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शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024

4266....संबंधों में अनुबंधों की...

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।

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भारतीय दर्शन में देवी को शक्ति का दिव्य रुप माना गया है।  
सृष्टि के सृजन में परम तत्व शक्ति ही है।
भारतीय अध्यात्म के अनुसार मन-बुद्धि में व्याप्त अज्ञान,काम,क्रोध, लोभ,मोह को नाश करने हेतु मातृ शक्ति का आहृवान किया जाता है 
मन में स्थित ज्ञान ज्योति को शक्ति का सकारात्मक रुप मानकर 
जगाया जाता है ताकि मन के सारे विकारोंं से मुक्त होकर जीवन 
लोक कल्याण के लिए कर्म को तत्पर हो सके।
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आज की रचनाएँ

किस किस की मैं बात बताऊँ 
एक राज की बात बताऊँ 
दादी ने जब दही गिराया 
बाबा बोले,  को को को !


कच्ची सी धूप को 

 वक़्त पर पकना ही था

व्यवहारिक से दायरों में

हम सबको बँधना ही था 

संबंधों में अनुबंधों की 

कहानी दोहराई जाएगी





दूर करो माँ यह अंधकार
जो लील रहा अस्तित्व मेरा !
सूझता नहीं मुझे पथ मेरा !
इस जग में है ही कौन मेरा
जिसको पुकार कर बुलाऊँ ?
अंतर का हाहाकार सुनाऊँ ?
अपनी कृपा दृष्टि का दीप जला
मुझे आगे का मार्ग दिखाओ ।



तमाम उम्र सुलगती है हिज्र की सिगड़ी ।
धुआं जरा सा उड़ाओ कि ग़म की बात चले ।।

कभी सुकून मिला है कहीं दिल-ए-मुर्दा ।
सुकूँ पे ख़ाक उड़ाओ कि ग़म की बात चले।।



वैसे ही जैसे
तुमने ठीक से देखा नहीं कि
मछलियाँ पानी के प्रवाह के
विपरीत नहीं तैरती,
वे अपने प्रस्थान बिंदु
उस अथाह सागर में फिर से 
मिलने दौड़ती हैं
जहाँ से वे बिछड़ी थीं।


जितनी बार उसे उतारा जाता

उसके शरिर मे एक नस टूट जाती

चमड़ी से कुछ लहू नजर आता

जितनी बार उसे उतारा जाता

उसके नाखुनों से भूमि कुरेदी जाती



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आप सभी का आभार
आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में ।
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6 टिप्‍पणियां:

  1. नवरात्रि पर्व की महिमा पर प्रकाश डालती सुन्दर भूमिका के साथ बेहतरीन सूत्रों को संग्रहित किये लाजवाब प्रस्तुति में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार श्वेता जी ! सस्नेह वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  2. श्वेता जी, बहुत सारगर्भित भूमिका और मर्मस्पर्शी रचनाओं के संकलन में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार। नवरात्रि शुभ हो।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर भूमिका के साथ बहुत ही सुंदर संकलन।
    समय मिलते ही सभी रचनाएँ पढ़ती हूँ।
    स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूब , आभार आपका

    जवाब देंहटाएं

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