---

सोमवार, 29 अप्रैल 2024

4111...पर .... चाँद हर रोज़ है मिलाता तुमसे

 सादर अभिवादन



नई चुनिंदा  रचनाएं



प्रातः जब वंशी की
मधुर तान सुनी,
उठ कर देखा
वशीकरण मंत्र यह
फूंका किसने
चैतन्य में
सवेरे-सवेरे ?






मिलूँ भी जब मिलूँ मैं तुमसे  
तेरी आरज़ुओं को मुट्ठियों में समेटे
हर सांस को बाँहों में लपेटे
कुछ अपना - सा बिखर जाता है मुझमें
मिलूँ भी जब मिलूँ मैं तुमसे
ऐसा लगे मानो मिलूँ मैं मुझसे!
मीलों के फासले ये कैसे
पर चाँद हर रोज़ है मिलाता तुमसे




इश्क़ न किया होता तो यूँ बर्बाद न होता
तू नहीं होती तो तेरा ख्वाब नहीं होता

हुक्मरानों की बात पे न जाते अगर तुम
शहर में कभी कोई फसाद नहीं होता


बच्चे मन के सच्चे ..... मनीष के

कहानी  (एक)
बाबा/दादा जी या नाना जी में बच्चे किन्हें ज्यादा मानेंगे या किस पक्ष को, यह इसपर निर्भर करता है कि – दोनों में कौन ज्यादा पैसा वाला और ताकतवर है और कौन ज्यादा बच्चों को दे रहा है ! अतिरिक्ति में बच्चों में माता-पिता को भी दे रहा है ! और कितना बन रही है ! तो इस तरह कुछ बच्चे नाना के ज्यादा करीब होते है ! और कुछ बाबा के ! कुछेक बच्चों के नाना / बाबा ग़रीब होते है ! वह बच्चे ज्यादातर रिश्तों में भरोसा करने से बचते है ! फिर भी बच्चे तो बच्चे होते है ! और बच्चे मन के सच्चे होते


ढीठ याद के कच्चे क़िस्से ... पूजा उपाध्याय


मुहब्बत की स्पॉटलाइट जब आप पर गिरती है तो आप दर्शक दीर्घा से निकल कर मुख्य किरदार हो जाते हैं। आपका सब कुछ हाइलाइट होता है। आँखों में रौशनी होती है, बाल चमकते रहते हैं और अक्सर ज़िंदगी का डायरेक्टर इतनी प्यारी हवायें चलवाता है कि आपका दुपट्टा या कि मान लीजिए, आँचल…एकदम हवा में हौले हौले उड़ता है।





ना पिय पाये न पायी पाती।
सावन माह जल रही छाती।
खेत खेत बिखरी हरियाली,
हृदय  मरुस्थल बिछुड़न व्याली।।






आज बस. ...
कल सखी आएगी..
सादर वंदन

4 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।