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बुधवार, 11 सितंबर 2024

4243..बहा करे संवाद की धार..

 ।।प्रातःवंदन।।

"शब्द जो राजाओं की घाटी में नाचते हैं

 जो माशूक की नाभि का क्षेत्रफल नापते हैं

 जो मेजों पर टेनिस बॉल की तरह लड़ते हैं

 जो मंचों की खारी धरती पर उगते हैं... 

 कविता नहीं होते! "

पाश 

क्रान्तिकारी काव्य परम्परा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर कवि अवतार सिंह संधू "पाश " की जन्म जयंती पर शत-शत नमन (जन्म  9Sep1950)

लतीफे चाहिए

जो अस्मत बचा न सके उनके अब इस्तीफे चाहिए

खुद हालात से लड़े लेंगें नहीं हमें खलीफे चाहिए

उनकी की शान ओ शौकत इसलिए बंद हो..

✨️

बहा करे संवाद की धार 


टूट गई वह डोर, बँधे थे 

जिसमें मन के मनके सारे, 

बिखर गये कई छोर, अति हैं  

प्यारे से ये रिश्ते सारे !

✨️

भाषा ने लिपि से कहा

मैं आँखों की मधुर ध्वनि

तुम अधरों से झरती हो

घट घट में मैं डूबी हूँ

तुम कूप कूप में रहती हो..

✨️

निर्मल मन मे ईष्ट

तू  अपने  ही  दोष  मिटा 

सबका  करो  सुधार 

गुणी  हृदय  है  बहुत  बड़ा 

गुणता  रही  उदार निर्मल मन मे ईष्ट.

✨️

हमारे साझे का मौसम


उस बारिश से इस बारिश तक 

न जाने कितनी बरसातें गुजर गई

यह हमारे साझे का मौसम है ..

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️

2 टिप्‍पणियां:

  1. अवतार सिंह संधू "पाश " की जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि!
    सराहनीय रचनाओं का सुंदर संकलन,
    आभार पम्मी जी।

    जवाब देंहटाएं

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