आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
देवी का आह्वान करने से तात्पर्य मात्र विधि-विधान से मंत्रोच्चार पूजन करना नहीं, अपितु अपने अंतस के विकारों को प्रक्षालित करके दैवीय गुणों के अंश को दैनिक आचरण में जागृत करना है।
व्रत का अर्थ अपनी वृत्तियों को संतुलित करना और उपवास का अर्थ है अपने इष्ट का सामीप्य।
अपने व्यक्तित्व की वृत्तियों अर्थात् रजो, तमो, सतो गुण को संतुलित करने की प्रक्रिया ही दैवीय उपासना है।
देवी के द्वारा वध किये दानव कु-वृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे-
महिषासुर शारीरिक विकार का द्योतक है
चंड-मुंड मानसिक विकार,
रक्तबीज वाहिनियों में घुले विकार,
ध्रूमलोचन दृश्यात्मक वृत्तियों का प्रतिनिधित्व करता है,
शुम्भ-निशुम्भ भावनात्मक एवं अध्यात्मिक।
प्रकृति के कण-कण की महत्ता को आत्मसात करते हुए
ऋतु परिवर्तन से सृष्टि में उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा का संचयन करना और शारीरिक मानसिक एवं अध्यात्मिक विकारों का नाश करना नवरात्रि का मूल संदेश है।
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कूदकर देखता हूँ
तो पाता हूँ
वहां वह कठोरता मौजूद है
जो असल जीवन से
अनुपस्थित है।
आत्मा का सूरज जहाँ चमकता है
वहाँ पारदर्शी होता है मन
अग्नि प्रज्ज्वलित होती है
पूरे वैभव में
इच्छा की सुलगती लकड़ियाँ
कोई धुआँ नहीं देती
सारे बीज सुख गये होते हैं संस्कारों के
जो तड़-तड़ कर जलते हैं !
पहले भी है, बाद भी, शरीर एक पड़ाव ।।
शस्त्रों से कटती नहीं, जला न सकती आग।
आत्मा सदैव ही रहे, तू निद्रा से जाग ।।
किसी भी देश और जाति की आत्मा होती है उसकी संस्कृति, उसका ज्ञान, उसका समृद्ध इतिहास जिस पर उसको गर्व होता है ! कोई भी आक्रांता पहले उसी को खत्म या नष्ट करने की कोशिश करता है ! हमारे साथ भी यही हुआ ! हजार साल की पराधीनता की अवधि में हमारे इतिहास को हमारी संस्कृति को, हमारे संस्कारों को बदलने की कोशिश होती रही ! सफलता भी मिली उन लोगों को, क्योंकि रीढ़विहीन लोग हर युग में हर देश में पाए ही जाते हैं ! इन लोलुपों को वही समझाया गया जो उनके आका चाहते थे ! इनको दिया जाने वाला ज्ञान इनके आकाओं द्वारा निर्मित और वहीं तक सिमित था, जहां तक उनकी इच्छा थी ! देश पर हुकूमत के लिए यह जरुरी था नहीं तो देश और बाकी देशवासियों को काबू करने के लिए फौज कहां से आती !
फिल्मी गाने पर गरबा करते देखना
84 छिद्र वाला गरबो 84 लाख योनियों का प्रतीक है जबकि 108 छिद्र वाला गरबो (मिट्टी का घड़ा) ब्रह्मांड का प्रतीक है। इस घड़े में 27 छेद होते हैं - 3 पंक्तियों में 9 छेद - ये 27 छेद 27 नक्षत्रों का प्रतीक होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं (27 * 4 = 108)। नवरात्रि के दौरान, मिट्टी का घड़ा बीच में रखकर उसके चारों ओर गोल घुमना ऐसा माना जाता है जैसे हम ब्रह्मांड के चारों ओर घूम रहे हों। यही 'गरबा' खेलने का महत्व है।
मिलते हैं अगले अंक में।
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंआभार
वंदन
"व्रत का अर्थ अपनी वृत्तियों को संतुलित करना और उपवास का अर्थ है अपने इष्ट का सामीप्य।" बहुत सारगर्भित संदेश देती भूमिका और पठनीय रचनाओं का चयन, बहुत बहुत आभार श्वेता जी !
जवाब देंहटाएंसांख्य योग के दोहों को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया प्रस्तुति प्रिय श्वेता। नवरात्रों के सही अर्थ को उद्घाटित करती भूमिका बहुत अच्छी लगी मुझे! सभी रचनाएँ मन को आनंदित करने वाली हैं। सभी को मेरी तरफ से नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ और तुम्हें आभार और प्यार ❤
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