सादर अभिवादन
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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सोमवार, 7 अक्टूबर 2024
4269 ..दोस्त सच्चा उसे ही समझना सदा, भूलकर भी जो नाराज़ होता नहीं..
6 टिप्पणियां:
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जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग आभार आपका .. आज की आपकी बहुरंगी प्रस्तुति में मेरी बतकही को स्थान प्रदान करने हेतु ...
जवाब देंहटाएंआपकी आज की भूमिका में प्रस्तुत उपरोक्त पौराणिक श्लोक और उसके अर्थ से प्रेरित हो कर ही तथाकथित बुद्धिजीवियों ने इस संसार में सदियों से जी भर कर पाप - महापाप किया है और उसी उत्साह से पूजा-अर्चना भी किया है, क्योंकि व्रत-पूजा करने पर महापाप से मुक्ति मिलने की 'गारंटी' जो मिल रही है उन्हें उपरोक्त श्लोक के अनुसार .. शायद ...🙏
जाकी रही भावना जैसी.. मेरी समझ से, 'व्रत' की परिभाषा को अपनी सहूलियत से समझने वाले 'सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली' चरितार्थ करते हैं । लेकिन समस्त पाप नष्ट हो जाने से अभिप्राय दोषों से अपने चरित्र को मुक्त करना ही रहा होगा। भगवान की शरणागति उसे ही मिलती है जिसकी नीयत अच्छी है।
हटाएंआभार..
जवाब देंहटाएंसादर
वंदन
सराहनीय रचनाओं का सुंदर संयोजन !
जवाब देंहटाएंसखी, सादर वंदन। आज के अंक में भावनाओं का इज़हार और सरोकार दोनों का संवाद है। कहने वालों की अपेक्षा करने वाले जीवन की कसौटी पर खरे उतरते हैं। देवी माँ भी अपनी कृपा दृष्टि उन्ही पर सबसे पहले डालती होंगी जो प्रयासरत रहते हैं। तुर्किए की दादियाँ सब पर छा गईं ! मेरी प्रार्थना को भी सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं'मशाल' की जगह 'शाल' छप गया है। कृपया सुधार दें।
नया शब्द सीखा - कतरब्योंत ।
शुभ नवरात्रि।
सुंदर रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंजाकी रही भावना जैसी.. मेरी समझ से, 'व्रत' की परिभाषा को अपनी सहूलियत से समझने वाले 'सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली' चरितार्थ करते हैं। नुपुर जी की बातों से पूरी तरह सहमत।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार।
जय माता दी 🙏