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बुधवार, 24 मई 2023

3767..नई दस्तक

।। प्रातः वंदन।।

 एक अंकुर हुआ भोर का प्रस्फ़ुटित

यों लगा ये धरा जगमगाने लगी

रात को पी गई एक उजली किरन
इक नये रंग में ढल उषा सज गई
राकेश खंडेलवाल
प्रस्तुति के क्रम को आगे बढ़ाते हुए...✍️


पल !

 मुझे भी चलना है 

तुम्हारे साथ.. 

तुम से कदम मिलाकर

 चल पड़ूँगी 

 इतना भरोसा तो है मुझे ..

आओ जीमने


आज एक नजदीकी मित्र ने बुलाया मुझे जीमने
वो भी सहपरिवार।

मैने घर आके बताया मेरी धर्मपत्नी को

आज खाना ना बनाना यार..
कैसी-कैसी  ने'मत   हमको   जंगल   देते   हैं।

वर्ना सब  होते  हैं  सुख  के   ही  संगी -साथी,
दुनिया में  बस  कुछ  विपदा  में संबल देते हैं।
अनछुए पहलुओं पर नई किताब की दस्तक...

इस दुनिया में तीसरी दुनिया | किन्नर विमर्श की लघुकथाओं का संकलन

श्वेतवर्णा प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित-

"इस दुनिया में तीसरी दुनिया"

संपादक- डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर', सुरेश सौरभ 

(किन्नर विमर्श की लघुकथाओं का संकलन)

संपादकीय से-

■ डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'

प्रस्तुत लघुकथा-संकलन "इस दुनिया में तीसरी दुनिया" हमारे अपने समाज की ही एक उपेक्षित गाथा है। सदियों के दंश झेल कर यह गाथा चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है कि मेरा दोष क्या? ..

जीने का सलीक़ा







अब हस्र जो भी हो, अहद तो उठा ली है,
इस रात की है शायद अपनी ही मजबूरी
सुबह तक दिल में तेरी दुनिया बसा ली है


।। इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

ज़रूर सुनें जोश-ओ-जबान







5 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर अंक
    एक नए ब्लाग से रूबरू हुई
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. विविधताओं से परिपूर्ण सुन्दर सूत्रों से सजी प्रस्तुति में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

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