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रविवार, 28 अप्रैल 2024

4110 .. ढोए जा रहे हैं किसी तरह ये बोझ

 सादर अभिवादन

बूढ़े अप्रैल
विदा , फिर मिलेंगे
कुछ अरसे के बाद
नई चुनिंदा  रचनाएं



ख़ुशी-ख़ुशी जग विदा करेगा
पाथेय प्रेम संग बांध दे,
पथिक चला जो नयी राह पर
शुभता से उसका मन भर दे !





नहीं देखा ना सुना जैसा है आसपास अभी अपने
तू गीत तरन्नुम में गा गुनगुना
लिखे में तेरे दिख रहा है साफ़ साफ़
कहीं तो बटा है और इफरात में झुनझुना





एक राज्य का राजा मर गया। अब समस्या आ गई कि नया राजा कौन हो? तभी महल के बाहर से एक फ़क़ीर गुजर रहा था। किसी ने सलाह दी कि इस फ़क़ीर को बना दो, न इसके कोई आगे न पीछे, यह राज्य के लिए ठीक रहेगा। फ़क़ीर को पकड़ कर लाया गया और राज्य का नया राजा घोषित कर दिया गया। अब फ़क़ीर की अच्छी मौज आई, सत पक्वानी भोजन, सोने के लिए मखमल के बिस्तर, पहनने को रेशम के वस्त्र और सारा दिन दरबारियों के साथ चोपड़ खेलना।






उसने ये पता लगा लिया कि गलत रास्ता कौन है और अब वो सही रास्ते पर आगे जा सकता है, जबकि तुमने पूरा वक़्त बस एक जगह बैठ कर यही सोचने में गँवा दिया कि कौन सा रास्ता सही है और कौन सा गलत। समझदारी किसी चीज के बारे में ज़रूरत से ज्यादा सोचने में नहीं बल्कि एक समय के बाद उस पर काम करने और तजुर्बे से सीख लेने में है।”, दोस्तों ने अपनी बात पूरी की, और खजाने की तरफ चल दिये, बबलू बैठा बैठा वहीं पछताता रहा





वाह  रे जिंदगी .....
मिसमैच ......
 
कभी कभी लगता है पूरी जिंदगी ....
जिंदगी में हर चीज मिसमैच
चल रही है ..या कहें रेंग रही है
अधिकतर  लोगों की ....
ढोए जा रहे हैं किसी तरह
ये बोझ .........




छोटी मोटी बातों पर बड़ी कही सुनायीं
अस्त-व्यस्त कमरा बिखरे सारे जज़्बात,
कुछ रोमानी गाने सुनें
कुछ पुराने नाम बुदबुदाये..
कल रात फिर मिले कुछ साये..



आज बस. ...
कल भी मिलूंगी
सादर वंदन

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात ! अप्रैल जाने को है, मई आने को, पर इंतज़ार है कितनों को जून का ! पठनीय रचनाओं से सजा सुंदर अंक, आभार यशोदा जी !

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  2. मेरी रचना को इस अंक में शामिल करनें के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सखी यशोदा जी । मैं तो रोज की तरह फेसबुक पर पढ़ने आई थी ..शीर्षक पर अपनी पंक्तियाँ देखकर बहुत आनंदित हो गई।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर रचनाओं का बेहतरीन संकलन और इसमें मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार।

    जवाब देंहटाएं

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