उषा स्वस्ति
अब तो आवाज दो.. क्यों खतरे में है मासूमों की जिंदगी?
मंदिर में ये खूनी खेल?
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:Cartoon:
इसको भी बजट समझ नहीं आ रहा.
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आदरणीय मधुलिका पटेल जी
की सुंदर शब्द सृजन..
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...............
आपको एक कविता लिखनी है
उदाहरणः
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति
सखी पम्मी...
अपराध तो प्रचीनकाल से होते चले आ रहे है
इसपर लगाम न पहले लगा पाए
न अब लगा पा रहे हैं
विवेचना व्यर्थ है
सादर
सुप्रभातम् पम्मी जी,
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त भूमिका में सारगर्भित तथ्यों को समेट कर विचारणीय प्रश्न उठाए है आपने,आख़िर समाज कहाँ जा रहा सोचने की आवश्यकता है गंभीरता से। हम भी तो इसी समाज का हिस्सा है न।
सारी रचनाएँ बहुत अच्छी है आज का अंक बहुत सुंदर पम्मी जी।
सुप्रभात पम्मी जी भूत सूँडेर संकलन सभी रचनायें बहतरीन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
आभार मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये ।
बच्चों को जो परोसा जा रहा है, वही तो वे लौटायेंगे, टीवी, फ़िल्में, कार्टून हर जगह हिंसा देख देख कर बड़े होते हैं आज के बच्चे.
जवाब देंहटाएंपठनीय पोस्ट्स से सजा है आज का अंक.. बधाई !
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअपराध सिर्फ बढ़ नहीं रहे । ये घर कर रहे हैं हमारी नस्ल के मनो मस्तिष्क में । अपराधों का बढ़ता ग्राफ सभ्यता के ख़त्म होने की पहल जार रहा है। कई बार अपराध हमारे मन में ही घटित होते हैं और दूसरे को नुकसान पंहुचाते हैं। उसमें क़ानून कुछ नहीं कर सकता।
जवाब देंहटाएंअस्ज का अंक बेहद सराहनीय है। बहुत सुंदर भूमिका के साथ आपने संवेदना के तिल-तिल कर मरने का एक उदहारण दिया है अपराधों के बढ़ने के रूप हूँ।
आज के अंक जी सभी रचनाएं पठनीय हैं। सभी रचनाकारों को बधाई।
सादर
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंशानदार भूमिका
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर
बहुत खूबसूरत भूमिका ,सुंदर रचनाओं से सुसज्जित बहुत रोचक ।
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति अपने आप मे विशिष्ट हैं क्योंकि बात संवेदनाओं की है जो अंत स्थल से सुखती जा रही है
जवाब देंहटाएंऔर आने वाले कल की भयावह तस्वीर पेश कर रही है
हम वापस असभ्य दानव युग की तरफ बढ रहे हैं संस्कारों के स्रोत सुखते जा रहे हैं।
शानदार प्रस्तुति।
अर्थ प्रणव रचनाऐं ।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
इंसान अपना वक्त इंसानों के साथ कम और मशीनों के साथ ज्यादा गुजारेगा तो परिणाम संवेदनहीनता के रूप में ही सामने आएगा ना !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं के चयन हेतु आदरणीय पम्मीजी को बधाई।
बेहतरीन प्रस्तुति ।
इंसान अपना वक्त इंसानों के साथ कम और मशीनों के साथ ज्यादा गुजारेगा तो परिणाम संवेदनहीनता के रूप में ही सामने आएगा ना !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं के चयन हेतु आदरणीय पम्मीजी को बधाई।
बेहतरीन प्रस्तुति ।
आदरनीय पम्मी जी -- आज के संकलन में सार्थक संवाद और उस पर बेहतरीन चिंतन बहुत अच्छा लगा | सभी रचनाएँ सराहनीय हैं | सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई और आपको भी सफल संयोजन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंविविध बिषयों पर आधारित उत्तम लिंक संयोजन।
समस्त चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
शिक्षा के मन्दिर में खूनी खेल....बहुत ही चिंताजनक...
जवाब देंहटाएंशानदार पठनीय लिंक संकलन बेहतरीन प्रस्तुति करण ।
बहुत अच्छी भूमिका पम्मी जी , सार्थक संकलन
जवाब देंहटाएंवाह ! लाजवाब लिंक संयोजन ! बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीया ।
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