---

गुरुवार, 11 मई 2023

3754...आँखों में ज्वालामुखी का साया

                                     शीर्षक पंक्ति :आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी की रचना से। 

                                                                        सादर अभिवादन 

                                                    गुरुवारीय अंक में आज पढ़िए पसंदीदा रचनाएँ-

                                शायरी | ज़िंदगी का सफ़र | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

  

                                                        सदा सावधान रहिये, जोड़ी    रखिये   भाय।

                                                       वायस से सीखो इसे, 'लाल' कहत समझाय।।1।।

                                                 कितने विवश हैं हम

                                         झूठ का मुखौटा लगाए

                                        जिंदगी को तिजोरी में बंद कर

                                            कर रहें हैं संग्राम

                                              जिंदगी के लिए

                                            कितने विवश हैं हम

                                             कुछ भी नहीं है...!

                                                                01. तमिस्राक्षत और भोर का सपना


सदा खिलखिलाती रहने वाली तुम्हारी लाड़ली बहन के आँखों में ज्वालामुखी का साया और चेहरे पर अलावोष्णिमा देखकर, परिस्थिति का आकलन करने से अच्छा लगा कि पूछ लिया जाए कि किस सुनामी का सामना कर लौटी है।


                                              मन-दर्पण (कहानी)

 उसकी बधाई संवाद ने तो उसके अंतर्मन को पत्तों की भाँति झकझोर दिया ।चोरों की तरह नजरें चुराते हुए वह पुष्कर के बगल में जा बैठा । पुष्कर ! तेरे पास कुछ रुपए हैं ? डबडबाई आंँखों से निहारते हुए पुष्कर से पूछा।भोला पुष्कर जेबें टटोलता हुआ कुछ पैसे निकाल दिखाया। रमेश ने उसका हाथ पकड़कर खींचता हुआ मंत्रीजी के पास ले गया।और हाथ जोड़ते हुए विनय पूर्वक बोला - माननीय मंत्री महोदय ! मैं अपना पुरस्कार अपने इस प्यारे दोस्त को बेच रहा हूंँ। तुम पुरस्कार बेच रहे हो ? मंत्री महोदय ने आश्चर्य- मिश्रित स्वर में पूछा।

*****

                                                                    फिर मिलेंगे 

                                                                रवीन्द्र सिंह यादव 


3 टिप्‍पणियां:

  1. देर रात की मेहनत
    शुभकामनाएं
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार

    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. शानदार संकलन । हार्दिक आभार आपका

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।