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शुक्रवार, 20 मई 2022
3399... बाँध दिए क्यों प्राण
शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
प्रकृति के सुकुमार कवि
सुमित्रानंदन पंत जी का जन्मदिन है।
सुमित्रानंदन पंत आधुनिक हिन्दी साहित्य के एक युग प्रवर्तक कवि हैं, जिन्होंने भाषा को निखार और संस्कार देने के अलावा उसके प्रभाव को भी सामने लाने का प्रयत्न किया. उन्होंने भाषा से जुड़े नवीन विचारों के प्रति भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया. सुमित्रानंदन पंत को मुख्यत: प्रकृति का कवि माना जाने लगा, लेकिन वास्तव में वह मानव-सौंदर्य और आध्यात्मिक चेतना के भी कुशल कवि थे।
आइये आज की रचनाओं का आस्वादन करते हैं और साथ में सुनते हैं पंत जी के दुर्लभ स्वर और उनकी हस्तलिपि में कुछ कविताएं।
मैं न जानूं, पर पर मेरे, सौभाग्य सदा संग चलता है। नाविक के तीर कमानों में, हिंसा का हलाहल पलता है। काल चक्र की वक्र गुफा से, गुंजित मैं निर्भीक उद्घोष हूं। इस मेले में चले अकेला, मैं निस्पृह-सा अल्बाट्रोस हूं।
“अगवा ? कौनों अगवा नहीं किये हमारी लड़की को ! हम तो खुदई बेचे रहे उसे जे एक बोरी चामल के बदले में ! अब लड़की को लौटा दिए हैं तो का चामल भी वापिस देन के पड़ी हैं ? अब का हुई है ?” सुमरिया का भय और दुश्चिंता आँखों की राह बह निकले ! चौंकने की बारी अब नीरजा की थी !
बेहतरीन संकलन । वजह कुछ भी हो , बस अल्ट्रा बोस बने गंगा किनारे बैठ मन की मछरिया को सोच के पानी में छोड़ एक टक निहार रहे हैं फरगुद्दी को जो दाल का दाना पाने के लिए क्या क्या जतन करती है । और प्रेरणा दे रही है कि संघर्ष करते रहना चाहिए जब तक मंज़िल न मिल जाये । कविवर सुमित्रा नंदन पन्त जी के जन्मदिन पर उनकी रचनाएँ सुनवाने के लिए आभार ।
यदि चंदन की तुनक लचकीली लकड़ी पर दूध की छाली का लेप चढ़ा दिया जाय तो जो प्रतिमा बनेगी, वह है श्री सुमित्रानंदन पंत जी की! प्रकृति के इस सुकुमार कवि की जन्म तिथि पर उनकी रचनाओं की प्रस्तुति से सज़ा यह अंक अन्य भी कई मामलों में अप्रतिम है। पंत जी भारतीय काव्य साहित्य में जिस परम्परा का प्रतिनिधित्व करते हैं उसी की पूर्ववर्ती अंग्रेज़ी छाया के प्रतिनिधि शब्द-छायाकार हैं – ‘William Wordsworth’ और ‘Samual Taylor Coleridge’! इनमें से ‘Coleridge’ की प्रसिद्ध कृति ‘राइम ओफ़ एनसीएंट मैरीनर’ के पात्र “अल्बाट्रौस’ के कतिपय तन्तुओं को अपनी रचना के ताने-बाने में बुनती रचना का इस ब्लॉग पर चयन आज काव्य-जगत और पंत जी की उस छायावादी परम्परा के प्रति भी सम्मान है। सभी रचनाकारों को बधाई और इस अंक के प्रबुद्ध एवं साहित्य-मनीषा चिट्ठा-चर्चाकार का आभार, हृदयतल से!!!!
वाह ! आज की प्रस्तुति अत्यंत अनुपम एवं अनमोल ! कवि नरेश सुमित्रानंदन पन्त के जन्मदिन पर उनकी रचनाओं को समर्पित इस विशिष्ट अंक में मेरी लघुकथा को सम्मिलित किया आपने मैं हर्षातिरेक से विभोर हो उठी हूँ ! आपका हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
कवि सुमित्रानंदन जी के जन्मदिवस जैसे सुअवसर पर मेरी रचना के अनुवाद को शामिल कर के आपने मुझे अपने ब्लॉग जगत का हिस्सा बनाया, इसके लिए तहे दिल से धन्यवाद। पंत जी की कृतियों और वीडियो का संकलन भी मन को गद गद कर गया।
साहित्य के सुकुमार कवि की अनमोल रचनाओं के साथ सुन्दर प्रस्तुति प्रिय श्वेता।प्रिय रश्मि जी का ब्लॉग में हार्दिक स्वागत है। ब्लॉग जगत के पाठकों में रश्मि जी खूब लोकप्रिय हों यही दुआ है।
आदरणीय , कोटि - कोटि आभार आपका । आपने अपने चयन के माध्यम से मुझ जैसे नये पीढ़ी को " कवि सुमित्रानंदन पंत " जैसे महान व्यक्तिव वाले पुरुष के दर्शन का अवसर मिला। मैंने आपके इस चयन को सहेज कर रख लिया है। पुनः आपको एवं इस मंच को आभार ! धन्यवाद !
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सुंदर अंक..
जवाब देंहटाएंसाधुवाद...
सादर..
उम्दा चयन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाओं को पढ़ने का प्रयास रहता है
आभार आपका
जवाब देंहटाएंमन वहीं है
जवाब देंहटाएंसादर..
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक रचनाओं की सुंदर प्रस्तुति । जरूर पढ़ूंगी ।
जवाब देंहटाएंबधाई श्वेता जी ।
बेहतरीन संकलन । वजह कुछ भी हो , बस अल्ट्रा बोस बने गंगा किनारे बैठ मन की मछरिया को सोच के पानी में छोड़ एक टक निहार रहे हैं फरगुद्दी को जो दाल का दाना पाने के लिए क्या क्या जतन करती है । और प्रेरणा दे रही है कि संघर्ष करते रहना चाहिए जब तक मंज़िल न मिल जाये ।
जवाब देंहटाएंकविवर सुमित्रा नंदन पन्त जी के जन्मदिन पर उनकी रचनाएँ सुनवाने के लिए आभार ।
वाह लाजबाव प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकवि वर की जन्मदिन पर
यदि चंदन की तुनक लचकीली लकड़ी पर दूध की छाली का लेप चढ़ा दिया जाय तो जो प्रतिमा बनेगी, वह है श्री सुमित्रानंदन पंत जी की! प्रकृति के इस सुकुमार कवि की जन्म तिथि पर उनकी रचनाओं की प्रस्तुति से सज़ा यह अंक अन्य भी कई मामलों में अप्रतिम है। पंत जी भारतीय काव्य साहित्य में जिस परम्परा का प्रतिनिधित्व करते हैं उसी की पूर्ववर्ती अंग्रेज़ी छाया के प्रतिनिधि शब्द-छायाकार हैं – ‘William Wordsworth’ और ‘Samual Taylor Coleridge’! इनमें से ‘Coleridge’ की प्रसिद्ध कृति ‘राइम ओफ़ एनसीएंट मैरीनर’ के पात्र “अल्बाट्रौस’ के कतिपय तन्तुओं को अपनी रचना के ताने-बाने में बुनती रचना का इस ब्लॉग पर चयन आज काव्य-जगत और पंत जी की उस छायावादी परम्परा के प्रति भी सम्मान है। सभी रचनाकारों को बधाई और इस अंक के प्रबुद्ध एवं साहित्य-मनीषा चिट्ठा-चर्चाकार का आभार, हृदयतल से!!!!
जवाब देंहटाएंवाह ! आज की प्रस्तुति अत्यंत अनुपम एवं अनमोल ! कवि नरेश सुमित्रानंदन पन्त के जन्मदिन पर उनकी रचनाओं को समर्पित इस विशिष्ट अंक में मेरी लघुकथा को सम्मिलित किया आपने मैं हर्षातिरेक से विभोर हो उठी हूँ ! आपका हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंप्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत जी की रचनाओं से सुसज्जित आज का अंक अति सुंदर बन पड़ा है, बहुत बहुत बधाई इस विशेष प्रस्तुति पर, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विशेष अंक।
जवाब देंहटाएंआभार
कवि सुमित्रानंदन जी के जन्मदिवस जैसे सुअवसर पर मेरी रचना के अनुवाद को शामिल कर के आपने मुझे अपने ब्लॉग जगत का हिस्सा बनाया, इसके लिए तहे दिल से धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंपंत जी की कृतियों और वीडियो का संकलन भी मन को गद गद कर गया।
बहुत सुंदर हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसाहित्य के सुकुमार कवि की अनमोल रचनाओं के साथ सुन्दर प्रस्तुति प्रिय श्वेता।प्रिय रश्मि जी का ब्लॉग में हार्दिक स्वागत है। ब्लॉग जगत के पाठकों में रश्मि जी खूब लोकप्रिय हों यही दुआ है।
जवाब देंहटाएंआदरणीय ,
जवाब देंहटाएंकोटि - कोटि आभार आपका ।
आपने अपने चयन के माध्यम से मुझ जैसे नये
पीढ़ी को " कवि सुमित्रानंदन पंत " जैसे महान व्यक्तिव वाले पुरुष के दर्शन का अवसर मिला। मैंने आपके इस चयन को सहेज कर रख लिया है।
पुनः आपको एवं इस मंच को आभार ! धन्यवाद !
बँध गये प्राण ... इस विशिष्ट प्रस्तुति में।
जवाब देंहटाएंसुंदर हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन
जवाब देंहटाएंपंत जी की आवाज़ सुनकर मन प्रसन्न हो गया।
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