दिमाग साफ़ हो गया है
आस-पास के हालात देख
तड़प उठता हूँ
तड़प
चुप्पी अचानक टूटी - "तुम खामख्वाह क्रोध कर रहे हो |
इस चित्र के साथ अख़बार की भड़काऊ हेडिंग नहीं,
बल्कि कुछ अंदर का भी पढ़ लो पहले |" चाय कप में निकालती हुई सुरेखा बोली |
चाय की भाप और तल्ख भाषा से वातावारण में गर्माहट फैल गयी |
"दो मासूम को ये अख़बार वाले दिखाकर हम पर कीचड़ नहीं उछाल सकते |
इन्हें इतनी ही हमदर्दी थी तो अपने घर की छत क्यों नहीं मुहैया करवा दी |
अकेले में ‘नीर-नयन’
को दिलासा देते रहे,
वो सलामत रहे ‘अमित’
पल-पल दुआ करते रहे।
बरबादियों का अपनी किससे करूँ गिला,
कुछ बदनसीब हूँ मैं, कुछ ग़लतियाँ भी हैं।
चेहरे से समझना है मुश्किल मिज़ाज-ए-यार,
संजीदगी भी है कुछ, कुछ शोखियाँ भी हैं।
ओह! वह अबोध एहसास
भारी है अनुभवों पर
ज्ञान की बातें
शब्दों का संसार
कितना कमतर है
अकेले आवेग के बरक्स
तुमसे उम्मीद थी तुम समझोगे दर्द को,
तुम्हारी बेरुखी कर घायल जिगर गयी।
जिस झोली में प्यार के मोती थे कभी,
वो झोली गम के आंसुओं से भर गयी।
><><
मिलते ही रहेंगे
विभा रानी
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
आज का सपेशियल अंक
भा गया मन को
सादर
सुप्रभात। तड़प पर आधारित बेहतरीन रचनाओं का संकलन। सादर नमन आदरणीया दीदी। तड़प के अलग-अलग रूप रचनाकारों के अलग-अलग भाव बहुत सुंदर प्रस्तुति। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। आभार सादर।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात आदरणीया विभा दी,
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह आपकी अनोखी प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी।सभी रचनाएँ सुंदर है।
हमेशा की तरह बहुत सुन्दर प्रस्तुति विभा जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंतड़प और वेदना भी ईश्वर का उपहार ही हैं,वेदना के बिना संवेदना नहीं और संवेदना बिना मन संवेदनशील नही हो सकता । बहुत अच्छी रचनाएँ एक ही विषय पर ! आभार आदरणीय विभा दीदी ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंएक विषय रंग अनेक वाह बहुत ही बढिया लगा पढ़कर।
बहुत बहुत शुक्रिया दीदी🙏😊