---

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

3453...लेकिन मैं स्मृतियों के निराले संसार में ज़िंदा रहूँगा...

शीर्षक पंक्ति:आदरणीय ज्योति खरे जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक के साथ हाज़िर हूँ।

लीजिए प्रस्तुत हैं आज की पाँच रचनाओं के लिंक्स-

मेरे हिस्से का बचा हुआ प्रेम

लेकिन मैं

स्मृतियों के निराले संसार में

जिंदा रहूंगा

खोलूंगा

जंग लगी चाबी से

किवाड़ पर लटका ताला

ताला जैसे ही खुलेगा

 स्वार्थी मानव

मानव बड़ा खोटा

पहनकर स्वार्थ की पट्टी

है खेलता खेला

उथलकर काल की घट्टी

दलदल बनाता है

निशाना भी स्वयं पहला।।

दादू सब ही गुरु किए, पसु पंखी बनराइ

झूठे, अंधे गुरु घणैं, बंधे विषै विकार।

दादू साचा गुरु मिलै, सनमुख सिरजनहार।

अर्थात संसार में चारों और झूठे और अंधे, कपटी गुरुओं की भरमार है, जो विषय विकार में स्वयं बंधे हुए हैं। ऐसे में यदि सच्चा  गुरु मिल जाय तो समझ लेना चाहिए कि उसे साक्षात् ईश्वर के दर्शन हो गए।

गुरु को नमन

गुरु सच्ची राह दिखाते हैं ।

अज्ञानता को दूर भगाते हैं।

गुरु सच्चे साधक हैं जग में,

और अमृत उनकी वाणी है।

और अब चलते-चलते एक सारगर्भित लघुकथा- 

पीले पत्ते (लघुकथा) 

एक-दो पीले पत्ते उदास हो रोने लगे। तभी उनमें से एक ने कहा- उदास क्यों होते हो..पीले हुए हैं अभी सूखे नही..सूखने से पहले जितना समय बचा है क्यों न हँसी-खुशी बिताएँ।

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

7 टिप्‍पणियां:

  1. सराहनीय लिंकों का चयन, शानदार प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. गुरु पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं।

    सुंदर सौम्य हलचल सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को पांच लिंक पर शामिल करने हेतु हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छे और सुंदर लिंक को संजोया है
    साधुवाद आपको

    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।