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मंगलवार, 16 अगस्त 2022

3487 ..मैं चाहे जहाँ रहूँ ,मन में तू हो हर दम !

 सादर अभिवादन

पिचहत्तर साल बीत गए
मानों कल ही की बात है
लगता तो नहीं कि हमें आजादी मिल गई
मिली तो है कुछ को..और
नही भी मिली है कुछ को
खैर ..इशारा काफ़ी है

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मुहब्बत मुल्क से कितनी मैं करता हूँ बताता हूँ
लहू से रंग भरता हूँ तिरंगा जब बनाता हूँ।

तिरंगा आन है मेरी तिरंगा शान है मेरी
इसीका मैं कफ़न पहनूँ इसीको छत बनाता हूँ।




तेरी माटी चंदन ,तेरा जल गंगा जल ,
तुझमें जो बहती है वह वायु प्राण का बल ,
ओ मातृभूमि, मेरे स्वीकार अमित वंदन !

मेरे आँसू पानी , मेरा ये तन माटी ,
जिनने तुझको गाया .बस वे स्वर अविनाशी !
मैं चाहे जहाँ रहूँ ,मन में तू हो हर दम !




पचहत्तर साल बीत गए
विश्वास नहीं होता
मन कहता है,
"ऐ भगतसिंहा,
एक बार हाथ मिला ले यार,
तेरी बात समझ नहीं पाया
पर इतना तो तय है
कि कुछ तो बात है !"




वज़ूद मुल्क का अपने ,हशमत है ये हम सबका ,
पायतख्त की ये लताफत फ़लक पर आज फहराए .

दुनिया सिर झुकाती है रसूख देख कर इसका ,
ख्वाहिश ''शालिनी''की ये फ़लक पर आज फहराए .



गर्व बहुत है तुम पर हमको दिल में पसरा गम भी है
अन्तिम दर्शन को व्याकुल हर नयन यहाँ पर नम भी है
तुम-सा हो जाने की चाहत जाग रही है हर दिल में
और तुम्हारी शौर्य कथा का फहराता परचम भी है

आज बस
सादर

6 टिप्‍पणियां:

  1. देशभक्ति के रंग में रँगी सुन्दर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई, शुभकामनाएँ , आभार यशोदा जी

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  2. बहुत शानदार हलचल प्रस्तुति, मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी 🙏🙏

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  3. पठनीय सूत्रों से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक।

    जवाब देंहटाएं

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