---

सोमवार, 15 अगस्त 2022

3486 / आज़ादी का अमृत महोत्सव .

 

 नमस्कार !  आज हम ७५  वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं और इसे नाम दिया गया है आज़ादी का अमृत  महोत्सव .तो चलिए मनाते  हैं हम अति उल्लास से ये उत्सव ...आज आज़ादी के अलग अलग रंग चुन कर लायी हूँ  ....... आशा है आपको पसंद आयेंगे ........और न भी आयें तो क्या ???? हर बात ज़रूरी नहीं  कि सबको  पसंद आये .....अब देखिये  कि घर घर में झंडा ये ही बात सबको कहाँ पसंद आई ? लेकिन हमें अपने मन की बात कह देनी चाहिए तो मैं भी ले आई हूँ अपनी पसंद की रचनाएँ ........ तो आइये एक नज़र आज़ादी के  अमृत महोत्सव पर  चुनी कुछ रचनाओं पर डालें .


  

कवि  हृदय  तिरंगे की शान में  खुद को कुर्बान कर 

देना चाहता है ....

‘‘मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन’’ 


अपने पावों को रुकने न दूँगा कहीं,
मैं तिरंगे को झुकने न दूँगा कहीं,
तुझपे कुर्बान कर दूँगा मैं जानो तन।
मेरे प्यारे वतन, ऐ दुलारे वतन।।





 बहुत खूबसूरत गीत लिखा है  करण समस्तीपुर ने ....

 आप भी पढ़ कर आनंदित हों .........

हे मातृभूमि शत कोटि नमन!



गिरिवर मुकुट, सुवन मेखला, सागर पाँव पखारे।

संतति को पयपान कराते गंग-यमुन युग धारे ॥

शस्य श्यामला आँचल तेरा, तू बसुधा का दर्पण।

हे मातृभूमि शत कोटि नमन!!


 

राष्ट्रीय त्योहार मनाने की ललक जो हमारी पीढ़ी  ने अनुभव की है वो आज की पीढ़ी नहीं महसूस करती । तभी न बचपन की यादें समेट लायी है यह पोस्ट ----

बचपन के स्वत्रंत्रता दिवस का वह एक दिन

जब गाँव की टेढ़ी-मेढ़ी, संकरी उबड़-खाबड़ पगडंडियों से प्रभात फेरी के लिए गाँव-गाँव, घर-घर जाकर देशभक्ति के गीतों से देशप्रेम में अलख जागते थे, जिन्हें गाँव के नौजवान, बड़े,बुजुर्ग सभी बड़े जोश के साथ बड़ी उत्सुकता से स्वागत कर बड़े मग्न होकर सुनते थे


 

जहाँ हम बचपन की यादों में डूबे हैं वहीं आज भी हर भारतवासी के मन में तिरंगे के प्रति अगाध प्रेम और श्रद्धा है ... 

तिरंगा 

लहरा रहा हमारा अभिमान है तिरंगा।  

घर-घर फहर रहा है जय गान है तिरंगा। 

तन कर खड़ा गगन में यह दृश्य है विलक्षण।

उर भारती सुशोभित परिधान है तिरंगा।।



तिरंगा फहरा दिया , अब यह जान लें कि आखिर 15 अगस्त  सब भारतीयों के जीवन में  क्या महत्त्व रखता है ...

स्वतंत्रता दिवस " एक त्यौहार " 


15 अगस्त" वो दिन, जिस दिन पहली बार हमारे देश का  ध्वज "तिरंगा" लहराया और हमें भी

 उन्मुक्त होकर उड़ने की आजादी मिली।हम हिन्दुस्तानियों  के लिए हर त्यौहार से बड़ा, सबसे

 पावन त्यौहार है ये


 इस पावन त्योहार को मनाते हुए आज 75 वर्ष हो रहे हैं लेकिन आपके लिए लायी हूँ एक पोस्ट जो 12 साल पहले लिखी गयी थी ..... हो सकता है अब कुछ बेहतर स्थिति हो ....


 एक जनगणना मकान 

आप पढ़ कर स्वयं ही जायज़ा लें कि जनगणना करते हुए कैसे कैसे प्रश्नों का सामना करना पड़ जाता है । 


 

जनगणना तो होती ही रहती है लेकिन एक बहुत ज़रूरी बात लेकर आई हैं मोनिका शर्मा । सामयिक और सामाजिक  विषयों पर इनकी पैनी दृष्टि रहती है , 10 साल पहले लिखी पोस्ट आज भी उतनी ही प्रासंगिक है ...

बच्चों को घर में राष्ट्रधर्म की सीख भी मिले


अपनी मातृभूमि, राष्ट्रीय प्रतीक, संस्कृति- सभ्यता और जीवन दर्शन का सम्मान किसी भी देश के नागरिकों का धर्म भी है और कर्तव्य भी ।

***************************************************
*********************************************************

केवल राष्ट्रीय धर्म की सीख से ही काम नहीं चलेगा , ज़रूरी है कि हमे कितने बलिदानों के बाद आज़ादी मिली है इसका इतिहास भी पता होना चाहिए । इसी बात पर रविन्द्र जी अपने लेख में प्रमुखता से कह रहे हैं -




 उन्हें पता होना चाहिए कि वे स्वतंत्रता सेनानी कौन थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया? उन पर क्या बीती होगी जब अपने प्राणों का  बलिदान किया होगा?  अपने माँ-बाप, भाई-बहन और बीबी-बच्चों को किसी के सहारे छोड़ा था या उन्हें इसका मौक़ा ही नहीं मिला? 


 जहाँ एक ओर राष्ट्र धर्म की सीख घर से मिलने की बात की जा रही है वहीं आज़ादी का एक भयावह चित्रण भी सामने आता है । इसीलिए आज़ादी पर प्रश्नचिह्न भी लग गए हैं ....

आज़ादी ??????


समय की रेत पर
अंधाधुंध भागते पैरों के निशान
गवाह हैं कि
चीरकर गुलामी को
फेंफड़ों में भर दी गयी गई थी


 

भले ही आप प्रश्नचिह्न लगाते रहिये ! लेकिन   जन जन के मन में जो तिरंगे के प्रति भाव है वो कोई डिगा नहीं सकता ....

उड़े तिरंगा शान से ....

उन्मुक्त गगन के भाल पर
उड़े तिरंगा शान से
कहे कहानी आज़ादी की
लहराये सम्मान से



 यह तिरंगा जो शान से लहरा रहा  है उसके पीछे कितने वीरों ने  कुर्बानी दी है यह  किसी से छिपा नहीं है  ...... आज के दिन हम शहीदों को याद न करें तो यह कृतघ्नता होगी ....

स्वतंत्रता दिवस ,  पावन पर्व आज़ादी का 

कह दो  क़ुदरत क़ायनात से कुछ ऐसा, 
कश्मीर-सा सुन्दर उपहार सजा दे,
करूँ नमन प्रतिपल वीर शहीदों को,
हृदय को उनका द्वार दिखा दे |


 

आज जब हम छियतर वां  स्वतंत्रता  दिवस मना रहे हैं तब इस पर गहन मनन की आवश्यकता लगती है , इस विषय पर हर एक  की सोच महत्त्वपूर्ण   लगती है ....... 

स्वतंत्रता ----- एक सनातन  संस्कार 

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कहानी पर गहराई से नज़र डालें तो इस बात का स्पष्ट आभास मिलता है कि यह संघर्ष यात्रा भी पूरी तरह इस देश के सनातन माटी के संस्कार से सिक्त होकर ही निकली है।वैचारिक विभिन्नताओं की अनगिनत धाराओं का अद्भुत समागम है- हमारी आज़ादी की प्राप्ति यात्रा ।



 एक तरफ हम सनातन संस्कार की बात करते हैं , लेकिन हमारे देश के नेताओं ने आज कैसे संस्कार दे दिए हैं ? पढ़िए तीखा तंज़ इस लघु कथा में ....

चुनाव  आवे  वाला  है ...


अरे अम्मा हम तौ क़हत रहे कि झण्डा तौ फिरी  मिलि रहा बस लगाना है।

अच्छाऽऽ

हाँ सही कह रहे अम्मा ! पूरी बस्ती  झण्डा बँटि रहाबड़े-बड़े साहब नेता सब बांटि रहेढूँढ-ढूँढ सबै दे रहे 



 एक तरफ गरीब घर घर झंडा हर घर झंडा का अर्थ अपने अनुभव के आधार पर  निकाल  रहा लेकिन फिर भी देश और देश को आज़ादी दिलाने वाले वीरों के प्रति मन में उमड़ते भावों के सैलाब को भला कौन रोक पाया है ...... इसी में बहते हुए कर दी है एक ...

 वसीयत 


मुझे नमन करना है शहीदों को

       मुझे नमन करना है उन योगियों को

          नींद से बोझिल मुँदी पलकों में

                सारी रात भटका किए



 जी हाँ , वसीयत तो सच्ची लिखी है  । अच्छा एक बात --- कि कितने लोग जानते हैं कि ध्वजारोहण लालकिले पर ही क्यों किया जाता है ?  इसका भी अपना इतिहास है । आइये जानते हैं इसका कारण ---- 

स्वतंत्रता दिवस और लाल किला 

ऐसा नहीं है कि इसके पहले या बाद में इस दुर्ग ने जुल्मों-सितम नहीं देखे ! सालों बाद एक बार फिर 1945 में ब्रिटिश हुकूमत ने आजाद हिंद फौज के जांबाजों, जी एस ढिल्लन, कैप्टन शाहनवाज तथा कैप्टन सहगल पर यहीं मुकदमा चला उन्हें सजा देने की कोशिश की थी ! पर उस समय सारा देश उनके पीछे खड़ा हो गया था !



 अब इतिहास कुछ भी रहा हो , वर्तमान में हम क्या संकल्प ले सकते हैं ..... उस पर ध्यान देना आवश्यक है ......

हो बस ये संकल्प  हमारा 

आजादी के महापर्व पर

हो बस ये संकल्प हमारा

गगन चूमता रहे तिरंगा

उन्नत भारतवर्ष हमारा।



 देश उन्नत तब ही होगा जब हम सब स्वाभिमान से जीना सीखेंगे । सबसे बड़ी बात कि स्वाभिमान के लिए अमीर होना ज़रूरी नहीं । इसी आशय को स्पष्ट कर रही है ये कहानी -----

देश भक्ति 


राजू एकदम से घबरा गया। 
''कुछ नहीं साब। डीपी पर तिरंगे की सुंदर फोटो है यह सुनकर तिरंगे को देखने की इच्छा को दबा नहीं पाया इसलिए...''
''तू क्या जाने डीपी क्या होती है और देशभक्ति क्या होती है?'' दूसरे दोस्त ने कहा।



 एक ओर ये कहानी देश भक्ति की सीख दी रही है तो दूसरी ओर देश में आज़ादी के बाद से फैलता भ्र्ष्टाचार लेखक को क्या कुछ कहने को मजबूर कर रहा है ... आप स्वयं ही पढ़ें  और  सोचें कि क्या इसी सबके लिए लिए आज़ादी के दीवानों ने अपने प्राण उत्सर्ग किये थे ----

ये देश है वीर जवानों का 

स्वतंत्रता संग्राम की १५० वीं और स्वतंत्रता प्राप्ति की ६० वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में हर

 तरह उत्सव भरा माहौल है. सरकारी विभागों में भी खुशी मनाने की तैयारी है. बच्चे परेड, नृत्य

 और गीत की तैयारी कर रहे हैं. स्कूलों में एक बालूशाही, एक समोसा, एक लड्डू और एक

 केला के पैकेट तैयार होने की तैयारी में हैं, जो बच्चों को स्कूल की परेड में आने के लिये

 ललचायेंगे.


 

इतना सब होते हुए भी हमारा उत्साह कम नहीं है । अमृत महोत्सव  से जन जन जुड़ चुका है । घर घर झंडे के तहत एक नया जोश भारतीयों के मन से प्रकट हो रहा है । भले ही कुछ विसंगतियाँ हैं  लेकिन फिर भी सोचने वाली बात है कि हमेशा नकारात्मक ही क्यों सोचना है ? एक विचारोत्तेजक लेख पढ़िए और सोचिए -- 

और कितनी आज़ादी ????

अभी एक बाल पत्रिका के सम्पादकीय में एक प्रसंग है कि किसी स्कूल में आजादी के अमृतमहोत्सव में अध्यक्ष बच्चों को बताते हैं कि हमारे देश को आज़ाद हुए 75 वर्ष हो चुके हैं लेकिन असली आजादी मिलनी अभी बाकी है . इस तरह के रटे रटाए भाषण मंचों पर अक्सर सुनने मिल जाते हैं . मैं चकित हूँ ..इन्हें और कितनी आजादी चाहिये ?


 इस लेख के साथ ही इस महोत्सव को आपके सुपुर्द कर रही हूँ । आज हर्ष औ उल्लास से इस पर्व में उपस्थिति दर्ज  कराएँ ...... आप सबको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई । फिर मिलते हैं , अगले सोमवार को । तब तक के लिए ...... 

नमस्कार ! जय हिंद 

संगीता स्वरूप 


38 टिप्‍पणियां:

  1. उन्मुक्त गगन के भाल पर
    उड़े तिरंगा शान से
    कहे कहानी आज़ादी की
    लहराये सम्मान से
    स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं
    सादर प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  2. स्वतंत्रता का गीत दिव्यात्माओं का उपहार है
    शौर्य गाथा पीढ़ियों की स्वदेश प्रेम का सार है
    नमन है उनको प्रथम, बलिदान जो अज्ञात हैं
    हो विलोपित पटल से हृदय में शीर्षांकित हो गये।
    --------
    स्वतंत्रता दिवस की हम सभी को बहुत-बहुत बधाई।
    प्रिय दी,
    इस शानदार,इंद्रधनुषी विशेषांक की हर रचना देश की विविधापूर्ण संस्कृति की तरह सुंदर है सारयुक्त है। सभी को शुभकामनाएं ।
    वापस मिलते है सारी रचनाओं का पूर्णतया अवलोकन करने के बाद।
    सप्रेम
    प्रणाम दी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी सामयिक हलचल में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!
    सभी ब्लॉगर साथियों और पाठकों को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना

    जवाब देंहटाएं
  4. स्वतंत्रता दिवस के अमृत महोत्सव पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
    वंदेमातरम्, जय भारत भारती।

    अमृत महोत्सव के दिन आपकी ये विशेष प्रस्तुति ब्लॉग जगत को एक अमूल्य उपहार है आदरणीय संगीता जी।
    बहुत उत्कृष्ट और श्रमसाध्य, वृहद लिंक्स के साथ सामायिक परिप्रेक्ष्य पर सुंदर संकलन।
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक और चिंतन से भरी हैं।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को इस विशेष उत्सव में शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।
    वंदेमातरम्।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हलचल की प्रस्तुति तभी सार्थक है जब पाठक लिंक्स तक जाएँ । सराहना के लिए हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  5. 🙏 नमस्कार दी
    आजादी की अमृत महोत्सव को समर्पित आज का यह श्रमसाध्य अंक निश्चय ही संग्रहणीय है।आने वाली पीढ़ी के लिए ये एक धरोहर सदृश है। और इस संग्रहणीय अंक में मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
    सभी ब्लॉगर साथियों को आजादी की अमृत महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई 🙏

    जवाब देंहटाएं
  6. हमारा सौभाग्य है कि हम देश के स्वतंत्रता की ७५वीं वर्षगाँठ देख सकें
    यानि हम गुलाम देश में जन्म नहीं लिए

    गुलामी देखे होते तो शायद ज्यादा समझ पाते स्वतंत्रता को

    आजादी के अमृत महोत्सव की शुभकामनाओं के संग बधाई

    उम्दा संकलन के लिए साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सच कहा कि गुलामी देखे होते तो आज़ादी का अर्थ ज्यादा अच्छे से समझते । सराहना हेतु हार्दिक आभार

      हटाएं
  7. आजादी की वर्षगांठ मना रहे हैं.

    इस संदर्भ में रचनाकारों का लिखा
    सब पढ़ें इस बात को आपने समझा और सुंदर संकलन कर प्रसिद्ध ब्लॉग पर प्रस्तुत किया.
    इस प्रस्तुति के पहले जो भूमिका लिखी है आपने,वह अपने आप में बहु कुछ कहती है,सभी रचनाओं का निचोड़ है.
    सार्थक और सटीक भूमिका के लिए साधुवाद.

    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार

    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भूमिका में आपने अपनी पैनी दृष्टि डाली , इसके लिए आभार ।
      सच है कि लेखकों का लिखा नया पुराना पढ़ते रहना चाहिए ।

      हटाएं
  8. देश भक्ति के स्वाधीन खुशनुमा रंग, बहुत ही सुन्दर लग रहे हैं
    जय हिन्द जय भारत

    जवाब देंहटाएं
  9. सभी ब्लाग देख लिये । उत्कृष्ट चयन है । आभार संगीता जी मेरी रचना को शामिल करने के लिये .

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आप हर ब्लॉग तक पहुँची जिनके लिंक्स मैंने लगाए हैं । इसके लिए हृदयतल से आभार । मैंने आपके हस्ताक्षर देखे थे इन लिंक्स पर और बहुत खुशी हुई थी और ये प्रस्तुति लगाना सार्थक लगा था । आभार गिरिजा जी ।।

      हटाएं
  10. आजादी के अमृत-महोत्सव के अवसर पर इस श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन। प्रस्तुति में जो पुरानी रचनाओं के लिंक लगाए जाते हैं उसके लिए कितना प्रयास करना पड़ता होगा उसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। सभी साथी रचनाकारों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। मुझे भी शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रविन्द्र जी ,
      आपने सही कहा कि पुराने लिंक्स ढूँढने में काफी पढ़ना पड़ता है ,लेकिन यदि पाठक वहां तक पहुंचते हैं तो मेहनत सफल हुई लगती है ।
      सराहना हेतु आभार ।

      हटाएं
  11. बहुत ही अच्छे लिंक्स हैं | मुझे शामिल किया, आभार |

    जवाब देंहटाएं
  12. आजादी के अमृत उत्सव पर पांच लिंकों का पंचामृत आनंद!!! सुंदर, सार्थक और संग्रहणीय।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार । ये पंचामृत आपको पौने चार बार पीना पड़ेगा यदि पाँच लिंकों का आंनद मान रहें हैं तो 😆😆😆।
      सराहना हेतु पुनः आभार ।

      हटाएं
  13. बहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
    मुझे स्थान देने हेतु हृदय से आभार आदरणीय दी। समय मिलते ही सभी ब्लॉग पर जाने का प्रयास रहेगा।
    सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय अनिता , ब्लॉग्स पर जाने का प्रयास कीजियेगा । सराहना हेतु आभार ।

      हटाएं
  14. स्वतन्त्रता दिवस के अमृत महोत्सव पर देशभक्ति से परिपूर्ण श्रमसाध्य, सारगर्भित और संग्रहणीय अंक । मैने सभी लिंक्स पर भ्रमण किया, विचारणीय संदर्भों के साथ ही रोचक और प्रशंसनीय सृजनात्मकता ने मन मोह लिया , आपके श्रम को हार्दिक नमन है मेरी लघुकथा इस अंक का हिस्सा बनी, मेरे लिए हर्ष का विषय है, सादर आभार....
    आदरणीय शास्त्री जी की देशभक्ति से ओतप्रोत प्रेरक रचना
    कुसुम जी की तिरंगे की शान मे सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
    और कितनी आज़ादी..दीदी गिरजा कुलश्रेष्ठ जी के नेताओ के अधूरी आज़ादी वाले रटे रटाए भाषणों का सटीक विश्लेषण
    हे मातृभूमि शतकोटि नमन..कर्म समस्तपुरी की राष्ट्रप्रेम से सज्जित सुंदर सराहनीय रचना
    यादों के गलियारे की सैर करता कविता रावत जी का सुंदर आलेख
    देवेन्द्र पाण्डेय का एक जनगणना मकान यथार्थपरक कहानी
    वसीयत उषा किरन जी की सराहनीय रचना
    गगन शर्मा जी का आजादी की रात का, स्वतंत्रता दिवस और लाल किला पर सारगर्भित आलेख
    अभिलाषा चौहान जी की रचना, हो संकल्प हमारा
    ज्योति जी की कहानी देशभक्ति
    समीर लाल जी का आलेख ये देश है वीर जवानों का, यथार्थ का सटीक चित्रण
    विश्वमोहन जी का आलेख,स्वतंत्रता.. एक सनातन संस्कार..हर काल खंड में सारगर्भित आलेख।
    अनीता सैनी की रचना आज़दी का पर्व सार्थक रचना
    श्वेता सिन्हा की ओज से भरपूर राष्ट्र को समर्पित सुंदर कविता
    ज्योति खरे जी की सचेत करती, चिंतनपूर्ण कविता
    स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में कामिनी सिन्हा जी का विचारणीय आलेख ।
    आज़ादी पर मोनिका शर्मा जी का बच्चों में संस्कार को प्रेरणा देता आलेख
    वीरेन्द्र सिंह जी का स्वतंत्रता का मूल्य बताता आलेख
    ...सभी रचनाकारों को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐👏👏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय जिज्ञासा ,
      हर ब्लॉग पर तुम्हारी दस्तक देख मन संतुष्ट है । साहित्यिक कार्यक्रमों में व्यस्त रहते हुए भी इतने ब्लॉग्स पढ़ कर हर सूत्र पर प्रतिक्रिया देना दर्शाता है कि दी हुई प्रस्तुति की अहमियत को समझा है । इसके लिए हृदय से आभार ।

      हटाएं
  15. प्रिय दी,
    सर्वप्रथम क्षमा चाहते हैं बहुत देर से प्रतिक्रिया लिख रहे।
    आपके सौजन्य से
    आज़ादी के अमृतोत्सव का अमृत छककर पी लिये।
    विविध विषयों को समेटकर आपने एकसाथ रखा है इतने सारे अपठित और बेहद सराहनीय सूत्र पढ़वाने के लिए हृदय से बहुत-बहुत आभारी हूँ।
    आपकी इतनी सारी मेहनत को विशेषकर प्रणाम।
    रचनाओं के लिए क्या कहें दी देशभक्ति रस मे डूबी सभी रचनाएँ नमन योग्य है।
    ------
    स्वतंत्रता दिवस एक पावन पर्व आज़ादी का
    स्वतंत्रता एक सनातन संस्कार
    स्वतंत्रता दिवस एक त्योहार

    मेरे प्यारे वतन,दुलारे वतन
    हे मातृभूमि शतकोटि नमन
    हो बस ये संकल्प हमारा
    बच्चों को घर में राष्ट्रधर्म की सीख भी मिले
    नई पीढ़ी को स्वतंत्रता का मूल्य समझाना जरूरी

    स्वतंत्रता दिवस और लाल किला
    स्वतंत्रता दिवस का वह एक दिन
    देशभक्ति में
    उडे तिरंगा शान से
    वसीयत
    आज़ादी की
    ये देश है वीर जवानों का
    एक जनगणना मकान पूछता है
    चुनाव आवे वाला है का
    अरे बोलो न और कितनी आज़ादी?
    -----
    जी दी, हम अधिकतर रचनाओं पर जाकर कल ही प्रतिक्रिया लिख आये पर आज जब दुबारा से गये न कुछ प्रतिक्रिया प्रकाशित नहीं दीख रही शायद स्पेम में हो आप सभी ब्लागर्स से विनम्र निवेदन है कि कृपया समय समय पर स्पेम चेक करते रहे।
    अगले अंक की प्रतीक्षा में
    सप्रेम प्रणाम दी
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता ,
      अमृत महोत्सव पर यदि सच ही उत्सव अमृत पी लिया है तो मेरा प्रयास सफल हुआ ।
      हर सूत्र पर जा कर विशेष प्रतिक्रिया मिलते ही सारी थकान उतर जाती है ।
      सार्थक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।
      आज कल ब्लॉग पर कमेंट्स स्पैम में जा रहे हैं सभी ब्लॉगर्स से निवेदन है कि कमेंट स्पैम में चैक करते रहें ।

      हटाएं
  16. उत्कृष्ट लिंको से सजी शानदार अमृत महोत्सवी श्रमसाध्य प्रस्तुति... मैं तो कल से महोत्सव मना रही अब जाकर समापन कर पायी । आपके चयन एवं श्रम को देखकर हैरान हूँ।🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय सुधा ,
      आपने इस महोत्सव को मन से मनाया , मैं तो आपके धैर्य को देख हैरान हूँ ।
      हृदयतल से आभार ।

      हटाएं
  17. वाकई संगीता जी आपने आज़ादी के विभिन्न रंगों से रंगी रचनाओं से अपने विशेष अंक का गुलदस्ता सजाया है जो स्वतंत्रता दिवस के अमृत महोत्सव पर एक विशेष उपहार है। जिसका आनन्द लेकर हम भी भाव- विभोर हुए।
    ये हमारा सौभाग्य है कि आज हम गुलाम भारत में नहीं आजाद भारत में खुल कर साँस ले रहे हैं । तो जिन वीरों ने अपनी शहादत दी उनको श्रद्धांजलि तो बनती है साथ ही अगली पीढ़ियों को भी इसके प्रति जागरूक करना हमारा पावन कर्तव्य है ।
    बहुत उत्कृष्ट और श्रमसाध्य, लिंक्स का सुंदर संकलन-प्रस्तुति… सभी रचनाएं बहुत भावपूर्ण और देश भक्ति के चिंतन से परिपूर्ण हैं ।बहुत सुन्दर, सार्थक व ज्ञानवर्धक कविता, आलेख, और कहानियों का संकलन किया आपने।
    शास्त्री जी, कुसुम जी, ज्योति खरे, श्वेता सिन्हा, वीरेन्द्र सिंह जी, मोनिका शर्मा, अनीता सैनी जी, विश्वमोहन जी, देवेन्द्र पान्डे जी, गिरिजा जी, कामिनी सिन्हा जी , श्वेता सिन्हा जी, समीर लाल दी कविता रावत जी, अभिलाषा चौहान, गगन शर्मा जी की सभी रचनाएं बेहतरीन । इस विशेष पर्व पर मेरी रचना का चयन करने के लिए आपका हृदय से आभार 🙏💐💐💐🇮🇳🇮🇳🇮🇳

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय उषा जी
      आपने हर रचना का निचोड़ प्रस्तुत कर दिया । मेरे श्रम को सार्थक करने के लिए हार्दिक धन्यवाद । आप सब की सराहना पा कर अनंत ऊर्जा का संचार हो जाता है ।

      हटाएं
  18. अमृत महाउत्सव के अवसर पर , आपकी पांचों रचनाएं बहुत सुन्दर है । श्रम सार्थक है
    - बीजेन्द्र जैमिनी
    पानीपत - हरियाणा

    जवाब देंहटाएं
  19. संगीता दी, मेरे ब्लॉग की लिंक पकांच लिंको में शामिल करने की जानकारी वाली आपकी टिपणी स्पैम में चली जाने के कारण मैं देख नही पाई थी। वो तो स्वेता दी ने बताया कि शायद उनकी टिपणी स्पैम में होगी इसलिए सैम में चेक किया तब अन्य कई टिप्पणियां दिखी। अब बराबर चेक करती रहूंगी।
    मेरी रचना को पांच लिंको का आनन्द में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।