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गुरुवार, 15 दिसंबर 2022

3608...सौ सुत से उत्तम एक, जो होवे वागीश...

शीर्षक पंक्ति:आदरणीय अशर्फ़ी लाल मिश्र जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के लिंक्स के साथ हाज़िर हूँ।

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

नीति के दोहे मुक्तक

सौ  सुत  से  उत्तम   एक , जो  होवे  वागीश।

जिमि इक चंदा तिमिर हर, कहलाये रजनीश।।2।।

व्यंजना पीर जाई

रात के आँसू वही थे

लोक में जो ओस फैली

चाँद की भी देह सीली

व्योम की भी पाग मैली

ये हवाएँ क्यूँ सिसकती

थरथरा कर के चली जो।।

अनुगच्छतु प्रवाहं - -

सिर्फ़
कानों में
रह रह
कर
गूंजती है लौह घंटियों की आवाज़, उतरने के
पहले दीर्घ रात्रि का होता है अवसान,
हर चीज़ है यहाँ चलायमान ।

६८५. मौसम

तुममें ऐसे भी मौसम हैं,

जो न मैंने देखे हैं,

न सुने हैं.

इतने सारे मौसम

तुम लाती कहाँ से हो?

इस जग सच्ची प्रीति

जो मैं सोचूँ क्या तुम राधे,

वही सोच रही हो।

मन मंथन कर जग-जीवन से,

अमृत खोज रही हो।

रीते-रीते हिय घट सारे,

दिखे न प्रेम प्रतीति।

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


12 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर

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  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर

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  3. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर

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  4. सुंदर प्रस्तुति व लिंक, मुझे शामिल करने हेतु,असंख्य आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर प्रस्तुति. मुझे शामिल करने हेतु आभार.

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  6. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर

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  7. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर

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  8. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    let's be friend

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