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शुक्रवार, 6 दिसंबर 2024

4329...अपने ही जब नित करें,घातक शब्द-प्रहार...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय ओंकार सिंह विवेक जी की रचना से।

सादर अभिवादन।

शुक्रवारीय अंक में पढ़िए पाँच पसंदीदा रचनाएँ-

विप्र सुदामा - 54

प्रिये  तुम  देखो राज  काज,

हम जाना चाहें पुरी सुदामा।

द्वारिका  होगी  नहीं अनाथ,

राज काज सब  देखें भामा।।

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आज वरदान दे मां....

आधार एक तेरा हृदय में...

अश्रु बूंदे करती मनुहार तुझसे

विकल मन, क्रंदन करती सांसे

मुक्तिद्वार का विश्वास दे.....

आज वरदान दे मां,आज दे वरदान मां

जर्जर मन पीड़ा काअवसान,आज दे वरदान मां।

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अपनों के बहाने!

आहत   कैसे    हो   नहीं, यह   दिल   बारंबार।

अपने ही  जब  नित करें,घातक  शब्द-प्रहार।।

घातक  शब्द-प्रहार, हुआ  है  मुश्किल  जीना।

जीवन  का  सुख-चैन,आज अपनों  ने  छीना।

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दर्द

नियति दर्द रज़ा बिखरी जन्म महताब का l

साँसे कोरी रुखसत कैसे दर्द गुलाब का ll

दर्द शून्य ढाई आखर साँसों रुखसार का l

फिदा कायनात पर दर्द साँसों अहसान का ll

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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर

केवलादेव उद्यान में नवम्बर के महीने से यूरोप और मध्य एशिया के ठन्डे इलाकों से पक्षी आना शुरू हो जाते हैं। इनमें सारस, टील, तरह तरह की बत्तखें और बगले शामिल हैं। दिसंबर में पक्षियों और पर्यटकों की ज्यादा चहल पहल देखने को मिलती है। इसके अलावा यहाँ बन्दर, लंगूर, नीलगाय, जंगली सूअर, लोमड़ी, चीतल और हिरन पाए जाते हैं। अजगर भी धूप सेकते हुए मिल जाएंगे।

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 फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


6 टिप्‍पणियां:

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