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गुरुवार, 29 दिसंबर 2022

3622...मेरे चेहरे पर होगी वही मुस्कान...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय ए.के. शुक्ला जी की रचना से।

सादर अभिवादन।

2022 का अंतिम गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ। 

कहावत है-"वक़्त गुज़र जाता है, यादें रह जाती हैं।" 

तीन दिनों के बाद 2022 भी इतिहास बन जाएगा।

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

उसकी उदासी

रंग बिरंगी तितलियाँ  उड़तीं

पुष्पों से अटखेलियाँ करतीं

बहुत सुन्दर  दिखतीं

मन उनके साथ भागता

चाहता सभी को समेट ले

अपनी बाहों में।

मृत्यु विहीन पुनर्जन्म--

पारदर्शी पंखों में लिखा
होता है जन्म जन्मांतरों
का अभियान, उन्हें
रोक नहीं पाते
हिम शिखर,
विक्षिप्त
मेघ
दल,

स्मृति प्रसंग

इन सारे प्रश्नों का हल है मेरे पास

होंठों पर एक मुस्कान

बच्चे खेलने गये हैं आस-पास

उनके लौटते ही

मेरे चेहरे पर होगी वही मुस्कान।

विश्वास का खून

हंसा की खूबसूरती ने दीपेंद्र को अपना दीवाना बना रखा था।वो  दीपेंद्र मनोज और हंसा की दोस्ती से बहुत जलता था।वह उन दोनों में गलतफहमी पैदा करने का को एक मौका भी नहीं छोड़ता था। हंसा दीपेंद्र की नियत समझ गई थी इसलिए मनोज को उससे दूर रहने की सलाह देती रहती थी।

चलते-चलते पढ़िए एक सारगर्भित जीवनोपयोगी लेख-

आंतरिक शारीरिक रक्षा शक्ति -सतीश सक्सेना

कम से कम एक डॉक्टर मित्र आपके परिवार में अवश्य होना चाहिए जो आपातकाल में सही सलाह देकर आपको अनावश्यक दवाओं से बचाने में आपकी मदद करे, उसके अलावा शारीरिक रक्षा शक्ति को कम न आंकिये, यह आपकी रक्षा करने में पूर्ण समर्थ है !

*****

फिर मिलेंगे 2023 में पहले गुरुवार को। 

रवीन्द्र सिंह यादव।  


5 टिप्‍पणियां:

  1. बाईस तू बड़ा अच्छा था ये
    बना रहे न यहीं पर
    पर लालच है ये देखने की
    मेरा आने वाला पोता तेईस
    जो बाईस का लड़का है
    बड़ा ही होनहार है
    नौ अंकों से शुरू होने वाला
    ये वर्ष प्रभावशाली ही होगा
    ...
    अच्छा अंक दिया आपने
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं

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