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रविवार, 8 मई 2022

3387...मातृदिवस पर अशेष शुभकामनाएं

 मातृदिवस पर अशेष शुभकामनाएं

सादर

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मातृ देवो भवः।'
अर्थात, माता देवताओं से भी बढ़कर होती है।

नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया।।'

अर्थात, माता के समान कोई छाया नहीं है, माता के समान कोई सहारा नहीं है। माता के समान कोई रक्षक नहीं है और माता के समान कोई प्रिय चीज नहीं है।

माँ शब्द स्वयं में संपूर्ण सृष्टि का सबसे ऊर्जावान अर्थ है।
 माँ जीवन की नाभि में भरा ममत्व का अमृत रस जो जीवन की कड़ुवाहटों को संतुलित करती है।
मातृदिवस पर आज
आइये आज की विशेष रचनाएँ पढ़ते हैं-

हँसना है मजबूरी

फिर क्रोड़ से करुणा की, 
भागीरथी भर आए।
मन के कोने-कोने को, 
शीतल तर  कर  जाए।

माँ अब समझीं हूँ  प्यार तुम्हारा



खिड़की से देखा करती हूँ 
पल - पल राह तका करती हूँ ,
बिटिया पढ़कर घर आयेगी  
आकर गले से लग जायेगी ,
उस पल याद तुम्हारी आती है  
एक छवि मुखर हो जाती है  
जब थकी - थकी मेरी प्रतीक्षा में तू  

 

तुरपन

बेस्वाद ज़िन्दगी में क्या रखा !
स्वाद घोलने को जीवन में 
क्यों न सीखो स्वादिष्ट पकाना !
यदि गोल-गोल सेंकोगी फुलका 
काम बहुत जल्दी निबटेगा !


प्रेरणा हो तुम,प्रभु का वर हो।
किन पुण्यों कि फल हो माँ !
जीवन अलंकृत करने वाली,
शक्ति एक अटल हो माँ !   ।



माँ हूँ न

इल्लू और टिल्लू मजे में हैं। उनका एक बच्चा भी है और एक नया साथ भी। जो उन्हीं के साथ खाता-पीता और बग़ीचे में उनके पीछे-पीछे घूमता फिरता है। वह भले ही उनकी जात-बिरादरी का नहीं है, फिर भी वे उससे कोई द्वेष नहीं रखते हैं, मिल-जुलकर रहते हैं, जिसे देख मन को बड़ी ख़ुशी मिलती है कि चलो कहीं तो भेदभाव देखने को नहीं मिलता रहा है। अब आप सोच रहे होंगे की इल्लू-टिल्लू की जात-बिरादरी से दूर वाला ये तीसरा कौन है? यह है हमारा- 'गुटुरु'  यानि कबूतर। यहीं उनका साथी है। इसकी भी एक अपनी अलग कहानी सुनते चलिए। कुछ दिन पहले जब वह बहुत छोटा था तो अपने माँ-बाप से बिछुड़कर वह पड़ोसियों के बगीचे में गिर पड़ा था,

9 टिप्‍पणियां:

  1. सादर शुभकामनाएं..
    आभार...

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  2. शुभकामनाओं के संग साधुवाद
    सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर भूमिका पर सजी आज की मोहक प्रस्तुति। समस्त रचनाकारों, पाठकों एवं इस संकलन के सूत्रधार को मातृ दिवस की बधाई और शुभकामनाएँ!!!!

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  4. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. रवीन्द्र जी, माँ विशेषांक में स्थान देने का बहुत शुक्रिया । रचनाओं ने कुछ घङी को बचपन याद दिला दिया । सभी का सविनय अभिनंदन ।

    जवाब देंहटाएं
  6. माँ शब्द स्वयं में संपूर्ण सृष्टि का सबसे ऊर्जावान अर्थ है।
    सुंदर भूमिका एवं उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब हलचल प्रस्तुति।
    मेरी रचना को भी स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
    मातृ दिवस की अनंत शुभकामनाएं ।

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  7. बहुत संकलन
    समस्त मातृसत्ता को नमन

    जवाब देंहटाएं
  8. मातृ सत्ता को समर्पित एक उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार रवींद्र भाई।माँ की महिमा को कौन लेखनी लिख पाई है।सृष्टि की जननी को कोटि कोटि प्रणाम।एक भावपूर्ण भूमिका के साथ सभी रचनाएँ हृदयस्पर्शी हैं।आज के शामिल सभी रचनाकारों को सस्नेह बधाई औरमातृ दिवस की शुभकामनाएं।मेरी पुरानी रचना को शामिल करने के लिए आभारी हूँ।सादर 🙏🙏

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  9. मातृदिवस पर खूबसूरत प्रस्तुति ..... एक से बढ़ कर एक रचनाएँ पढने को मिलीं ...

    जवाब देंहटाएं

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