दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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बुधवार, 24 जून 2020
1804 ..कहब तो लग जाई धक से...
।। सुहानी भोर ।।
खींच कर ऊषा का आँचल इधर दिनकर है मन्द हसित,
उधर कम्पित हैं रजनीकान्त प्रतीची से हो कर चुम्बित।
देख कर दोनों ओर प्रणय खड़ी क्यों कर रह जाऊँ मैं छिपा कर सरसी-उर में शीश आत्म-विस्मृत हो जाऊँ मैं..!!
~ अज्ञेय
एक बार ‘साम’ के साथ ‘दाम’ और ‘भेद’ का व्यवहार करने का उपदेश द्रोणाचार्य ने अर्जुन को दिया था, जिसके प्रयोग का समय हमारे देश को भी अपने पड़ोसी देशों के साथ यहीं उचित समय है.. समसामयिक विषयों और सुहानी भोर के साथ अब नजर डालें आज के लिंकों पर..✍
एक गुप्त खबर के अनुसार २०१४ के चुनावों में नरेन्द्र मोदी जिस जादू की छड़ी को लेकर भारत का विकास करने का दंभ भरते थे, वो छड़ी उनके प्रधानमंत्री पद के शपथ लेने के बाद गायब हो गई है। पीएमओ का मानना है कि छड़ी गायब नहीं हुई अपितु किसी ने छड़ी को चुरा लिया है
एक महान राजा के राज्य में एक भिखारीनुमा आदमी सड़क पर मरा पाया गया। बात राजा तक पहुंची तो उसने इस घटना को बहुत गम्भीर मानते हुए पूरी जांच कराए जाने का हुक्म दिया।
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बेहद खूबसूरत लिंकों का प्रवेश तथा
जवाब देंहटाएंमेरी कृति को यगण स्थान देने के लिए शुक्रिया तृप्ति जी ।
वाह! उम्दा भूमिका और सराहनीय प्रस्तुति!! कहब त लग जायी धक से !!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअज्ञेय की सुंदर रचना के साथ पठनीय रचनाओं का संकलन, आभार मुझे भी शामिल करने हेतु !
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स शानदार।
जवाब देंहटाएंकाश लागल धक्क से असर भी कुछु हो इत..
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण
बहुत खूबसूरत ,कहब त लग जाइ धक्क से मजेदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक चयन सभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
सभी रचनाकारों को बधाई।
खूब सूरत प्रस्तुति"कहब त लग जाई धक से"
जवाब देंहटाएंहमारी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
"कहब त लग जाई धक से" वीडियो जबरदस्त है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
वाह! बेहतरीन प्रस्तुति।कहब त लग जाई धक से।अमीर-गरीब की तुलनात्मक वर्णन। सुंदर चित्रण।
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