियुगी
गुरु के
साथ पूर्णिमा
को जोड़ने
की बात पर
दिखा रहा है
हम समझते हैं ये पर्याप्त है
आज रविवार के लिए
दें आदेश...
यशोदा
इंद्रधनुषी छटा बिखरती अति सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
सुप्रभात!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भूमिका के साथ विविध रंगों के भावों से सजी अप्रतिम प्रस्तुति । मेरी रचना को इस संकलन में शामिल करने के लिए हृदयतल से आभार ।
सुन्दर लिंक्स. मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंसुप्रभात दी:),
जवाब देंहटाएंग्रहण पर दार्शनिक भूमिका अच्छी लगी।
सभी रचनाएँ बहुत अच्छी हैं दी।
बहुत सुंदर अंक है आज का।
सादर।
सुन्दर रविवारीय अंक। आभार यशोदा जी 'उलूक' के पीले से लाल होते चाँद की खबर को चर्चा के शीर्षक पर स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति । चयनित रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन बेहतरीन रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंवाह!!सुंदर संकलन ..सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रविवारीय अंक.. सभी रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
सावन में सतरंगी संकलन मौसम को सार्थक कर गया ..
जवाब देंहटाएंचांद को गुस्सा क्यों न आता,
जवाब देंहटाएंवाह!! बहुत रोचक भुमिका के साथ शानदार संकलन,
मेरी रचना को चुनने के लिये सादर आभार
सभी सह रचनाकारों को बधाई ।
बेहतरीन रचनाएं
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