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बुधवार, 10 अप्रैल 2019

1363..जुबां पर सच पहली बार आया हैं..





।।प्रात :वंदन।।

सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी,

मैनें धूप से कहा: मुझे थोड़ी गरमाई दोगी

मैनें घास की पत्ती से पूछा:तनिक हरियाली दोगी
तिनके की नोक-भर? 
शंखपुष्पी से पूछा:उजास दोगी—
किरण की ओक-भर?
मैने हवा से मांगा: थोड़ा खुलापन—बस एक प्रश्वास
लहर से: एक रोम की सिहरन-भर उल्लास
अज्ञेय
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इसी सिहरन भर उल्लास के साथ सुबह की शुरुआत और अब नज़र डालें लिंकों पर..
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दर्द में डूब कर कुछ करार आया हैं,

जुबां पर सच पहली बार आया हैं...



मंज़िले अभी दूर हैं करवा बढ़ता रहे,

बिजलिया गिरी नही,बस अंधेरा सा छाया हैं


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आज  की  रात  तुझे

नींद न  फिर  आई



  यादों   की   राह  में

वो   दर्द  जो ले  आई



चादर की  इन सिलवटों में

वो खुशियाँ तो नहीं



ये तेरे करवटों की कराह है..





तन्हा तन्हा -सी है अब

यह ज़िंदगी तुम बिन

कुछ यादें कुछ बातें

कुछ लम्हे तेरे वादे
कैसे भूल जाऊं ज़िंदगी
जो ज़ख्म तूने दिए थे
यह दर्द और बेकरारी
छाई जीवन में उदासी..

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आँखों में बसा लो स्वप्न मेरा

होठों में दबा लो गीत मेरे !

बंजारे मन का ठौर कहाँ,

ढूँढ़ोगे तुम मनमीत मेरे !
बस एक कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
किसी के दर्द में तो यूँ ही छलक लेता हूँ ...

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हज़ार काम उफ़ ये सोच के थक लेता हूँ

में बिन पिए जनाब रोज़ बहक लेता हूँ  



ये फूल पत्ते बादलों में तेरी सूरत है

वहम न हो मेरा में पलकें झपक लेता हूँ



कभी न पास टिक सकेगी उदासी मेरे

तुझे नज़र से छू के रोज़ महक लेता हूँ


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हम-क़दम का नया विषय

यहाँ देखिए

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।।इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'

15 टिप्‍पणियां:

  1. प्रणाम पम्मी जी।

    मेरी अनुभूति को अपने ब्लॉग पर स्थान देने के लिये हृदय से आपको धन्यवाद। मैं कोई कवि अथवा लेखक तो नहीं हूँ , फिर भी जो भी लिखता हूँ , उसे कल्पनाओं से नहीं चुराता हू्ँ।
    मैं तो सकारात्मकता का राग अलापने वालों से बस इतना ही चाहता हूँ ,जिन्हें नियति ने खुशियाँ दी है, वे दूसरों का दर्द को भी तनिक समझे।

    आपका पुनः आभार ।
    सभी को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाहहह..
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. अज्ञेय जी के मनभावन बंध के साथ सुंदर शुरुआत पम्मी जी बहुत शानदार प्रस्तुति सभी रचनाएं पठनीय सुंदर ।
    सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन प्रस्तुति
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. पठनीय सुन्दर रचनाएं हैं इस मंच पर सभी ...
    बहुत आभार है मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए आपका ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति बेहतरीन रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार पम्मी जी

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति 👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. पम्मी जी की प्रस्तुति का अलग अंदाज बड़ा ही मनमोहक होता है। वे प्रायः किसी सुविख्यात कवि / कवयित्री की पंक्तियों से प्रारंभ करती हैं और उस रचना के प्रति मन में कौतूहल जगा देती हैं। फिर उस रचना को नेट पर खोजकर पूरा पढ़ना तो मेरे लिए जरूरी हो जाता है। पम्मी जी का यह उपक्रम निश्चय ही सराहनीय है।
    आज आपके माध्यम से पुनः एक बार हलचल के मंच पर जगह मिली है। हृदय से आभार आपका !!! सभी चयनित रचनाएँ सुंदर एवं सुरुचिपूर्ण हैं।

    जवाब देंहटाएं

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