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रविवार, 18 फ़रवरी 2024

4040 ....आसान नहीं ख़ुद से नज़रें मिलाना

 सादर अभिवादन

फरवरी का अट्ठारहवां दिन
यानि कि 2024 के
दूसरे महीने का अंत आ रहा है
लोग होली का बेसब्री (बेशर्मी)
से इंतजार कर रहे हैे
बहरहाल कलम का काम है लिखना
लिख देती है...उसे क्या पता
कागज सफेद है कि काला

आज की रचनाएँ ....



सुना नहीं तूने रोना बेक़सूरों का,
इन्तहाँ हो गई है अब, अब तो उठ.

आसान नहीं ख़ुद से नज़रें मिलाना,
आईना दिखाना है तुझे, अब तो उठ.




जिजीविषा और आत्मविश्वास से भरपूर
मानो कह रहा है ,
“मैं खरपतवार नहीं हूँ .
कोई नहीं होता खरपतवार
नितान्त निजी है वह विचार
मापदण्ड हैं उसकी
उपयोगिता ,अनुपयोगिता .





जाने कौन-कौन
पढ़ रहा होगा
भविष्य में प्रेम अपना
जाने कितनी तीव्रता का
विस्फोट हो
जब आम किया जाये
अपने प्रेम का
टाइम कैप्सूल




हुस्न हो तुम ,तुम से खुद को सवार लू a
आ तेरे हसीन हुसन का दीदार लू
जी भर के तुम को दुलार लू
मेरा इश्क हो तुम जिन्दगी सवार लू




ऐसा गुमान सा तो नहीं कुछ हुआ है
मगर फिर भी सोचूं ये क्या हुआ है

चलो छोड़ो भी क्या सोचना इतना
खतरे का साया सा कोई मंडराता है !




क्यों न कहा अपने दिल की दास्तां ,
हम तो तकते रहते थे तुम्हारा रास्ता ,

इसी बहाने मिलने का मिलता तो मौका,
गुजरता वक्त  साथ आपके कुछ तो जरा ।

कल फिर
सादर

5 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मेम मेरी लिखी रचना " क्यों न कहा अपने दिल की दास्तां" को "पांच लिंकों के आनन्द में" स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आधार ।
    आज की सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा , सभी आदरणीय की बहुत बधाइयां । सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  2. अति सुन्दर.मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. Aadarniya Yashoda ji aapne meri likhi rachna "Jaane kya hua hai - Sehar " ko apne paanch linko ke anand" mein sthan dene ke liye aapka bahut -bahut dhanyawaad. Sabhi rachnayein yahan behad dil ko chooh jaane wali lagi, sabhi rachanakaron ko badhayi evam pyar. Sadar pranaam!

    जवाब देंहटाएं

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