( मुक्तिबोध, अँधेरे में)', अपनी लफ्फाजी के इस फुलौने को फूंकने के पहले 'मंगलाचरण' के अंदाज़ में मैं सुन्दरकाण्ड की एक चौपाई और एक दोहे का स्मरण करना चाहूँगा जिसका सम्बन्ध विभीषण रावण संवाद से है. दोहे से तुलसीदास ने संवाद का श्री गणेश किया है ..
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शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंएक शानदार प्रभात
एक शानदार प्रस्तुति
आभार
सादर
बहुत बढ़ियाँ प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय महादेवी जी की क़लम को नमन है ..
जवाब देंहटाएंअच्छे सूत्र का संकलन ... आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए ...
कालजयी कवियित्री की पंक्तियों से आज के अंक की सुशोभित भूमिका और बेहद उम्दा पठनीय सामग्री से आज की प्रस्तुति विशेष बन गयी है पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई इस सुंदर संयोजन के लिए।
सादर।
वाह वाह वाह ...कालजई कवियत्री महादेवी जी का काव्य उनके जैसा ही अनुपम ...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंतार भी आघात भी झंकार की गति भी,
जवाब देंहटाएंपात्र भी,मधु भी,मधुप भी,मधुर विस्मृति भी....... वाह! बहुत मोहक भूमिका!!बहुत बधाई और आभार आज के हलचल की झंकार की इस गति की ! मधु भी, मधुप भी!!!
मैं नीर भरी दुख की बदली
जवाब देंहटाएंविस्तृत नभ का कोई कोना की रचयिता महादेवी वर्मा
का रचना संसार अद्भुत है। सादर नमन।
आज का संकलन बेहतरीन है आदरणीया पम्मी जी
इसके लिए आपका धन्यवाद
बेमिसाल प्रस्तुति स्वयं आधुनिक मीरा बाई का आगाज है नमन उनको सश्रृद्धा ।
जवाब देंहटाएंसुंंदर संकलन सभी रचनाकारों को बधाई।
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमहान कवियत्री महादेवी वर्मा जी की मर्मस्पर्शी पंक्तियों के साथ आदरणीया
जवाब देंहटाएंपम्मी जी ने आज की
शानदार प्रस्तुति का आग़ाज़ किया है। चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।