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मंगलवार, 23 जून 2020

1803...'पाँच लिंकों का आनन्द' की पाँचवीं वर्षगाँठ...

सादर अभिवादन / अभिनन्दन

       विश्वविख्यात पुरी की रथयात्रा निकाले जाने हेतु सर्वोच्च न्यायालय ने सशर्त अनुमति दी है। आज निकलनेवाली भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया को भगवान् जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र जी एवं बहन सुभद्रा जी के साथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर के लिए प्रस्थान करते हैं। तीनों रथों को नगर भ्रमण कराया जाता है।    

आज 'पाँच लिंकों का आनन्द' अपनी पाँचवीं वर्षगाँठ मना रहा है जो भारतीय पंचांग के अनुसार पुरी की रथयात्रा की तिथि से संबद्ध है। यों तो ग्रेगोरियन कलेंडर के अनुसार वर्षगाँठ आगामी 19 जुलाई 2020 को होगी। इतना अंतर इसलिए है क्योंकि भारतीय पंचांग के अनुसार महीना 30 दिन (चंद्रमा की कलाओं पर आधारित शुक्ल पक्ष -कृष्णपक्ष ) का होता अर्थात वर्ष में 360 दिन जबकि ग्रेगोरियन कलेंडर के अनुसार वर्ष में 365 / 366 दिन होते हैं जो पृथ्वी द्वारा सूर्य की वार्षिक परिक्रमा का औसत समय है अर्थात एक वर्ष में 365.26 दिन। इसीलिए चौथे वर्ष फरवरी माह 29 दिन का तय हुआ तो साल 366 दिन का। ख़ैर इन गणनाओं से बाहर आते हैं। 
      
         पाँच वर्षों का लंबा सफ़र तय करता हुआ यह सामूहिक ब्लॉग सुधी पाठकों का चहेता प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ प्रतिदिन अलग-अलग चर्चाकारों द्वारा उनकी पसंद की सद्यप्रकाशित पाँच रचनाओं के लिंक और महत्त्वपूर्ण अंश पटल पर सजाए जाते हैं। सोमवारीय प्रस्तुति पूर्णतः रचनाकारों द्वारा विषय आधारित सृजन को समर्पित रहती है जिसे आजकल विषय की व्याख्या के साथ प्रस्तुत कर रही हैं 
आदरणीया यशोदा अग्रवाल जी।  
इस ब्लॉग की संस्थापिका बहन यशोदा अग्रवाल जी एवं उनके 
जीवनसाथी दिग्विजय अग्रवाल जी ने सामूहिक ब्लॉग संचालन का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। नवीनता और परिवर्तन जैसी मूल अवधारणा को आत्मसात करते हुए वे चर्चाकारों से निरंतर संवाद बनाए रखते हैं। हरेक साहित्यिक अभिरुचि की गतिविधि को ब्लॉग पर प्रदर्शित करने का उनका प्रयास निस्संदेह 'पाँच लिंकों का आनन्द' ब्लॉग की लोकप्रियता का प्रमुख कारक है। 

वरिष्ठ साहित्यकार,साहित्यसेवी एवं समाजसेवी आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी जो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सतत सक्रिय रहतीं हैं उनकी शनिवारीय प्रस्तुति थीम आधारित होती जो विभिन्न दृष्टिकोण पाठकों के समक्ष प्रदर्शित करती है। 

रविवारीय प्रस्तुति भाई कुलदीप ठाकुर जी द्वारा प्रस्तुत की जाती है जिसमें समाज और राष्ट्र के समक्ष विभिन्न चुनौतियों पर गहन चिंतन संबंधी रचनाओं को प्रमुखता से संजोया जाता है। ब्लॉग के प्रति उनका समर्पण सराहनीय एवं अनुकरणीय है।

बुधवारीय प्रस्तुति वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीया पम्मी सिंह 'तृप्ति' जी द्वारा प्रस्तुत की जाती है जिसमें उनका प्रयास समकालीन विषयों के साथ अन्य समाजोपयोगी विषयों,घटनाओं पर सृजित रचनाओं को पटल पर स्थान देने का होता है।

शुक्रवारीय प्रस्तुति में ज्वलंत विषयों पर सार्थक भूमिका के साथ संवेदना के सुरोंप्रकृति विषयक और तार्किक विवेचना से परिपूर्ण रचनाओं का चयन कर आपके समक्ष लातीं हैं स्थापित साहित्यकार श्वेता सिन्हा जी जिनके सृजन का ब्लॉग-जगत मुरीद है।

फिलहाल मंगलवारीय एवं गुरुवारीय प्रस्तुति का ज़िम्मा मेरे पास है। 

हमें साहित्यिक सफ़र के इस मक़ाम तक पहुँचने में आपने जो स्नेह,आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन दिया है उसके लिए 'पाँच लिंकों का आनन्द' परिवार आपका तह--दिल से आभारी है। यह क्रम यों ही चलता रहेगा ऐसा हमारा विश्वास है। आप सभी का दिली शुक्रिया हमसे जुड़े रहने के लिए और हमारा मनोबल ऊँचा रखने के लिए। 

पहला अंक प्रकाशित हुआ था 19 जुलाई 2015 को


आइए अब आपको इस विशेषांक के लिए चुनी गईं 
कुछ रचनाओं की ओर ले चलें-  


 कोशिश, माँ को समेटने की

"ईगो" और "स्पोंड़ेलाइटिस"
कभी कभी एक से लगते हैं दोनों
फर्क महसूर नहीं होता

दर्द होता है मुड़ने पे
पर मुश्किल भी नहीं होती


My photo 

हम संसार में अपना बल खोजते हैं, ईश्वर का बल मिल जाने पर किसी और बल की जरूरत ही नहीं है. जगत के साथ संबन्ध बन्धन लगता है ईश्वर के साथ जो बन्धन है वह बन्धन नहीं लगता, वह मुक्ति का द्बार खोल देता है. वह ध्यान के लिए अनुकूल है, भक्ति ध्यान के लिए और ध्यान भक्ति के लिए जरूरी है.


पलकों पर ठहरा इंतेज़ार लिखा
उम्र भर का क़रार लिखा
आँखों के झिलमिल ख़्वाब लिखे
लब पर ठहरे अल्फ़ाज़ लिखे। 




                   
तुम्हारी थकन ने मुझे तोड़ डाला,
तुम्हें क्या पता क्या सहन कर रहा हूँ

मैं अहसास तक भर गया हूँ लबालब,
तेरे आँसुओं को नमन कर रहा हूँ



गुण-सुबुद्धि आप हमको दीजिए।
हे प्रभो कल्याण हमारा कीजिए।।
सबके उर में आपका ही प्यार है।
सारे जग के आप पालनहार हैं।।

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे आगामी गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

19 टिप्‍पणियां:

  1. श्री जगन्नाथम् शरणम् मम्..
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    ये मुकाम आपके सहयोग के बिना
    असम्भव था..हृदय से आभार..
    शुभकामनाएँ..
    सादर..

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  2. छौने ने छू लिया आकाश
    पाँच साल में फैला प्रकाश
    बीज से बिरवा बरगद बनेगा
    सात कर बंधे एक स्नेह-पाश

    हार्दिक बधाई और साधुवाद

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  3. बेहतरीन प्रस्तुति ।सभी रचनाएँ एक-से बढ़कर एक।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

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  4. हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. पाँच लिंकों की पाँचवी वर्षगाँठ पर हार्दिक अभिनंदन 💐💐💐💐💐💐💐💐💐सभी गुणींं चर्चाकारों का हृदयतल से आभार 🙏 यह सिलसिला बस यूँ ही चलता रहे ,यही मनोकामना है । सुंथर प्रस्तुति अनुज रविन्द्र जी ।

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  6. पांचवी वर्षगाँठ पर बधाई और शुभकामनायें, इसी तरह यह सफर आगे बढ़ता रहे और पांच रचनाओं का रसास्वादन पाठक गण करते रहें, आभार मुझे भी इस अंक में शामिल करने के लिए !

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  7. 🌹🌹💐💐🌹🌹वाह!! सुंदर अंक! पांच लिंकों की पांचवी वर्षगांठ पर सभी पाठकों और चर्चाकारों को हार्दिक बधाईयाँ। ये यात्रा यूँ ही चलती रहे यही कामना है। सादर 🌹🌹🌹💐🌹🌹🙏🙏🙏🙏

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  8. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति, पांचवीं वर्षगांठ की असीम शुभकामनाएं

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  9. वर्षगांठ के अवसर पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सभी सुधी पाठको और रचनाकारों का हमारे पाँच लिंक परिवार का हार्दिक आभार।
    रवींद्र जी ने सभी चर्चा कारों को प्रबुद्ध शब्दों से मान दिया। उनके लेखन और विचारोंं की चर्चा के बिना यह अंक अधूरा है।

    सहज,सरल और सौम्य व्यक्तित्व के स्वामी रवींद्र जी के
    पास ज्ञानवर्द्धक एवं रोचक जानकारियों का ख़ज़ाना है।
    बात चाहे राजनीति की हो , ऐतिहासिक हो,
    साहित्यिक हो या किसी समसामयिक संदर्भों में हो
    उनकी विलक्षणता सदैव प्रभावित करती है।
    रवींद्र जी की आलोचनात्मक प्रतिक्रिया
    सदैव मार्गदर्शन करती है।
    उनकी रचनाएँ समाज का दर्पण है। उनकी समसामयिक हलचलों को समाचार-काव्य में उकेरनी की विधा
    अपने आप में अनूठी है।

    बेहतरीन प्रस्तुति सराहनीय संकलन के लिए बधाई आपको।

    सादर।

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  10. संग्रहणीय योग्य प्रस्तुति के साथ सुंदर रचनाएँ।
    हर रचनाकारों की विस्तृत वर्णन..निशब्द🙏
    शुभकामनाएँँ एवम् बधाई रवीन्द्र जी

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  11. पाँच लिंकों के 'परम आनंद के अनंत की महारथयात्रा' के पाँचवे पड़ाव पर पुलकित मन से हार्दिक अभिनंदन और शुभकामना। चरैवेति, चरैवेति।

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  12. हर लिंक बेहद दिलचस्प ...
    आभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...

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  13. इस समर्पण को मेरा सलाम !!! इतने मनोयोग से, संयम से एक कार्य के साथ इतने लंबे समय बँधे रहना आसान नहीं है। जगन्नाथ भगवान के रथ को खींचने जैसा ही दुष्कर कार्य है यह, हलचल के सभी चर्चाकारों को हृदय से बधाई व शुभकामनाएँ।

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  14. 'पाँच लिंकों का आनन्द' को पाँचवीं वर्षगाँठ की हार्दिक शुभकामनाएं। ये मंच सालों साल यूँही गतिमान रहे यही कामना हैं। आप सभी के मेहनत और लग्न को सत सत नमन। देर से आने की माफ़ी चाहती हूँ,कुछ कारणों से व्यस्तता बढ़ गई है इसीलिए आ नहीं सकी।

    जवाब देंहटाएं

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