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बुधवार, 9 अक्टूबर 2024

4271..जीवन का आग़ाज़..

 ।।प्रातःवंदन।।

नवरात्रि की धुन है

शुभ,संकल्पों की गुण है

उपासना के कई तरीक़े

शक्ति स्वरूपा की धुन है।

प्रभाती की धुन आजकल इसी से सज रहीं, प्रस्तुति के क्रम को बढाते हुए नजर डालें..

एक अदद सम्मान के लिए !

वह एक सामान्य दिन नहीं था।मैं देर से सोकर उठा था।अभी अलसाया ही था कि ख़ास मित्र का फ़ोन आ गया।ख़ास इसलिए क्योंकि उनसे अमूमन बात नहीं होती।कुछ असामान्य घटित होता है तो वह पहली सूचना मुझे ही देते हैं।इस आशंका से मैं एकबारगी सहम उठा।मैंने डरते-डरते कॉल रिसीव की।उधर से मित्र की भारी सी आवाज़ कानों में पड़ी ‘यार,इस बार भी त्रिपाठी मार ले गया।न जाने साहित्य को कौन-सा ..

✨️

असली नवरात्रि 


कामना जगी तो

 धुआँ-धुआँ कर देती है भीतर 

अग्नि आत्मा की बुझ जाती है 

बुझती नहीं तो छुप जाती.

✨️

ख़ास दिन …


कुछ कहने के लिए किसी ख़ास दिन की ज़रूरत नहीं है वैसे तो … पर अगर दिन ख़ास है तो क्यूँ न उस दिन तो कहा ही जाए … राधे-राधे 😊😊😊🌹🌹🌹🌹🌹


सुना है उम्र की पहली साँस से

होता है जीवन का आग़ाज़..

✨️


देहरी पर अल्फ़ाज़ ......


मन की देहरी पर

लिखे कुछ अल्फाज़

जब उसे लांघ कर

परिकल्पना के

सामने.

✨️


कुओं-तालों में अब पानी नहीं है,

             नदी में भी वो तुग़्यानी नहीं है।

            सभी के ज़ख्मों पर रखना है मरहम,

            किसी को चोट पहुँचानी नहीं है।

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह ' तृप्ति '...✍️


3 टिप्‍पणियां:

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