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शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

3490....जय कन्हैया लाल की

शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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हाथी घोड़ा पालकी,जय कन्हैया लाल की

रहस्यमयी कृष्ण की अद्भुत लीलाएँ आम जन के लिए चमत्कारिक हैं जो उनके व्यक्तित्व को सर्वश्रेष्ठ पुरुष और पूजनीय बनाती है। विलक्षणता से परिपूर्ण श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन उद्देश्यपूर्ण और शिक्षाप्रद रहा।
जीवन में कर्म ही प्रधान है,सर्वोपरि है, का संदेश प्रेषित करते कृष्ण एक महान राजनीतिज्ञ,क्रान्ति विधाता,धर्म पर आधारित नवीन साम्राज्य के स्रष्टा और राष्ट्र नायक के विराट स्वरुप में स्थापित हो जाते हैं।
श्री कृष्ण एक ऐसा चरित्र है जो बाल,युवा,वृद्ध,स्त्री पुरुष सभी के लिए आनंदकारक हैं।
कृष्ण का अवतरण अंतःकरण के ज्ञान चक्षुओं को खोलकर प्रकाश फैलाने के लिए हुआ है।
भगवत गीता में निहित उपदेश ज्ञान,भक्ति,अध्यात्म,सामाजिक,वैज्ञानिक,राजनीति और दर्शन का निचोड़ है जो जीवन में निराशा और नकारात्मकता को दूर कर सद्कर्म और सकारात्मकता की ज्योति जगाता है।
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आइये आज की कृष्णमयी रचनाओं का आनद लें-

दसों दिशाऐं नौबत बाजे 
गोकुल बाजे  शंख  सुहाई ।
इंद्र वरूण घन घोरा गरजत
मन ही मन  हरषाई ।
कुबेर निज भंडार खोल्यो
भर भर रत्न राशि बरसाई‌।




उस जैसा ज्ञानेंद्र
अज्ञानी जननी की
कोख से जन्मे
क्या कभी संभव है !
सात पुत्रों की नृशंस हत्या के आगे भी
मैं आठवें के विश्वास से परे नहीं हुई
ऐसे में,
प्रकृति के सारे सामान्य नियम बदलने ही थे !
 


तुम्हारे प्रति मोह की भाषा 
और भाईयों को 
एक जुट रखने के लिए 
लगा गयीं थीं चुप ,
या फिर 
तुमने भी हर पांडव में 
देख लिए थे 
अलग अलग गुण 
जिनको तुमने चाहा था कि
सारे गुण तुम्हारे पति में हों , 


घिनौनी साजिशों से 
लिपटी हवाओं ने
कृष्ण के प्रेम को
जब नये अवतार में
पुनर्जीवित किया 
अनुशासनहीनता की छाती में 
पांव रखवाकर
बियर बार में बैठाया
उसी दिन से 
दिलों की धड़कनों में
धड़कने लगा प्रेम 
इस गुर को सिखाने 
वाले कई उस्ताद 
पैदा होने लगे

मोर मुकुट पीतांबर धारे 
घुंघराली लट ललित अलकें, 
ओज टपकता मुखमंडल से 
नयनों से ज्यों मधुघट छलकें ! 




लेकिन कृष्ण जैसा सखा है उसके साथ - क्षीण होता मनोबल साधने को ,विश्वास दिलाने को कि तुम मन-वचन-कर्म से अपने कर्तव्य-पथ पर डटी रहो तो कोई बाधा सामने नहीं टिकेगी .तुम उन सबसे बीस ही रहोगी क्योंकि तुम्हारी बुद्धि, बँधी नहीं है ,विवेक जाग्रत है, निस्स्वार्थ भावनायें और निर्द्वंद्व मन है . 



कृष्ण जिन्होंने सीखाया विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य को धारण रखें।जिसने भी ऐसा किया वो सबसे बुरी परिस्थिति में भी सबके लिए बेहतर सुअवसर निकल लाता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है -"युद्ध के विभीषिका के बीच गीता का ज्ञान" 

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चलते-चलते सुनिये 
भरी टोकरी गुलाब की
कान्हा पे बरसाओ जी
बेला,चंपा इत्र ले आओ
इनको स्नान कराओ जी
मोर मुकुट कमर करधनी
पैजनिया पहनाओ जी
माखनमिसरी भोग लला को
जी भरकर आज लगाओ जी
मैं बन जाऊँ राधा रानी
तुम गोपी बन इतराओ जी
ढोल मंजीरे करतल पर ठुमको
उत्सव सभी मनाओ जी।#श्वेता

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आज के लिए इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही हैं प्रिय विभा दी।


12 टिप्‍पणियां:

  1. अप्रतिम प्रस्तुति
    आज देर तक सोई
    व्रत है...
    माखनमिसरी भोग लला को
    जी भरकर आज लगाओ जी
    मैं बन जाऊँ राधा रानी
    तुम गोपी बन इतराओ जी
    ढोल मंजीरे करतल पर ठुमको
    उत्सव सभी मनाओ जी।#श्वेता
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सभी रचनाएँ पढ़ी, बड़ी मेहनत से सजाई है प्रस्तुति। कुछ रचनाओं पर आमंत्रण नहीं है हो सकता है स्पेम में चला गया हो एक बार अवश्य देखे।
    सादर स्नेह

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सस्नेह शुक्रिया अनु।
      हम सभी पर आमंत्रण प्रतिक्रिया लिख आये थे दो बार किसी पर तो तीन बार भी पर फिर भी पब्लिश नहीं दीख रही स्पेम में ही होगी शायद...।
      तुम्हारी भी यह प्रतिक्रिया भी स्पेम भी थी अभी अभी हम नॉट स्पेम किये।
      बहुत-बहुत आभार तुम्हारे स्नेह के लिए।
      हमसभी ब्लॉगर आजकल शायद इस समस्या से जूझ रहे इसका फिलहाल एक ही हल है कि सभी अपने कमेंट्स के स्पेम चेक करते रहे।
      सस्नेह शुक्रिया।

      हटाएं
  3. बहुत अच्छी सामयिक हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर लिंक्स। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. मैं बन जाऊँ राधा रानी
    तुम गोपी बन इतराओ जी
    ढोल मंजीरे करतल पर ठुमको
    उत्सव सभी मनाओ जी

    आज के दिन तो हर बाला राधा रानी बन जाती है और कृष्णमयी हो जाती है।
    कृष्ण रस में सराबोर बहुत ही सुन्दर अंक
    मुझे भी शामिल करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी
    आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर, श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

    कृष्ण के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रभावी भूमिका के साथ
    सुंदर सूत्र संयोजन के लिए साधुवाद

    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. आज की सभी रचनाएँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृष्ण से जुड़ी हुई हैं । हर रचना को पढ़ते हुए अलग अलग भाव से गुजरना हुआ ।
    आज तो सच काफी व्यस्तता के दिन रहा
    भरी टोकरी गुलाब की
    कान्हा पे बरसाओ जी
    बेला,चंपा इत्र ले आओ
    इनको स्नान कराओ जी
    मोर मुकुट कमर करधनी
    पैजनिया पहनाओ जी
    माखनमिसरी भोग लला को
    जी भरकर आज लगाओ जी
    मैं बन जाऊँ राधा रानी
    तुम गोपी बन इतराओ जी
    ढोल मंजीरे करतल पर ठुमको
    उत्सव सभी मनाओ जी।
    बस अब जन्म का समय होने ही वाला है । तुम्हारी सलाह शिरोधार्य है ।
    वैसे याज्ञसेनी पर पुनः लोगों के कमेंट्स पढ़ कर उस समय के दौर से गुजरना अच्छा लगा । इसके लिए बहुत आभार ।।

    जवाब देंहटाएं
  9. शुरू से अंत तक श्र्लाघनीय अंक।
    भूमिका क्या है पूर्ण कृष्ण की चेतना।
    सभी लिंक काफी परिश्रम से खोज कर लाए गए हैं ।
    सभी एक से एक, लेख हो या पद्य रचनाएं सभी आकर्षक और पठनीय।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    सभी को श्री कृष्ण जन्म की अनंत बधाईयांँ।
    मेरी रचना को आज के महकते परिवेश में सजाने के लिए हृदय से आभार आपका प्रिय श्वेता।
    भजन आत्मा को छूने वाला।
    आपकी मोहक रचना मन मोह गई।
    सस्नेह सादर।

    जवाब देंहटाएं
  10. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर सुंदर रचनाएँ।
    सामयिक और सारगर्भित अंक ।
    बधाई और शुभकामनाएं 🌹🌹

    जवाब देंहटाएं

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