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बुधवार, 24 मार्च 2021

2077..एक जीत नजर आती है..

 


।। उषा स्वस्ति ।।


"स्वस्तिवाचन कर रहे हैं

सामध्वनि से कंठ कूजित

नवल पल्लव नव कुसुम औ

नव किरण से पंथ पूजित। 

माँग कुंकुम से सजाये

दिपदिपाती भोर आई। "

अनिता सिंह

सच ही तो है.. सुबह की किरणें ,प्रत्येक के अंदर अनंत प्रकाश विधमान है जो छुपायें हुए सृष्टि के अनछुए पहलुओं को ..तो फिर चलिये आज नज़र डालते हैं लिंकों पर..सच कहूँ तो चुनना भी मग़जमारी  सी है..सब लिख ही रहें बहुत बढ़िया अलग अलग शैली में.. बातों को पूर्ण विराम देते हुए लिजिए...✍️



  



  " कलम से गुजारिश "

अनकहे भावों को शब्दों में उकेरकर  
प्रिये पोरों लिख दो आँसुओं में भींगोकर
खेलने दो शब्दों से भावनाओं के उफ़ान को 
रख दो ज़ुबां ख़ामोशी की कागजों पे खोलकर..
⚜️⚜️

हक है तुम्हें











क्यूँ कोई झाँके, किसी के सूनेपन तक!
बेवजह दे, कोई क्यूँ दस्तक!

महज, मिटाने को, अपनी उत्सुकता,
जगाने को, मेरी सोई सी उत्कंठा,
देने को, महज, एक दस्तक,
तुम ही आए होगे, मेरे दर तक!..
⚜️⚜️








एक जीत नजर आती है... ......

 है कठिन जमाना लिए कठिन दर्द

अन्याय की दीवारों में ,

जख्मो की बेड़िया पड़ी हुई है

परवशता के विचारो में ।..
⚜️⚜️
ऐ धरती के अमर सपूत
तुझ बिन आँखे पथराई हैं
तू मातृभूमि पे हुआ निसार
असहनीय तेरी जुदाई है

परमवीर और अदम्य साहसी
तू सच्चा मातृभूमि का रखवाला था
माना जननी जन्मभूमि है सबसे पहले 
नौ माह मैंने भी तुझे पाला था..
⚜️⚜️







अब वक्त नहीं मिलता

लोगों को मिलने मिलाने का

जाने कहां रिवाज गया

हाल पूछने को घर आने का

हो जाती हैं मुलाकातें,

 हाथ मिलते हैं  गले..

⚜️⚜️

।। इति शम ।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️



12 टिप्‍पणियां:

  1. नहीं फायदा यहाँ समझाने का कि अमर सपूत हक़ है तुम्हे कि कलम से गुज़ारिश है ,एक जीत नज़र आती है ।
    बढ़िया लिंक्स । पम्मी बढ़िया चर्चा ।

    जवाब देंहटाएं
  2. पठनीय रचनाओं क सुंदर संकलन दमदार भूमिका के साथ।
    बहुत बढ़िया अंक पम्मी दी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छी रचनाएं और शानदार लिंक हैं सभी। बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन रचनाओं का संकलन आदरणीय पम्मी जी,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन रचनाओ का संकलन,सभी को बहुत बहुत बधाई हो, पम्मी जी हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यबाद

    जवाब देंहटाएं

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