सादर अभिवादन।
गत वर्ष
30 नवम्बर को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने
आदेश दिया था कि
देश के सिनेमाघरों में
फिल्म शुरू होने से
पहले राष्ट्रगान की धुन
बजायी जाएगी और उस
वक़्त सभी दर्शक सावधान की मुद्रा में
खड़े होंगे। एक वर्ष
पूरा होने से पहले
ही इस आदेश के
दुरूपयोग की सूचनायें एकत्र
हुईं जिनमें अलग-अलग कारणों से खड़े न
होने वाले लोगों के
साथ मारपीट की घटनायें दर्ज़ हुईं।
अब देश
की सर्वोच्च अदालत ने
अपने फ़ैसले में संशोधन करने का निर्णय किया है और
सरकार की संशोधन न
करने की अपील को
ठुकरा दिया है। और
कहा है कि इस
मुद्दे पर सरकार ही
मानदंड तय करे नियम
बनाये। अगली सुनवाई 9 जनवरी 2018 को होगी।
राष्ट्रभक्ति से जुड़ा
मुद्दा बेहद संवेदनशील है
जिस पर
अतिवादी रबैये
को अपनाना उचित नहीं
है बल्कि लोगों को
देशभक्ति की भावना से
भरने के लिए स्वप्रेरित होकर देशप्रेमी
होने
के उपाय विकसित किये
जाने ज़रूरी हैं न
कि जबरन
देशभक्ति सिद्ध
करने की हठ जैसे
अहंकारी फैसले।
जब देश
अपने नागरिकों का जन्म
से लेकर मृत्यु तक
हर मामले में पूरा
ख़्याल रखता है तब
देशभक्ति स्वतः उमड़ पड़ती
है। आज भूख से
हो रही मौतों पर
ज़रा सोचिये कि उनकी
देशभक्ति में कहाँ कमी
रह गई। वे ही
सच्चे देशभक्त हैं जो
गुमनामी की मौत मर
रहे हैं और उनके
परिजन मन मसोसकर रह
जाते हैं। देशभक्ति को फैशन नहीं बनाया जा सकता बल्कि यह एक पवित्र भाव है। देशभक्ति आतंरिक भाव है जिसका
बात-बात में ज़िक्र
खलता है। उसके बाहरी
स्वरूप देशभक्ति के प्रतीकात्मक रुझान हैं
अतः अति प्रदर्शन का
भाव विकृति की ओर
ले जाता है।
अति
सर्वत्र वर्जयेत।
चलिए अब चलते हैं
आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर –
उम्र
की दहलीज़ पर
आकर
फ़िसल जाता हूँ
चला बटोही बाट नहीं है,
जीवन नैया का घाट नहीं है.
बहे बयार पतवार नहीं है,
संसार निस्सार मंझधार यहीं है.
काला बाझ को काले आइबिस के रूप में भी जाना जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के मैदानों में पाए जाने वाले आइबिस की एक प्रजाति है। इस क्षेत्र में अन्य आइबिसों के विपरीत यह पानी पर बहुत निर्भर नहीं रहता है और अक्सर सूखी क्षेत्रों में और जलीय क्षेत्रों से दूर पाया जाता है। कंधे पर एक सफेद धब्बे के साथ गहरे भूरे रंग के शरीर होता है और लाल रंग की चमकदार त्वचा एक मुकुट के रूप में नंगे काले सिर सुशोभित रहता है। प्रजनन करते समय यह एक ज़ोर से आवाज़ करता है और शोर करता है यह एक बड़े वृक्ष या ताड़ का पेड़ के शीर्ष पर घोंसला बनाता है।
वैज्ञानिक नाम: स्यूदीबीस पेपिलोसा
फोटोग्राफर: राकेश कुमार श्रीवास्तव
अन्य भाषा में नाम:-
Assamese: ক'লা আকুহী বগ; Gujarati: કાળી કાંકણસાર; Hindi: करांकुल, काला बाझ; Kannada: ಕರಿ ಕೆಂಬರಲು; Malayalam: ചെന്തലയൻ അരിവാൾകൊക്കൻ; Marathi: काळा शराटी, काळा कंकर; Nepali: कर्रा साँवरी; Punjabi: ਕਾਲਾ ਬੁੱਜ; Sanskrit: कृष्ण आटि, रक्तशीर्ष आटि; Tamil: கருந்தலை அரிவாள் மூக்கன்
‘उलूक’
फिर से
गिनता है
कौए अपने
आसपास के
खुद के
कभी हल
नहीं होने वाले
गणित की नब्ज
इसी तरह कुछ
फितूर में फिर
से टटोलता है ।
जो जल्दी विश्वास कर लेता है वह बाद में पछताता है ।
समझदार आदमी हर मामले में समझदार नहीं होता है ।।
दिन में घर के बाहर भाता।
किन्तु शाम को घर में लाता।
कभी पिलाता तुलसी काढ़ा।
क्या सखि, साजन? ना सखि, जाड़ा।
रात दिवस का साथ हमारा।
सखि, वह मुझको लगता प्यारा।
गाये गीत कि नाचे पायल।
क्या सखि, साजन? ना, मोबाइल।
अधिक भरने पर
सब बिखर जाता
प्रलोभन में आकर
इच्छा विकट रूप लेती
पैर बहक जाते
ग़लत मार्ग अपनाते
असाध्य आकांक्षाओं की
पूर्ति नहीं होती तो
पूर्ति के लिए राह भटक जाते
जो दिल से धनवान होते
वे ही दरिया दिल कहलाते !
आज बस इतना ही।
आपके सारगर्भित सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में।
शुभ प्रभात भाई रवीन्द्र जी
जवाब देंहटाएंएक बढ़िया प्रस्तुति
आभार..
सादर
वाह...
जवाब देंहटाएंजवाब नही....
बढ़िया प्रस्तुति....
सादर.....
आदरणीय रविंद्र जी आज की प्रस्तुति विशेष लगी ख़ासकर विश्वमोहन जी और सभी रचनायें अपने आप में श्रेष्ठ ! मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदय से आभार ,
जवाब देंहटाएंआपका अग्रलेख सत्य है किसी भी नागरिक को दंड का भय दिखा कर देशभक्त नहीं बनाया जा सकता। देशभक्ति स्वतः आती है। और ये तभी संभव है जब प्रत्येक जन को देश के संविधान और प्रशासन में पूर्ण विश्वास हो ,जो कि वर्तमान में विलुप्ति के कगार पर है। "जय भारत"
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन । आभार!!!
जवाब देंहटाएंदिलकश। शानदार। लाज़वाब
जवाब देंहटाएंसटीक विश्लेषण। आभार रवींद्र जी 'उलूक' के काले सफेद को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात आदरणीय रवींद्र जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावशाली एवं सटीक विश्लेषण प्रस्तुत किया आपने। देशभक्ति देश के नागरिकों में स्वतः होनी चाहिए,जीवन के विसंगतियों के बीच,सरकारों के बदलते रहने से देशभक्ति में कैसे फर्क आ सकता है।देशभक्ति किसी भी देश के नागरिक में सबसे पावन ज़ज्बा होता है जिसे कोई भी मुद्दा प्रभावित नहीं कर सकता।
बहुत सुंदर लिंकों का सार्थक संयोजन।सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत अच्छी प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने....पर जो लोग राष्ट्र गान या वंदेमात्र न गाना को अपने धर्म से जोड़ते हैं....उनका क्या किया जाए?
वाह !!सभी लिंक एक से बढ़कर एक हैं । बहुत ही प्रभाव वाली विश्लेषण के साथ शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं के लिंक्स से सजा बेहतरीन अंक।सभी कुछ दिखावे का होकर रह गया है आज,क्या देशभक्ति,क्या ईश्वरभक्ति और क्या मातृ-पितृ-गुरु भक्ति!!!
जवाब देंहटाएंमेरे स्कूल के जूनियर केजी के, चार वर्ष के बच्चे भी राष्ट्रगीत बजते ही जहाँ हैं वहाँ ठिठककर रुक जाते हैं । वे अपने से बड़े बच्चों को ऐसा करते देखते हैं और बड़े बच्चे शिक्षकों को । क्या चार वर्ष के बच्चे को देशभक्त मान लिया जाय ? स्कूल के आसपास के घरों और परिसर में भी राष्ट्रगीत तो सुनता ही होगा,सभी तो कामधाम छोड़कर खड़े नहीं हो जाते हैं । ये सवाल एक दो बड़े बच्चों ने किया भी था मुझसे,मैं स्वीकार करती हूँ कि मेरे पास इसका स्पष्ट जवाब नहीं था। मैंने इतना ही कहा कि परिस्थिति के अनुसार निर्णय लिया करो। बच्चे ये सवाल हमसे करें तो क्या जवाब दें हम? वास्तविक देशभक्ति देशप्रेम से उपजती है। हमें देशभक्ति के मायने और संदर्भों पर पुनःविचार करना चाहिए और वे इतने स्पष्ट होने चाहिए कि छोटे बच्चे भी समझ सकें । वरना एक दिन आएगा कि बच्चे ही हमारी बातों को बचकाना समझने लगेंगे । रवींद्रजी के अग्रलेख ने चर्चा को विस्तार देने पर मजबूर कर दिया ।
सभी रचनाकारों को बधाई । सादर ।
उम्दा लिंकों से सजी पांच लिंकों का आनंद, सुन्दर प्रस्तुति रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति. राष्ट्रगान पर आपने बहस छेड़कर प्रस्तुति को सारगर्भित बना दिया. तर्क-कुतर्क का बिषय नहीं है राष्ट्रभक्ति आपने सही कहा कि राष्ट्रभक्ति एक आंतरिक पवित्र भाव है. सभी रचनाएं मज़ेदार और सटीक.
जवाब देंहटाएंI loved your post. Must read my blog also Gym Status In Hindi
जवाब देंहटाएंhttps://halchalwith5links.blogspot.com/2017/10/
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