सस्नेह अभिवादन
आने वाली 21 तारीख को
होली का त्योहार है।
आप सभी की व्यस्तता से
हमारे अंक थोड़े अव्यवस्थित होंगे
कृपया साथ और सहयोग
बनाये रखियेगा।
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हमक़दम के विषय
विरह
पर सदा की भाँति
आपसभी की मुखर रचनात्मकता
ने अचंभित किया है।
एक से बढ़कर एक रचनाएँ हैं
तो चलिए विलंब न करते हुये आस्वादन करते हैं
सुंदर रचनाओं का
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आदरणीया रेणु जी
बुद्ध की यशोधरा
बुद्ध को सम्पूर्ण करने वाली
एक नारी बस तुम थी ,
थे श्रेष्ठ बुद्ध भले जग में
बुद्ध पर भारी बस तुम थी ;
सिद्धार्थ बन गये बुद्ध भले -
ना तोडा तुमने प्रीत का धागा !!
★★★★★
आदरणीया कुसुम जी
विरह वेदना राधा जी की
कहे कनाही एक हम हैं
कहां दो, जित तुम उत मैं
जित तुम राधे, उत हूं मैं
जल्दी आन मिलूंगा मैं ।
समझे न हिय की पीर
झडी मेह और बिजुरिया
कैसो जतन करूं सांवरिया
बिन तेरे बचैन है जियरा ।
★★★★★
आदरणीया अभिलाषा जी
दो रचनाएँ
आह!! ये अग्नि विरह की
ओ !मेरे बैरी सजनवा,
काहे तुम बसे हो विदेश।
ये पवन भी भई है बैरन,
लाए न तेरा संदेश।
बर्षा ऋतु की ये फुहार,
तन पर लगे अंगार सी।
मोर-पपीहा की मीठी वाणी,
चुभे खंजर के वार सी।
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विरह पर दोहे
विरह-वेदना बढ़ रही, तन-मन लागी आग।
सुलग-सुलग मैं कोयला,कैसे फूटे भाग।।
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विरह बना बैरी सखी,मन का लूटा चैन।
सुध-बुध भूली मैं रहूं,दिन देखूं ना रैन।।
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विरह
सांसें में, जी उठेगी बेचैनी
तुम उसे कैसे बहलाओगी ?
धड़कनों को समझाने, लौट आएगा विरह
मीठी मुस्कान से दिल जलाएगा
भाग्य बन मैं तेरा
भाग्यशाली कह बुलाऊँगा
★★★★★
विरह-वेदना
किसे फर्क पड़ता हैं
जिस तन को लगे
जिस मन को लगे
अगर उसे नही
तो किसे
फर्क पड़ता हैं
विरह-वेदना का !
जब याद तुम्हारी आती है
विरहन सोच रही मन में
विचारों में खोई खोई
याद तुम्हारी जब भी आएगी
हर बार कोई समस्या आएगी
वह अकेले न रह पाएगी
क्यूँ समझ में न आ पाएगी
है ऐसी कैसी उलझन
जो हल न हो पाएगी
यूँ तो यादों में खो जाना
★★★★★
कालीदास के मेघदूत
नहीं करते ये मेघ अब
विश्वसनीय दूत का काम,
नहीं लाकर देते ये सन्देश
विरहाकुल प्रियतमा को
उसके प्रियतम का,
नहीं देते ये कोई सांत्वना
भग्नहृदया विरहिणी को,
कब आओगे श्त्राम
छीके माखन भी रखा है
भोग लगाओ आकर ।
कब कदंब की डाल बैठकर
मुरली मधुर सुनाओगे
विरह की मारी सभी गोपियाँ
सुध-बुध भूल गई हैं
बैचेन हूँ मैं बहुत तन्हाई सही न जाए
विरह की अग्नि मेरा तन-मन जलाए
बैरन निंदिया आँखों से बहुत दूर है
ज़िंदगी मेरी तन्हाईयों से भरपूर हैl
★★★★★★
भावों से प्रीत
कोरे कागज पर लिखकर
करती भावों को साकार
रचनाओं के रूप से निखरे
शब्दों का यह सुंदर संसार
लय न जानूं ताल न जानूं
भावनाओं में बहना जानूं
कविता लिखूंँ या गीत लिखूंँ
भावों से अपनी प्रीत लिखूंँ
आदरणीया कामिनी सिन्हा
एक विरहन ऐसी भी
विरह एक ऐसी अग्नि हैं जो विरहन के शरीर को ही नहीं आत्मा तक को धीमी धीमी आँच पर सुलगता रहता हैं। "ना मैं जीवति ना मरियो मैं विरहा मारो रोग रे ,वावरी बोले लोग।" बस यही दशा होती हैं उसकी। जब भी कोई विरह गीत ,कवित ,दोहे या छंद लिखे जाते है तो उनकी मुख्य नायिका राधा ,मीरा ,सीता या यशोधरा आदि ही होती हैंl
★★★★★
और चलते-चलते उदाहरार्थ ली गयी रचना
नयन बसे
कंगन चुड़ी गिन-गिन हारी,
बैरी रैन की मार।
जियरा डोले श्याम ही बोले,
हाय विरहा की रार।
सखिया छेड़े जिया जलाये,
ले के नाम तुम्हार।
न बूझै क्यों तू निर्मोही,
देखे न अँसुअन धार।
★★★★★
आज यह अंक आपको कैसा लगा
आप सभी की बहुमूल्य
प्रतिक्रियाओंं की
सदैव प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम का नया विषय जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूले।
आज के लिए
आज्ञा दें
श्वेता सिन्हा
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंसबने सटीक लिक्खा है....
बेहतरीन संयोजन..
सादर..
बहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाओं संग सस्नेहाशीष
एक से बढ़कर एक। सुन्दर इंद्रधनुषी संकलन।
जवाब देंहटाएंवाह!!!श्वेता ,बहुत ही सुंदर संकलन ...बेहतरीन प्रस्तुति के साथ । होली की अग्रिम शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबेहद शानदार लिंक्स । हमकदम की बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार संकलन सहज सरस भुमिका।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं आत्म विमुग्ध करती।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।सस्नेह
व्वाहहहहह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
सादर
प्रिय श्वेता--सुप्रभात और हार्दिक स्नेह के साथ इस सुंदर, सारगर्भित अंक के लिए मेरी बधाई। विरह की व्यथाओं को सभी रचनाकारों का चिंतन बहुत ही शानदार है। बहन कामिनी ने तो इतिहास के अपेक्षित पक्षों को अपने सुंदर लेख में खूब लिखा है। मेरी पुरानी रचना को अंक संकलन में लेने का आग्रह स्वीकार किया गया, जिसके लिए आभारी हूँ। एक तो कोई रचना नई इस विषय पर थी नहीं, दूसरे मुझे लगता है विरह और नारी का अटूट रिश्ता है और यशोधरा का जीवन तो मानो विरह का पर्याय ही है। मेरी इस रचना को पाठकों का भरपूर स्नेह मिला है। ये शुरू से ही ब्लॉग की पहली चार रचनाओं में शामिल रही है। मेरी रचनाकार बहनों ने इस पोस्ट पर सार्थक विमर्श किया जो यशोधरा के जीवन को समर्पित है। सभी पाठकों और रचनाकार मित्रों की आभारी हूँ। आज के सभी सहभागियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। मेरा हमकदम के लिए एक विनम्र सुझाव है कि विषय घोषित करने से पहले सप्ताह के पर्वों और विशेष दिनों के बारे में जरूर चिंतन करें। जैसे अब की बार होली दो दिन बाद है ,हँसी खुशी के पर्व के समीप विरह शब्द ही अटपटा लगता है। कितना अच्छा होता अगर रंगों और होली पर सृजन होता। और गूगल प्लस के अवसान होने की खबर मात्र से ही ब्लॉग जगत में एक शून्यता की अनुभूति हो रही है। मेरे ब्लॉग पर तो पाठक संख्या ना के बराबर रह गई है। सभी पाठकों से कहना, चाहूँगी कि दो चार दिन में फेस बुक पर आऊँगी उस मंच पर भी इसी स्नेह की अपेक्षा रहेगी। सभी को होली की प्यार भारी शुभकामनाएँ एवं बधाई। सभी के लिए होली खुशियों के रंग और उत्तम स्वस्थ्य की सौगात लेकर आये।
जवाब देंहटाएंहमकदम के हमारे सभी हमसफ़रों की अनूठी रचनायें मन को प्रफुल्लित कर गयीं ! आज का अंक नि:संदेह रूप से संग्रह्णीय है ! मेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार ,विरह पर सबकी एक से बढ़कर एक रचनाऐ वाकई कबीले तरफ हैं उन्हें पढ़कर मन गमगीन होने लगा और अंतर्मन में स्वतः ही विरहनो का दर्द महसूस होने लगा। मैं भी रेणु जी के विचारो से सहमत हूँकि विषय घोषित करने से पहले सप्ताह के पर्वों और विशेष दिनों का ध्यान रखना विषय और रचनाओं को और आकर्षक बना देगा। बाकि आप अनुभवी और बुद्धिजनो को सलाह देने का सामर्थ मुझमे नहीं। सभी रचनाकारों को दिल से बधाई और होली की शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हमक़दम का संकलन 👌|रेणु बहन और कामिनी बहन मुझे यह विषय बहुत अच्छा लगा |होळी पर प्रेम की महकी महक | विरह प्रेम की बौछार सा लगा |मन ख़ुश हो गया |
जवाब देंहटाएंसादर
प्रिय अनीता आपको विषय पसंद आया अच्छा लगा | विषय सभी अच्छे ही होते हैं बस समय विचारने का अनुरोध था | बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए आभार |
हटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचनाओं को हमकदम का हिस्सा बनाने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना संकलन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं अति उत्तम,सभी रचनाकारों को
हार्दिक बधाई,मेरी रचनाओं को स्थान देने के
लिए सहृदय आभार प्रिय श्वेता जी।हमकदम के प्रत्येक अंक की रचनाएं तो उत्तम होती ही है,उन पर आने वाली टिप्पणियां भी अनुपम होती है, भावों और विचारों का अनूठा संगम देखने-पढ़ने को मिलता है।
सभी को रंगों के मनभावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏🌷🌷
उम्दा अंक
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ
मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए आभार .....सादर
हमेशा की तरह शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा रचनाओं का संकलन....
जवाब देंहटाएंसभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं....।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स
होली शुभ और मंगलमय हो
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार दहित धन्यवाद |