किसी मंत्री को भ्रष्टाचार
एक मत्री ने यह कहा
पांचों उंगलिया बराबर नहीं न होती है
तो दूसरे ने एक तड़का लगाया
भाई रे....
खाने के समय ये सारी
लग जाती है
राज विवेचना में... विरम सिंह जी
जीवन मे उतार चढाव तो आते रहते है और यह प्रकृति का नियम भी है ।
समय हमेशा एक जैसा नही रहता है । सुख और दुख भी जीवन मे आते और जाते रहते है ।
इसलिए किसी कवि ने कहा है - " सुख दुख हानि लाभ दुनिया मे जोडी है एक को पकड़ुगा तो दूसरी निगोडी है" । अर्थात सुख और दुख एक साथ नही आ सकते है ।परन्तु एक तो जीवन मे जरूर आएगा ।
किताबों की दुनियां में... नीरज गोस्वामी
वहाँ हैं त्याग की बातें, इधर हैं मोक्ष के चर्चे
ये दुनिया धन की दीवानी इधर भी है उधर भी है
हुई आबाद गलियाँ, हट गया कर्फ्यू , मिली राहत
मगर कुछ कुछ पशेमानी इधर भी है उधर भी है
और ये रही आज की प्रथम व शीर्षक कड़ी
(३० अप्रैल, १८७० - १६ फरवरी, १९४४)
बुरा भला में... शिवम् मिश्रा
धुंडिराज गोविन्द फालके उपाख्य दादासाहब फालके (३० अप्रैल, १८७० - १६ फरवरी, १९४४)
वह महापुरुष हैं जिन्हें भारतीय फिल्म उद्योग का 'पितामह' कहा जाता है।
दादा साहब फालके, सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट से प्रशिक्षित सृजनशील कलाकार थे। वह मंच के अनुभवी अभिनेता थे, शौकिया जादूगर थे। कला भवन बड़ौदा से फोटोग्राफी का एक पाठ्यक्रम भी किया था। उन्होंने फोटो केमिकल प्रिंटिंग की प्रक्रिया में भी प्रयोग किये थे। प्रिंटिंग के जिस कारोबार में वह लगे हुए थे, 1910 में उनके एक साझेदार ने उससे अपना आर्थिक सहयोग वापस ले लिया।
अब आज्ञा दीजिए दिग्विजय को
रसखान की इन पंक्तियों के साथ
फागुन लाग्यो जब तें तब तें ब्रजमण्डल में धूम मच्यौ है।
नारि नवेली बचैं नहिं एक बिसेख यहै सबै प्रेम अच्यौ है।।
सांझ सकारे वहि रसखानि सुरंग गुलाल ले खेल रच्यौ है।
कौ सजनी निलजी न भई अब कौन भटु बिहिं मान बच्यौ है।।
अच्छी रचनाओं का संगम । जानकारी भी मिली।
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट --:एक आदमजात महफिल में, हँसता है बहुत जोर से,
चाँद के उजाले में, आँसू के गीत लिखता है ।
जवाब देंहटाएं. thanks for including my link here .
सुप्रभात बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलिंक शामिल करने के लिए धन्यवाद
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात सर....
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक संकलन...
भूमिका अति सुंदर।
बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
आपके चुनाव का आकार और प्रकार व्यक्ति की सीमा को खूब पहचानता है - एक बैठक में पढ़ने का आनन्द!
जवाब देंहटाएंआभार बड़ी दीदी
हटाएंआप आई
धन्य हो गई मैं
सादर
यशोदा
आप का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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