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बुधवार, 10 अगस्त 2022

3481..लफ़्ज़ों का तिलिस्म..

।। प्रातः वंदन।।

 "विभा, विभा, ओ विभा हमें दे,

किरण! सूर्य! दे उजियाली।

आह! युगों से घेर रही

मानव-शिशु को रजनी काली।

प्रभो! रिक्त यदि कोष विभा का

तो फिर इतना ही कर दे;

दे जगती को फूँक, तनिक

झिलमिला उठे यह अँधियाली!"

रामधारी सिंह 'दिनकर'

नव भोर का आगमन वहीं चीर परिचित अंदाज में..अब आप सोचिएगा नया क्या है, है न..लिंकों का चयन  में शामिल रचनाएँ...✍️

आज़ादी का चन्दन वन यह कभी नहीं मुरझाए..



आज़ादी का

चन्दन वन यह

कभी नहीं मुरझाए...

🌸

बिहार का धुँधला परिदृश्य


बिहार का राजनीतिक-परिदृश्य अभी तक अस्पष्ट है। राज्य के ज्यादातर दलों के पास गठबंधनों के इतने अच्छे-बुरे अनुभव हैं कि वे सावधानी से कदम बढ़ा रहे हैं। सत्ता-समीकरण इसबार बदले तो वे काफी दूर तक जाएंगे। नहीं बदले, तो उनमें कुछ बुनियादी ..
🌸

निःशब्द

कहाँ से चला था कौन सी डगर का मुकाम था वो l

राहों की अधीर पगडण्डियाँ का सैलाब सा था जो ll


टूटे खंडहरों का आशियाँ था शायद जैसे कोई l

बिखरे ख्वाबों की लूटी अस्मत

🌸


मिट्टी में मिलने के बाद

ये काया धीरे-धीरे

मिट्टी हो जाया करती है।

उसे कोई चाह कर भी 

नहीं रोक पाता

पर मिट्टी में मिलने 

🌸


अस्वीकृत चिट्ठी - -



उस अथाह गहराई तक उतरन चाहूंगा, जहां
लफ़्ज़ों का तिलिस्म थक जाए, एक
एहसास जो ख़ामोश रह कर
भी दिल की परतों को
खोल दे, जो आज
तक कोई न..
🌸
।।
इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️


7 टिप्‍पणियां:

  1. आजादी की हीरक जयंन्ती
    तीन रंग से
    सजा तिरंगा
    हर घर में लहराए.
    शुबकामनाएं
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. ७५ वीं वर्षगाँठ की शुभकामनाओं के संग बधाई

    बढ़िया लिंक्स चयन

    जवाब देंहटाएं

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