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बुधवार, 21 सितंबर 2022

3523...सूरज रोज़ निकलता है ..

 ।।प्रातः वंदन ।।


'रात-रात भर जब आशा का दीप मचलता है,

तम से क्या घबराना सूरज रोज़ निकलता है ।

कोई बादल कब तक रवि-रथ को भरमाएगा?

ज्योति-कलश तो निश्चित हीआँगन में आएगा!"

शिशुपाल सिंह 'निर्धन'

सृजन और विनाश का क्रम तो चलता ही रहता है.. इसी क्रम को आगे बढाते हुए नज़र डालें..✍️

विक्रम बेताल टॉक

 

 - सन्दीप तोमर 

विक्रम ने एक बार फिर पेड़ पर लटका शव उतारा और कंधे पर लटका कर चल दिया। शव में स्थित बेताल ने कहा-“हे विक्रम तेरा हठ प्रशंसनीय है। रास्ता लंबा है सो तुझे अधिक थकान न हो इसलिये एक कथा सुनाता हूँ। कथा के आखिर में मैं तुझसे सवाल पूछूंगा, अगर तूने जानते

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साहेब का चीता

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साहेब,
आयातित चीतों को लाने में,
करोड़ों बहाते हैं।
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कलयुग

जीवन के पांच विकार ,काम,क्रोध,मोह,लोभ अरु अभिमान
कह गये वेद पुराण,पोथी गीता,संत सुजान।

फेसबुक,ट्विटर,यूट्यूब,वाट्सएप अरु इंस्ट्राग्राम
फिर क्यों बनादिए ये नए विकार बोलो हे करुना निधान।
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दो मुस्कुराते नैन

 


नैन में जलधार देखा 

लाल-नीला,श्वेतश्यामल

सज रहा संसार देखा 


नैन में बहता समंदर

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प्रेमांकुर

प्रेमांकुर

पतझड़ों सा है रंग, पर, बसन्त सा उमंग,
सूखे से बीज में, जागे अंकुरण,
उम्र से परे, नर्म सा ये चुभन,
एहसास, फिर से वही,
लिए ही आते हैं, प्रेम के
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️

5 टिप्‍पणियां:

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