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गुरुवार, 28 मई 2020
1777...कैसी तृप्ती है औझड़-सी...
14 टिप्पणियां:
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अब कोई बात या कुछ भी हैरान नहीं करता .. मानों हैरानी रोधक/प्रतिरोधी हो गया है दिल दिमाग
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण अपना ख्याल रखें
कुछ ही वर्ष में अभ्यस्त हो जाएगा
जवाब देंहटाएंहमारा शरीर...हम फिर से चाऊमीन और
मंचूरियन खाने लगेंगे,पनीरचिली के साथ..
यहां नही तो वहां सही..
सादर..
2020 की फ़रेबी शुरुआत..सच्ची बात है, पर आशाओं में ही तो जीवन है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं का संकलन
धन्यवाद एवम्भ शुभकामनाएँँ
सुप्रभात संग नमन आपको ..इस मंच पर आज की अपनी इंद्रधनुषी प्रस्तुति में मेरी रचना/विचार को स्थान देने के लिए आपका आभार रवीन्द्र जी ..
जवाब देंहटाएंआज के आपके आगाज़ ..:-
2020 की फ़रेबी शुरुआत
अब हैरान नहीं करती
विरक्ति-मार्ग की युक्ति
अब हैरान नहीं करती।...-
की बात करें तो .. बेचारे 2020 को क्यों दोष देना भला .. "फ़रेब" तो हमारे लिए नई वस्तु है ही नहीं ना .. अगर पौराणिक कथाओं को सच मान लें (जैसा कि हम मानते भी हैं) तो हमारे मुनि (दुर्वासा/अहिल्या) और देवता (इंद्र/कुंती) भी तो फ़रेबी ही थे।
ये हँसुआ के बिआह में खुरपी का गीत सिर्फ इस लिये किया कि हम फ़रेब के आदी हैं और बेचारा 2020 निर्दोष है ..
सादर
आदरणीय
बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंWhich Is The Best School of Delhi || Top 10 CBSE Schools In Delhi
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंएक और उत्कृष्ट अंक के लिए बधाई
Bahut sundar prastuti
जवाब देंहटाएंमेरी रचना की पंक्ति को शीषर्स्थ रख कर जो सम्मान दिया उसके लिए सदा अनुग्रहित रहूंगी।
जवाब देंहटाएंभूमिका की चार पंक्तियां सारगर्भित सार्थक।
बहुत सुंदर हलचल प्रस्तुति ।
सभी रचनाकारों को बधाई सभी रचनाएं बहुत सुंदर।
मेरी रचना को शामिल करने केलिए हृदय तल से आभार।
सादर।
वाह!सुंदर प्रस्तुति अनुज रविन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएं2020 की फ़रेबी शुरुआत
जवाब देंहटाएंअब हैरान नहीं करती
विरक्ति-मार्ग की युक्ति
अब हैरान नहीं करती।
क्योंकि हद पार कर चुकी हैरानगी...
शानदार प्रस्तुतीकरण उत्कृष्ट लिंक संकलन।
वो दिन अब ना भूल पाएंगे
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