कैसे रहते होंगे...इनव्हर्टर भी अधिक से अधिक
आठ घण्टे ही साथ देगा
चलते हैं रचनाओं की ओर...
चुप्पी की दीवार ...अनीता सैनी
आँधी को देखकर अक्सर मैं
सहम-सी जाया करती थी
धूल के कण आँखों में तकलीफ़ बहुत देते
न चाहते हुए भी वे आँखों में ही समा जाते
समय का फेर ही था कि आँधी के बवंडर में छाए
अँधरे में भी किताबें ही थामे रखती थी
शिक्षक ...अनीता सुधीर
ज्ञान आचरण दक्षता,शिक्षा का आधार।
करे समाहित श्रेष्ठता, उत्तम जीवन सार।।
शिक्षक दीपक पुंज है,ईश्वर का अवतार।
शिक्षक अपने शिष्य को,देते ज्ञान अपार।।
शिक्षा की जो ज्योति जलाते ...अनीता जी
स्वयं सीखकर मनोयोग से
बांट रहे हैं ज्ञान शिष्य को,
हर घर ही इक स्कूल बना है
नमन करें हम उनके श्रम को !
पुस्तक में तो सभी लिखा है
विद्यार्थी अबोध अभी हैं,
सरल शब्द में पाठ पढ़ा वे
नव विचार प्रस्तुत करते हैं !
रेत पर पदचिन्ह ..कौशल शुक्ला
धैर्य खोकर चाहते हो भाग्य का चमके सितारा।
रेत पर पदचिह्न तेरे और सागर का किनारा।।
दैव ने तुमको दिए दो हाथ इनको खोल देखो
पाँव को मजबूत कर लो, अड़चनों का मोल देखो
जान लो क्या खूबियाँ भगवान ने तुझमें भरी हैं
आँख मंजिल पर टिकाकर, जिंदगी को तोल देखो
चित्रकार का चित्र / कवि की कविता ..डॉ. सुशील जी जोशी
और कब अंजाने में
निकल जाता है उसके मुँह से वाह !
दूसरा उसे देखते ही सिहर उठता है
बिखरने लगे हों जैसे उसके अपने सपने
और लेता है एक ठंडी सी आह !
दूर जाने की कोशिश करता हुआ
डर सा जाता है
उसके अपने चेहरे का रंग
उतरता हुआ सा नजर आता है
बेहतरीन चयन...
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
आभार दिग्विजय जी।
जवाब देंहटाएंचिंता होना स्वाभाविक है बिना बिजली कैसे रहते होंगे.. चूँकि बिना बिजली के कभी रहना होता था अतः यह कह सकती हूँ कि मानसिक मजबूती से..
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुति
सुंदर लिंक चयन , शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं