हसरतें
रेशमी कपड़ो में
सज धज कर निकलती है
लोगों की आँखे चुधियाँ जाती है
भगवान तू भी तो
फरियाद उनकी ही सुनता है
हसरतें
निगाहें चौंक उठती है अक्सर
अपना ही अक्स देखकर
कुछ अंजान सा दिखता अब
ख़ुद का ही वजूद ख़ुदको
जिससे पहचान थी कभी
वो कहीं खो सा गया
हसरतें
मन की बात
बहुत जतन से
संभाल रही हूँ हालात को...
मुट्ठी भर रेत-सी
रह गई है साँसे हाथ में
और आँखों से गिरते अविरल आंसू
भीगो रहे है सासों की मिट्टी को।
कि....नहीं कर पाऊँगी कभी
खुद से अलग उसे
आदरणीया विभा दी,
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम्।
आज का संकलन में बहुत सुंदर तैयार हुआ है।सारी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी। दी तस्वीर में भी सुंदर पंक्तियाँ लिखीं है। बहुत आभार आपका दी:) इथनी अच्छी रचनाएँ पढ़वाने के लिए।
आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
हसरत तो थी की
पर वो हसरत ही रह गई
बढ़िया प्रस्तुति
सादर
बहुत बढ़िया हसरतें !!!
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसभी रचनायें और रचनाकार को शुभकामनाएँ
आज की संकलन की खासियत (एक शब्द विशेष) ही अलग है जो बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंआभार।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण.उम्दा लिंक्स....
जवाब देंहटाएंहसरतों पर आधारित रचनाओं से सुसज्जित ख़ूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।